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बुधवार, 30 जून 2021

3075..लोग आहिस्ता बदलने लगे हैं..

 ।। उषा स्वस्ति।।


बादलों से कहो बेरुखी ना करें।

हो सके तो तुरत गांव का रुख करें!


जल रही है धरा, जल रहा आस्मां

दूर तक है नहीं जल का नामोनिशां

कोई राही नहीं, कोई रस्ता नहीं

प्यास का कोई ठीहा भी दिखता नहीं..!!

ओम निश्चल



मौसमों का लुका छिपी तो चलता ही रहता  है पर बहुत जरुरी है समय पर बूंदों की स्पंदन की,तो समय के बहाव के साथ लिजिए  लिंकों का आनंद ब्लॉग मंथन से..✍️

जी करता है  किसी से आज मिल करके देखें,

अपनों से दिल की बात हम करके देखें ।

खैर न खबर उनकी बीते जमाने से,

जा कर उन्हीं के पास हैरान करके देखें..

❄️❄️

दोस्त जो चले गए

कोरोना ने कितनी जिंदगियां छीन ली
मेरे मोबाइल में जाने कितने नंबर 
अब ऐसे ही पड़े हैं 
जिनको डिलीट करू या रहने दु 
समझ नही पा रहा हूँ
जिन नंबरों से रोज़ आया करते थे
कभी सलाम कभी दुआ 
जाने अब क्या उन्हें हुआ
न उधर से कोई जवाब आता है

❄️❄️



पुरातन अभिलेख देते हैं दस्तक, विलुप्त

दरवाज़ों का मिलता नहीं कोई भी
नामोनिशान, वही सीलन
भरी ज़िन्दगी, झूलते
हुए चमगादड़ों
की तरह
भीड़
भरी सांध्य लोकल लौट आती है कच्चे
रास्तों से हो कर सुबह

❄️❄️



जब सुख संध्या घिर आती है

अनुराग-राग बरसाती है

जब सुख संध्या घिर आती है....

सूर्य किरण ढल जाती थककर

सांझ स्नेह बरसाती सजकर


❄️❄️



ब्लॉग अडिग शब्दों का पहरा  की प्रस्तुति के साथ आज की पेशकश यहीं तक..


मेरे मुल्क के लोग आहिस्ता बदलने लगे हैं
जब से वे घर छोड़ मकानों में रहने लगे हैं। 

घर, धाम था, देवस्थान था जहाँ प्रीत बसती थी
मकानों में रुतवा रुस्तम दर्प ठहरने लगे हैं। 

थालियों से कोर लेनदेन का अप्रमेय नेह था घर में
मकानो की मेजों पर कोर एकला अकेले होने 
❄️❄️

।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️

9 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अंक
    बादलों से कहो बेरुखी ना करें।
    हो सके तो तुरत गांव का रुख करें!
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी लिंक्स पर पढ़ आये । लेकिन अडिग शब्दों का पहरा पर शायद पहरा लगा हुआ है । ये पेज नहीं मिला । शायद लिंक लेने के बाद डिलीट कर दिया गया ।
    बाकी शानदार प्रस्तुती ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं
    2. संगीता स्वरूप (गीत) जी, अडिग शब्दों का पहरा पर पहरा नहीं लगा है। कहीं तकनीकी समस्या हो सकती है। सादर स्वागत है आपका महोदया। इसे खोलिये
      https://adigshabdonkapehara.blogspot.com/2021/06/blog-post_26.html?m=1

      हटाएं
  3. पांच लिंकों का आनन्द" का सुन्दर संकलन । संकलन में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार पम्मी जी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. शानदार संकलन, संकलन में मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार और धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर सराहनीय अंक ,सुंदर श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं पम्मी जी।

    जवाब देंहटाएं

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