सभी का स्नेहिल अभिवादन।
शांति के लिए युद्ध का आह्वान
जीवन के लिए मृत्यु का वाहन
क्यों
शांति के लिए क्या युद्ध ही विकल्प है.?
जीवन का अस्तित्व है कि नहीं,
असली प्रश्न तो यह कि
क्या मृत्यु के पहले तुम
जीवित हो?
उपरोक्त कथन
किसी भी महान उपदेशक,विचार या चिंंतक का हो,
किंतु इन पंक्तियों में निहित संदेश
की सकारात्मकता आत्मसात करने योग्य है।
एक मैं ही सो रहा हूँ सारे सोये हुओं ने दस्तखत किये हैं
जो दुधारू खबरी उसे देता है खबरी ने सबूत दिए हैं
इक रात सुरमई सी हूँ प्रकाश नहीं हूँ.
विस्मृत न कर सकोगे आप प्रेम के लम्हे,
काँटा गुलाब का हूँ मैं पलाश नहीं हूँ.
कुछ पल हमारे साथ ठीक-ठाक हैं लेकिन,
मैं भाग्य को बदल दूँ ऐसी ताश नहीं हूँ
सूखते मधुवन यहाँ पर,आग कैसी ये जली।
मेघ भी अश्रु बहाते,और धरा मृत सी पड़ी।
स्वार्थ शासक बन गया,लोभ की कीलें गड़ी।
दीन जनों का पेट भरा।
आँखे उनकी पीत वरण सी
स्वप्न अभी तक नहीं मरा।
रोटी ने फिर चाँद दिखाया
चाँद कभी दिखता रोटी।।
पांच से छः साल स्कूलिंग किये बच्चो का मुकाबला क्या दो या तीन साल स्कूल गये बच्चो से किया जा सकता है । उसकी भी पांच या छः साल की स्कूलिंग हो जाये फिर उसके स्तर को देखा जाना चाहिए।
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार प्रिय श्वेता जी सादर
जवाब देंहटाएंआशानुकूल अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत आभार मेरी ग़ज़ल को हलचल में शामिल कारने के लिए
जवाब देंहटाएंआभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति श्वेता, आपकी पंक्तियां लाजवाब, सारगर्भित है।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं पठनीय, सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को पाँच लिंकों में सजाने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति भरा अंक
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