निवेदन।


फ़ॉलोअर

रविवार, 29 अक्तूबर 2023

3928 ..खुश्बू लिखे से नहीं आती है अलग बात है

सादर अभिवादन

माता रानी विदा हो गई
आंगन सूना सा लग रहा है

अम्मा
अम्मा पहेली
हँस-हँस के पीती
पीड़ा अकेली।
...
ज़मीं न ज़र
बंजारन ज़िन्दगी
आँसू से तर

हिंदी- हाइकु का फलक अब इतना विस्तृत हो चुका है कि अब ये किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
इसका वैश्विक प्रसार भी इसके बेहतर भविष्य की ओर संकेत करता है। सत्रह वर्ण में लिखी जाने वाली
यह लघु रचना अपने आप में पूर्ण कविता होती है, तीन पंक्तियों में यह किसी दृश्य को
पाठकों के समक्ष पूर्णतया खोलती है।...विस्तार से आदरणीय विभा दी ही बता पाएंगी

अब रचनाएं देखें....



हमने नहीं किया
संगीत का कार्यक्रम,
अखंड रामायण-पाठ,
नहीं बजाया ढोल,
नहीं बजाई झींझ,
नहीं रखी कोई
सत्यनारायण-कथा.






बाबा के इतना कहते ही, अचानक झबरू की झोपड़ी की ड्योढ़ी पर
बाबा की जय-जयकार होने लगी। व्यवस्थापक हरकत में आ गए।

“जय हो देवी माँ की! देवी माँ की जय हो!
देवी को जन्म देने वाली ननमुनिया की जय!!”

कल तक अछूत, ननमुनिया और उसकी नवजात बेटी की जय जयकार हो रही है,
जिसके दाएँ कान से बाएँ कान तक पाँच नेत्र ऊपर नीचे उगे हुए हैं,
ननमुनिया कराहती हुई, लत्ते में लिपटी मरणासन्न बेटी महात्मा के चरणों में लिटा देती है।







खुश्बू लिखे से नहीं आती है
अलग बात है
खुश्बू सोच लेने में
कौन सा किसी की जेब से
कुछ कहीं खर्च हो जाता है

समय समय की बात होती है
कभी खुल के बरसने वाले से
निचोड़ कर भी
कुछ नहीं निकल पाता है





वैसे आजकल यह खेल भी पैसा कमाने के अहम जरिए का रूप लेता जा रहा है!दर्शकों को आकर्षित और रोमांचित करने की तरकीबें खोजी जाने लगी हैं! भद्र पुरुषों का खेल कहलवाने वाले क्रिकेट का मूल स्वभाव बदलवाया जा रहा है! इस खेल का बैटिंग वाला पक्ष वो हिस्सा है जो इस खेल को रफ्तार देता है, यही चीज दर्शकों और क्रिकेट प्रेमियों को ज्यादा पसंद भी है! इसी कारण इस खेल में बैटर का दबदबा बढ़ता चला जा रहा है और बॉलर धीरे-धीरे गौण होते जा रहे हैं! आज बैटर को ध्यान में रख नियम-कानून बनते हैं! बैटिंग के लिहाज से पिचें तैयार करवाई जाने लगी हैं ! नियम बनाने वालों का सारा ध्यान खेल के तीनों रूपों में ज्यादा से ज्यादा रन बनवाने और चौके-छक्के लगवाने में ही रहता है ! चलो, बैटर को अपनी गलती सुधारने का मौका भी तो नहीं मिलता है, ऐसी रियायत ही सही ! इससे रोमांच तो बढ़ा ही है ! ठठ्ठ के ठठ्ठ लोग तमाशा देखने उमड़े भी पड़ रहे हैं !



"सुनों ना! कुछ कहना है•••"
"कहो ना! हम सुनने ही जुटे हैं। अब सोना ही तो है••"
"गज़ल बेबह्र है काफ़िया भी भगवान भरोसे है"
"चलता है!"
"दोहा में चार चरण कहना है लेकिन चार भाव नहीं है"
"चलता है!"
"मशीनगण से निकला हाइकु है। ना अनुभूति है ना दो बिम्ब है"
"चलता है!"






अमृत वर्षा कर रही, शरदपूर्णिमा रात।
आज अनोखी दे रहा, शरदचन्द्र सौगात।६।

खिला हुआ है गगन में, उज्जवल-धवल मयंक।
नवल-युगल मिलते गले, होकर आज निशंक



आज बस
कल मिलिएगा श्वेता जी से
सादर

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात! अच्छी प्रस्तुति। सुंदर रचनाएं।
    सभी को बधाई और शुभकामनाएं। मेरी लघुकथा को शामिल करने के लिए आपका बहुत आभार सखी।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह सभी ल‍िंंक एक से बढ़ कर हैं यशोदा जी ... सन-डे मन गया हमारा तो

    जवाब देंहटाएं
  3. सम्मिलित कर सम्मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...