।। ऊषा स्वस्ति।।
कौन शासन से कहेगा, कौन समझेगा,
एक चिड़िया इन धमाकों से सिहरती है।
दुष्यंत कुमार
बदलते वैश्विक परिवेश,प्रश्नों के साथ मानवीय आतंकी संस्कारों और कट्टरता के चालो के बीच कुछ पल बिना विवाद के बस यहीं पर, नज़र डालें ...✍️
#घर अपना आज ,
फिर भी गर संभल गये ,
कहीं उठते #धुयें को #भांप
❄️
हथेलियों में झरता अक्टूबर
यहाँ कुछ और नहीं
जीवन ही साध्य है
हर सुख टिका है जिस पर
भौतिक, मानसिक, आत्मिक
स्वास्थ्य ही प्राप्य है
❄️
. डिस्क्लेमर इसलिए टांग दिए कि कल को कोई ये ना कह दे कि, ‘अब तुम विशाल भारद्वाज को बताओगे कि फिल्में कैसे बनानी चाहिए!’ 😡
तो कुल मिलाकर किस्सा कुछ ऐसा है...
इक रहिन ईर
इक रहिन बीर
इक रहिन फत्ते
❄️
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंशानदार अंक...
जवाब देंहटाएंकल विदाई पूर्व का अंक लेकर
आएंगे भाई रवीन्द्र जी
विसर्जन अंक सखी श्वेता लाएंगी
शुक्रवार को
सादर
शानदार अंक...
जवाब देंहटाएंकल विदाई पूर्व का अंक लेकर
आएंगे भाई रवीन्द्र जी
विसर्जन अंक सखी श्वेता लाएंगी
शुक्रवार को
सादर
बहुत ही सुन्दर सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! पठनीय रचनाओं से सजी सुंदर प्रस्तुति, पर यह किसकी विदाई और किसका विसर्जन हो रहा है
जवाब देंहटाएंपितृ विसर्जन
हटाएंअन्यथा न लें
आभार
बहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम ,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना ब्लॉग "माना अभी #जद में थोड़ा न है " को इस बहुमूल्य मंच में साझा करने के लिये बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
सभी संकलित रचनाएँ बहुत उम्दा है , सभी आदरणीय को बहुत शुभकामनायें ।
सादर ।