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सोमवार, 19 जुलाई 2021

3094 ------पत्ते झड़ने का मौसम .....

 आज के  पाँच  लिंकों के आनंद पर आप सभी का स्वागत है ...... यूँ तिथि के अनुसार आज 19  जुलाई को भी इस ब्लॉग का जन्मदिन है , तो इस ब्लॉग को मेरी शुभकामनाएँ .... जन्मदिन यूँ ही हर साल मनता रहे ... ये सिलसिला यूँ ही चलता रहे ..... 



आज अपने प्रबुद्ध पाठकों के समक्ष  एक प्रश्न ले कर हाज़िर हूँ  .......... आशा करती हूँ कि मुझे उचित उत्तर मिल पायेगा .....पहले ऐसे कई  ब्लॉग्स  काम करते थे जहाँ विभिन्न ब्लॉग्स की चर्चा हुआ करती थी ......  अभी मेरी जानकारी के अनुसार ऐसे दो ही मंच हैं जहाँ पाठकों के लिए लिंक्स लगाये जाते हैं .....प्रश्न केवल ये है  कि ऐसे मंचों का क्या औचित्य है ? .... चर्चाकार ब्लॉग जगत में घूम कर आपके लिए लिंक्स लगाते  हैं तो उनका मकसद क्या होता है ? ..... इस विषय पर आप सभी पाठकों के विचार आमंत्रित हैं .... आपके विचारों के माध्यम से शायद हमें भी कोई नयी राह मिले ....... 

मन में कुछ  असमंजस  सा है जिसे आपसे साझा कर रही हूँ ..... (   पुरानी रचना )

द्रोण ,
जो आधुनिक युग के
गुरुओं के
पथ - प्रदर्शक थे
उन्होंने सिखाया कि
पहले लक्ष्य साधो
फिर शर चलाओ
अर्थात
पहले मंजिल को देखो
फिर मंजिल पाने के लिए
कर्म करो,
कृष्ण ने कहा कि -
कर्म करो ,
फल की इच्छा मत रखो
मैं , अकिंचन
क्या करुँ ?
एक ईश्वर और एक गुरु
कबीर ने कहा -----
गुरु की महिमा अपरम्पार
जिसने बताया ईश्वर का द्वार
गुरु की मानूं तो फल - भोगी
हरि को जानूं तो कर्म - योगी
क्या बनना है क्या करना है
निर्णय नही लिया जाता है
पर लक्ष्य बिना साधे तो
कर्म नही किया जाता है .

संगीता स्वरुप 

16 -08 - 2008 


चलिए चलते हैं आज की चर्चा पर ....

यूँ तो लिंक्स लगा चुकी थी और ये शेड्यूल भी हो चुकी थी लेकिन एक बहुत प्यारी कविता  में एक माँ के हृदय के उद्द्गार अपनी प्यारी बिटिया के जन्मदिन पर पढ़ने को मिले ....आप लोग भी बेटी मनस्वी को स्नेह और आशीर्वाद से  नवाज़िये ..... श्वेता सिन्हा के शब्द रूपी आशीर्वचन आप भी पढ़ें --- 

नन्ही बुलबुल




कच्ची उमर के पकते सपने
महक जाफ़रानी घोल रही है। 
घर-आँगन की नन्ही बुलबुल
हौले-हौले पर खोल रही है।
******************************

अब  आगे .....

आज हर क्षेत्र में आपको राजनीति दिखाई देगी .......  राजनीति  ,  राजनीति  में तो है ही ...... घर हो  , कार्यस्थल हो ,  फेसबुक हो या ब्लॉग हो ...... हर जगह  राजनीति  के दांव - पेंच दिखते हैं ..... इसी तरह विशुद्ध  राजनीति में  श्री  गजेन्द्र भट्ट " हृदयेश " ने लिखा है ...



 " एक पत्र  दोस्त के नाम ."

मेरे प्यारे दोस्तों, मैं अपने एक सहयोगी राजनैतिक मित्र के साथ मिल कर पिछले एक माह से एक नई राजनैतिक पार्टी बनाने की क़वायद कर रहा था। आपको जान कर खुशी होगी कि हम अपने इस अभियान में सफल हो गए हैं, खुशी होनी भी चाहिए😊। न केवल पार्टी की संरचना को मूर्त रूप दिया जा चुका है, अपितु इसका नामकरण भी किया जा चुका है।


कोई तो हर पल और हर दल   राजनीति  के मोह में फंसा है तो कोई न जाने कौन से स्वर्णिम पिंजरे के मोह में ध्यान लगाये बैठा है ..... 



मुझे लगता है ये ब्लॉग का लोगो है ........ खैर अमृता तन्मय जी आज कल कुछ आध्यात्म की बात करते हुए कह रही हैं ..... 

मोह लगा है .....

स्तब्ध हूँ कि कैसे मैं अबतक हूँ यहाँ

जो दिखता था जीवन , यहाँ है कहाँ

छल करता हर एक सुख है , पर अब

आँखों को दिखता साक्षात स्वर्ग वहाँ. 



