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गुरुवार, 1 जुलाई 2021

3076...बहुत दिन हुए किसी नेता को पौधा रोपते नहीं देखा...

 सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ दो सप्ताह की भूल-भुलक्कड़ी के बाद। 

बहुत दिन हुए 

किसी नेता को 

पौधा रोपते नहीं देखा 

कुर्सी 

अब लकड़ी के अलावा 

और भी कई चीज़ों से बन रही है 

पकड़कर लाए गए 

कबूतर भी 

किसी नेता के हाथ से 

आज़ाद होते नहीं दिख रहे हैं!

#रवीन्द्र_सिंह_यादव 

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-

लिख ‘उलूक’ गंदगी किसे सूँघनी है किसे समझनी या देखनी है सबके जूतों को साफ रहना होता है:डॉ.सुशील कुमार जोशी 

‘उलूक’ तुझे नोचनी है
अपनी गंजी खोपड़ी हमेशा की तरह
जैसा तू है और तेरे साथ होता है
कोई समझता है या नहीं समझता है
कोई लेता है संज्ञान नहीं लेता है से क्या होता है
लिखना जरूरी है
हो रहे अपने आस पास का कूड़ा हमेशा
वही कूड़ा
जो अपनी खबर छपवाने के लिये
किसी अखबार के दरवाजे पर खड़ा होता है ।

पिता,

सालों हो गए तुम्हें 

यूँ ही मुस्कुराते हुए,

कभी तो गुस्सा दिखाओ,

कभी तो तस्वीर से निकलो,

कभी तो डाँटो-फटकारो. 


मोहजाल:सुधा देवराणी 

नन्हे बच्चे की गूँजी जब किलकारियां
तो कराहना कभी माँ का सुन ना सका
वो कराहके ही सब कुछ निभाती रही
मेरी खुशियों में निज दुख भुलाती रही



ज़िंदगी की पतंग भी उड़ती।
डोर  से  फ़ासला नही होता।
दूर नज़रों से मेरा हमसफ़र हैं।
क़ाश मुझसे ख़फ़ा नही होता।

चवन्नी याद है आपको?:रश्मि शर्मा जबकि 16 आने का मतलब 96 पैसे होता था। लेकिन हमने इस 96 पैसे को 100 पैसे में देखने की आदत डाल ली। वैसे एक सच यह भी है कि 25 पैसे को तो सरकार ने बंद किया और अठन्नी को ख़ुद बाज़ार ने। अब 1 पैसे, 2 पैसे, 3 पैसे, चवन्नी और अठन्नी के सिक्के हमें संग्रहालय में सजे दिखाई देंगे, पर क्या आपको नहीं लगता कि इन्हें याद कर हम आज भी मुस्कुरा पड़ते हैं यानी हमारे चेहरे पर इनकी याद से चवनिया मुस्कान पसर जाती है।*****आज बस यहीं तक फिर मिलेंगे अगले गुरुवार। 

9 टिप्‍पणियां:

  1. सोलह आना सही
    उत्कृष्ट अंक..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर संकलन ।मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर पठनीय अंक,बहुत शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    उम्दा संकलन आज का |मेरी रचना को आज स्थान देने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति...
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.रविन्द्र जी!
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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