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गुरुवार, 21 मार्च 2024

4072...मुझे याद है वो आखिरी मुलाकात...

शीर्षक पंक्ति:आदरणीया रेखा जोशी जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पढ़िए चंद चुनिंदा रचनाएँ-

विलिनता की ओर--

जन्म लेते ही हर एक जीव करता है

मृत्यु पत्र में हस्ताक्षर, समय शेष होते है

उसे मुरझाना होगा, हर किसी को

उस कुहासे में एक दिन खो जाना

होगा ।

आखिरी मुलाकात

मुझे याद है

वो आखिरी मुलाकात

जब बात करते करते तुम

चुप हो गई थी

सोचा था मैंने शायद तुम

सो गई हो

 होली के गीत गाओ री। Holi Song ong

आया था बसंत जब, डाली-डाली हरियाली थी,

आकर कोयल आंगन में तब, गीत सुमंगल गाती थी।
फूल खिलते बहारों में, सबके ही मन लुभाती थी,
प्रिय बिनु यह सब तनिक दिल को न भाती थी।।

 मेरे मोहन

ये जीवन व्यर्थ हुआ तुम बिन

पल घड़ियां बीती दिन गिन गिन

पद पंकज की धूल हैं हम

नित करते कितनी भूल हैं हम

मैंने सौंप दिया है सब तुमको

ये तुम जानो या मैं जानूं.....

काम वाली बाई (प्रहसन)

उल्लेखनीय यह नहीं है कि उस दिन साहब के साथ क्या गुज़री, हाँ, अगले दिन काम वाली बाई को घर से ज़रूर निकाल दिया गया।

जो हुआ सो हुआ, हैरानी इस बात की है कि लोग सच को बर्दाश्त क्यों नहीं कर पाते😜

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव  

 


5 टिप्‍पणियां:

  1. मैं सुंदर हूं
    दूसरे दिन छुट्टी
    शानदार प्रस्तुति
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात
    बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरे रचना को इस आकर्षक पटल पर स्थान देने के लिए बहुत आभार भाई रवींद्र जी! सभी रचनाकारों को बधाई!

    जवाब देंहटाएं

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