।। उषा स्वस्ति।।
" तिमिर को भेद कर अब
जगमगाने कौन आया है?
बहुत लम्बी निशा बीती
अंधेरी कालिमा वाली
बहुत ही दूर लगती थी
उषा वह लालिमा वाली
मगर अब प्राची को अरुणिम
बनाने कौन आया है?"
उर्मिल सत्यभूषण
बुधवार भोर की अभ्यर्थना और हम हाजिर है चिरपरिचित अंदाज में खास लिंकों के संग..✍️
यह जीवन एक कल्पवृक्ष है
यह जीवन एक कल्पवृक्ष है
जो दुर्लभ रुप से मिलते हैं
"ईश्वर अंश जीव अविनाशी"
ऋषि मुनि भी कहते हैं
यह जीवन एक कल्पवृक्ष है
जो दुर्लभ रुप से मिलते हैं
"ईश्वर अंश जीव अविनाशी"
ऋषि मुनि भी कहते हैं
🔴🔴
दिन चला अवसान को अब
नील नभ पर स्वर्ण घेरा
काल क्यों रुकता भला कब
रात दिन का नित्य फेरा ।।
थक चुका था सूर्य चलक
🔴🔴
ये ज़िंदगी है कर्ज़ और बही में कुछ क़रार है
अदा हुई है कुछ मगर अभी भी कुछ उधार है।
जहाँ भी देखता हूँ मैं दरार ही दरार है
जली भुनी है दोपहर ख़फा खफ़ा बयार
🔴🔴
मोहब्बत दामन से हो न हो मशला नहीं
रूह की कमी जमानें भर को खलती हैं।
इजाजत हो तो परिंदे आंगन में उतरते है वरना
सुबह की छुप भी पड़ोस की छत पर खिलती है।
🔴🔴
आज की खास पेशकश संजिदा ग़ज़ल के साथ, यहीं तक...
इतना हुआ था बे-कदर ज़ख्मों को पी गया,
इक बे-वफ़ा सी ज़िंदगी अश्कों मे जी गया |
कुछ इस तरह है अब मेरी यादोँ का ये सफ़र,
कुछ रिस रहें हैं ज़ख़्म अब कुछ मैं ही सी गया
🔴🔴
।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
बढ़िया अंक
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात..
चले थे साथ काफ़िले जो दूर सब निकल गए
हमारे साथ अब तो बस गुबार ही गुबार है।
उड़ा भँवर जो एक गुल से दूसरे पे बैठता
बता रहा है कौन कौन फूल दागदार है।
राजीव जोशी की ग़ज़ल भा गई
सादर..
आभार धन्यवाद
हटाएं🙏🌹🙏
जवाब देंहटाएंहर ख्वाहिश हो मंजूर-ए-खुदा
मिले हर कदम पर रजा-ए-खुदा
फना हो लब्ज-ए-गम यही हैं दुआ
बरसती रहे सदा रहमत-ए-खुदा🌹🌹🌹🌹बकरीद की मुबारकवाद🌹🌹इस खूबसूरत प्रस्तुति की बधाई और आभार।
खूबसूरत लिंक्स । सब पढ़े।
जवाब देंहटाएंसधन्यवाद पम्मी जी ,मेरी रचना को पांच लिंक पर रखने के लिए।
जवाब देंहटाएंआपकी हर प्रस्तुति एक सुंदर काव्य बंध से शुरू होती है मोहक आकर्षक।
सभी रचनाकारों को बधाई।
सादर सस्नेह।
लगता है आज फिर पांवों में पैजनिया खनकी है।
सुंदर शानदार रचनाओं का अंक, आपके श्रमसाध्य कार्य को नमन।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका के साथ सराहनीय रचनाओं से सजा आज का अंक बहुत अच्छा लगा दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह
सादर।
वाह बहुत ही सुंदर व सराहनीय और सच कहूँ तो बेहतरीन रचनाओं का समागम हुआ है । मेरी जानिब से सभी को ढ़ेरों मुबारकबाद ।
जवाब देंहटाएंमैं क्षमा चाहता हूं कुसी कारण वश कुछ देरी से आने के लिए ।ससभी रचनाओं पर अब थोड़ा गहन नज़र डालेंगे ।
सादर
बहुत बढियां संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन, दोनों ग़ज़लें अपनी अपनी जगह बेहतरीन। आदरणीया कुसुम कोठारी जी की कविता विशेष अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत लिंक
जवाब देंहटाएं