माता रानी विदा हो गई
आंगन सूना सा लग रहा है
अम्मा
अम्मा पहेली
हँस-हँस के पीती
पीड़ा अकेली।
...
ज़मीं न ज़र
बंजारन ज़िन्दगी
आँसू से तर
हिंदी- हाइकु का फलक अब इतना विस्तृत हो चुका है कि अब ये किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
इसका वैश्विक प्रसार भी इसके बेहतर भविष्य की ओर संकेत करता है। सत्रह वर्ण में लिखी जाने वाली
यह लघु रचना अपने आप में पूर्ण कविता होती है, तीन पंक्तियों में यह किसी दृश्य को
पाठकों के समक्ष पूर्णतया खोलती है।...विस्तार से आदरणीय विभा दी ही बता पाएंगी
अब रचनाएं देखें....
हमने नहीं किया
संगीत का कार्यक्रम,
अखंड रामायण-पाठ,
नहीं बजाया ढोल,
नहीं बजाई झींझ,
नहीं रखी कोई
सत्यनारायण-कथा.
बाबा के इतना कहते ही, अचानक झबरू की झोपड़ी की ड्योढ़ी पर
बाबा की जय-जयकार होने लगी। व्यवस्थापक हरकत में आ गए।
“जय हो देवी माँ की! देवी माँ की जय हो!
देवी को जन्म देने वाली ननमुनिया की जय!!”
कल तक अछूत, ननमुनिया और उसकी नवजात बेटी की जय जयकार हो रही है,
जिसके दाएँ कान से बाएँ कान तक पाँच नेत्र ऊपर नीचे उगे हुए हैं,
ननमुनिया कराहती हुई, लत्ते में लिपटी मरणासन्न बेटी महात्मा के चरणों में लिटा देती है।
खुश्बू लिखे से नहीं आती है
अलग बात है
खुश्बू सोच लेने में
कौन सा किसी की जेब से
कुछ कहीं खर्च हो जाता है
समय समय की बात होती है
कभी खुल के बरसने वाले से
निचोड़ कर भी
कुछ नहीं निकल पाता है
वैसे आजकल यह खेल भी पैसा कमाने के अहम जरिए का रूप लेता जा रहा है!दर्शकों को आकर्षित और रोमांचित करने की तरकीबें खोजी जाने लगी हैं! भद्र पुरुषों का खेल कहलवाने वाले क्रिकेट का मूल स्वभाव बदलवाया जा रहा है! इस खेल का बैटिंग वाला पक्ष वो हिस्सा है जो इस खेल को रफ्तार देता है, यही चीज दर्शकों और क्रिकेट प्रेमियों को ज्यादा पसंद भी है! इसी कारण इस खेल में बैटर का दबदबा बढ़ता चला जा रहा है और बॉलर धीरे-धीरे गौण होते जा रहे हैं! आज बैटर को ध्यान में रख नियम-कानून बनते हैं! बैटिंग के लिहाज से पिचें तैयार करवाई जाने लगी हैं ! नियम बनाने वालों का सारा ध्यान खेल के तीनों रूपों में ज्यादा से ज्यादा रन बनवाने और चौके-छक्के लगवाने में ही रहता है ! चलो, बैटर को अपनी गलती सुधारने का मौका भी तो नहीं मिलता है, ऐसी रियायत ही सही ! इससे रोमांच तो बढ़ा ही है ! ठठ्ठ के ठठ्ठ लोग तमाशा देखने उमड़े भी पड़ रहे हैं !
"सुनों ना! कुछ कहना है•••"
"कहो ना! हम सुनने ही जुटे हैं। अब सोना ही तो है••"
"गज़ल बेबह्र है काफ़िया भी भगवान भरोसे है"
"चलता है!"
"दोहा में चार चरण कहना है लेकिन चार भाव नहीं है"
"चलता है!"
"मशीनगण से निकला हाइकु है। ना अनुभूति है ना दो बिम्ब है"
"चलता है!"
अमृत वर्षा कर रही, शरदपूर्णिमा रात।
आज अनोखी दे रहा, शरदचन्द्र सौगात।६।
खिला हुआ है गगन में, उज्जवल-धवल मयंक।
नवल-युगल मिलते गले, होकर आज निशंक
आज बस
कल मिलिएगा श्वेता जी से
सादर
सुप्रभात! अच्छी प्रस्तुति। सुंदर रचनाएं।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई और शुभकामनाएं। मेरी लघुकथा को शामिल करने के लिए आपका बहुत आभार सखी।
आभार यशोदा जी
जवाब देंहटाएंवाह सभी लिंंक एक से बढ़ कर हैं यशोदा जी ... सन-डे मन गया हमारा तो
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर. आभार
जवाब देंहटाएंसम्मिलित कर सम्मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
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