कुछ अपने अनकहे जज्बातों को,
कुछ अपने अनकहे जज्बातों को, कुछ धरती के मनोरम सौंदर्य का वर्णन करते हैं,
कुछ कटु वर्णों से तेजाब लिखते हैं
कुछ प्रेम का सुंदर आबास रचित हैं
कुछ दबे कुचले लोगों की आवाज़ लिखी हैं
कुछ प्रेम का सुंदर आबास रचित हैं
कुछ दबे कुचले लोगों की आवाज़ लिखी हैं कुछ प्रेम का सुंदर आबास ने लिखा है
हमदम तू बिल्कुल वह ग़ज़ल सा है।
निहारता हूं अकेले में बार-बार चांद को
देखता हूं वो तेरी किसी झलक सा है।
कहां तक वो नजरें चुराएंगे लेकिन।
जला कर बहुत खुशियाँ हैं वो वैभवशाली महल
कैसे अपने बचाएंगे लेकिन।
मिलते हैं अगले अंक में
सुंदर अग्रलेख के साथ
जवाब देंहटाएंपठनीय रचनाओंं का अंक
आभार...
सादर
आज के इस बेहतरीन अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्कृष्ट लिंकों के साथ लाजवाब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाओं से सजी प्रस्तुति।
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