लोग कहते हैं कि पर्यावरण का ध्यान रख कर पेड़ों को बचाइए ....... छायादार वृक्ष हमें सुकून देते हैं .....  और एक नजरिया ये भी देखिये कि छाया दार पेड़ होने की  किसी को सजा भी मिल जाती है .....  अजीत गुप्ता जी  हमेशा ही अद्भुत शैली में ,नए बिम्ब ले अपनी बात कहती हैं कि  आनन्द आ जाता है .... 



छायादार पेड़ की सजा

मेरे घर के बाहर दो पेड़ लगे हैंखूब छायादार। घर के बगीचे में भी इन पेड़ों की कहीं-कहीं छाया बनी रहती है। कुछ पौधे इस कारण पनप नहीं पाते और कुछ सूरज की रोशनी लेने के लिये अनावश्यक रूप से लम्बे हो गये हैं।


अभी हम छायादार वृक्षों की बात कर ही रहे थे कि  न जाने कहाँ से ये पतझर आ गया .... जी एक कहानी वंदना गुप्ता जी  की कलम से---



पत्ते झड़ने का मौसम


वक्त मगर कब एक सा रहा जो उनके लिए रहता. बच्चों को ब्याह कर उनकी जिम्मेदारी पूरी कर चुके थे और बच्चे भी अपनी अपनी गृहस्थी में मशगूल हो गए थे रह गए थे तो दोनों पति पत्नी अकेले. जब आप अकेले होते हो तो अकेलापन अपने सारे हथियारों के साथ आप पर वार करता है कुछ ऐसा ही सितम वक्त का हुआ जब उन्हें पता चला उनकी पत्नी कैंसर से पीड़ित हैं और वो जुट गए उनकी सेवा करने में. हर मुमकिन कोशिश, हर अच्छे से अच्छा इलाज सब किया मगर जब वक्त का वार होता है तो उसका कोई इलाज नहीं बचता कुछ ऐसा ही राहुल सिन्हा के साथ हुआ और उनकी पत्नी उन्हें इस भरे पूरे संसार में अकेला छोड़ कर चली गयीं.


आज  की अंतिम पेशकश  ..... एक पिता के  उद्दगार ........ बेटा बड़ा हो गया लेकिन  बचपन से लेकर बड़े होने की प्रक्रिया आँखों में तैर रही है ..... प्रवीण  पाण्डे जी  कह रहे हैं ...




याद बहुत ही आते पृथु तुम


सभी खिलौने चुप रहते हैं, भोभो भी बैठा है गुमसुम ।

बस सूनापन छाया घर में, याद बहुत ही आते पृथु तुम ।।

 

पौ फटने की आहट पाकर, रात्रि स्वप्न से पूर्ण बिताकर,

चिड़ियों की चीं चीं सुनते ही, अलसाये कुनमुन जगते ही,

आँखे खुलती और उतरकर, तुरत रसोई जाते पृथु तुम ।

याद बहुत ही आते पृथु तुम ।।१।।



आशा है कि आप किसी भी लिंक पर जा कर निराश नहीं होंगे ........ 

चलते  - चलते  आज एक रचना ने झकझोर दिया है ...... असल में मैंने अपने आस पास तो ऐसा नहीं देखा ... लेकिन ये रचना पढ़ते हुए  मुझे प्रेम - रोग पिक्चर   याद आ   रही हैं ..... अभी भी कहीं न कहीं  ये  रूढ़ियाँ   व्याप्त   हैं ..... .......  जिज्ञासा जी कह रही हैं ..... 




कुछ भी नहीं बदला (वैधव्य और रूढ़ियाँ)


केश उड़े आकाश घटाएँ घिर आई हैं
नैनों की वर्षा से गंगा उफनाई हैं

विधवा का संताप व्योम से भी ऊँचा है
क्रंदन और विलाप गगन तक जा पहुंचा है |

आज बस इतना ही ........ अब इज़ाज़त दें ...... नमस्कार .... 

आपके उत्तरों का इंतज़ार रहेगा ... 
संगीता स्वरुप 


   



42 टिप्‍पणियां:

  1. शुभकामनाएं..
    एक साथ कई जन्मोत्सव
    इस अंक में..
    गुरु पूर्णिमा के आगमन की सूचना..
    सारा कुछ तो है...
    एक प्रश्न भी उछल कर सामने आया है
    चर्चामंच के औचित्य का..
    ज्वलंत प्रश्न है..
    उत्तर की प्रतीक्षा में भी हूँ
    सादर नमन..

