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मंगलवार, 26 मार्च 2024

4077 ...वासन्ती हवाओं से बात की है

 सादर अभिवादन

आज सखी श्वेता प्रवास पर हैं
अगले तीन अंक हमारी पसंद की
पढ़िए आज की रचनाएँ ....





कण-कण में विश्वास भरा है
अणु-अणु में गति भर दी किसने,
सुमधुर, सुकोम, सरस स्वर में
कोई भीतर से गाता है !




गुलालों के गुबार में
रंगों की बौछार में
रंगों जैसे हम खिले
आओ हम सब
गले मिलें होली के त्यौहार में...




प्रकृति ने
हर बार की तरह
इस बार भी..,
वासन्ती हवाओं से बात की है ।
आसमान के नीले रंग में
सागर के पानी का रंग घोल
पहाड़ों की मिट्टी के साथ




तुम प्रिय
तुम प्रियता
सांसारिक निजता
हिय दृष्टा हो

तुम अंतर्दिष्ट सखा हो




राजा रघु बहुत विचार कर अपने गुरु वशिष्ठ के पास गये। गुरु के पास पहुंचकर उन्होंने विनम्रतापूर्व उनसे ढूंढा राक्षसी के बारे में समस्या का समाधान जानने के लिए बड़ी नम्रता से चरण स्पर्श किए और वहीं गुरु वशिष्ट के समीप बिछे कुशासन पर बैठकर और अपने आने का कारण बताया। उन्होंने गुरु वशिष्ट से पूछा कि कि यह राक्षसी कौन है? इसके अत्याचारों को निवारण का उपाय बताइये? वशिष्ट थोड़ी देर चुप रहकर बोले- राजन! यह माली नाम के राक्षस की कन्या है। एक समय की बात है। इसने शिव की आराधना में बड़ा उग्र तप किया। भगवान भोलेनाथ ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसको वर मांगने को कहा। इस पर वह कुछ भी न बोली तो फिर शिव जी ने कहा- “संकोच मत करो बालिके! जो कुछ तुम्हारे मन में हो वह मांग डालो। मैं तुम्हारी इच्छा पूर्ण करूंगा।




भावना के वृक्ष तरसें
अग्नि की उस लालिमा से
रंग जीवन के व्यथित हैं
टेसु लगते कालिमा से
सो गया उल्लास थक कर
याद करके प्रीत अनुपम।।
आज के प्रह्लाद..
....

आज बस
कल आएगी पम्मी सखी
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात ! सुन्दर सूत्रों से सजी मनोहर प्रस्तुति । प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से हार्दिक आभार आपका ।सादर..,

    जवाब देंहटाएं
  2. बसंती हवा और फागुन जाते-जाते भी अपने रस में डुबोये दे रहे हैं आज की प्रस्तुति में , आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं

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