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    उत्तर
    1. प्रश्न का जवाब आप भी दें ।
      शुक्रिया

      हटाएं
    2. शुभ संध्या दीदी
      ब्लॉग एग्रीगेटर लुप्त हो गए हैं
      ब्लॉगसेतु जागृत था.।
      पर शायद वह बंद हो गया है..केवलराम जी भी फेसबुक छोड़ दिए हैं शायद,ब्लॉगवार्ता,ब्लॉगदीप,ब्लागोदय भी नैपथ्य में हैं, आदरणीय मयंक जी का व्यक्तिगत ब्लॉग एग्रीगेटर चालू है वे मैनेज करते हैं, हम लोग लगभग 1500 ब्लॉग फालो किए हैं,50 रचनाएँ
      प्रकाशित होती है, आधे शायद पेड ब्लॉग हैं..
      सादर नमन..

      हटाएं
    3. केवल राम की हमको चिता हो रही है । वह नियमित थे फेसबुक पर । लेकिन करीब 2 महीने से नहीं दिख रहे । पता करने की कोशिश की लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया ।

      हटाएं
  2. बहुत आभार आपका, रचना को अपनी सूची में स्थान देने का। यहाँ पर स्थान पाना विशेष अनुभूति देता है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आप तो नियमित पाठक हैं ।
      आपके कहे शब्द हौसला बढ़ाते हैं

      आभार

      हटाएं
  3. चर्चा मंच उन लोगों को ब्लॉग तक पहुँचाता है जो स्वयं ढ़ूंढ़ नहीं पाते. एक तरह से पाठकों और लेखकों के मध्य सेतु का कार्य करते हैं.
    मेरी नजर में तो बहुत महत्वपूर्ण कार्य है जबकि हमारा पास कोई ब्लॉग एग्रीगेटर नहीं है

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    उत्तर
    1. वाणी जी ,
      बहुत बहुत शुक्रिया , मुझे उम्मीद थी कि आप अवश्य कुछ कहेंगी ।
      सबके उत्तरों को समझ कर अपनी प्रतिक्रिया अगले सप्ताह इसी मंच पर प्रस्तुत करने का प्रयास करूँगी ।
      पुनः आभार ।

      हटाएं
  4. आपने मेरी कहानी को आज स्थान दिया देखकर सुखद आश्चर्य हुआ......हार्दिक आभार दी..........जाती हूँ बाकी के लिंक्स पर भी :) :)

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    उत्तर
    1. यहाँ देख तो मुझे अच्छा लग रहा है , लेकिन तुमसे प्रश्न के उत्तर की उम्मीद थी । बेबाक राय देती हो तुम ।
      यहाँ आने और अन्य लिंक्स पर जाने का शुक्रिया ।

      हटाएं
  5. बढ़िया लिनक्स हैं. जहाँ तक आपका प्रश्न है तो मेरे विचार से तो मकसद एक ही है कि हिन्दी में जो ब्लोग्स लिखे जा रहे हैं उन्हें पाठकों तक पहुँचाया जाया. एक ऐसा प्लेटफोर्म चर्चा के जरिये उपलब्ध होता है जहाँ से पढ़ने वालों के लिए सामग्री तक पहुच्न्ह्ना सुलभ होता है. और इसमें यह मंच और आपकी चर्चाएँ बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण साबित होता है.

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    उत्तर
    1. उत्तर के प्रति आश्वस्त हूँ । थोड़ा और विस्तार मिलता तो थोड़ी सुगमता होती ।
      तहेदिल से शुक्रिया ।

      हटाएं
  6. To my mind, it is great work being done here..like picking rare flowers with rich traits vis a vis fragrance & presenting them in form of an artistically decorated bouquet...with unique acumen.Best Wishes,Sangeeta.

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    उत्तर
    1. स्वरूप साहब ,
      जितनीं खूबसूरती से आपने लिखा है उतनी खूबसूरती से तो मैं ये गुलदस्ता सजाती भी नहीं हूँ । 😄😄😄😄

      ज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया

      हटाएं
  7. Sangeeta Swarup
    सभी के लिंक्स पढ़ लिए और यथासंभव कमेन्ट कर अपने विचार भी प्रकट किए। सर्व प्रथम तो आप सबको ब्लॉग के जन्मदिवस की पुन: बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ 💐
    आपकी कविता बहुत गहरी है, चिन्तन को बाध्य करती है। मेरे विचार से तो लक्ष्य के बिना पुरुषार्थ का क्या औचित्य? कृष्ण भी कर्म फल के लिए चिन्ता नहीं करने को कह रहे हैं पर लक्ष्य तो था ही युद्ध के पीछे तो बिना लक्ष्य शरसंधान कैसे संभव ?पहले लक्ष्य फिर शर संधान उसके बाद कर्म का फल।
    संगीता जी आपने एक प्रश्न पूछा है तो मेरे विचार से आप लोग लिंक्स लगाने से पहले कितना ब्लॉग्स पर घूम-घूम कर सबको पढ़ने के बाद विभिन्न विषयों के लिंक्स एक जगह पर लगाते हैं जिसमें एक ही मंच पर हम जैसे पाठकों को जो ज्यादा ब्लॉग्स पर नहीं जा पाते विविधतापूर्ण पठनीय सामग्री उपलब्ध करवाते हैं। इससे एक ये भी फायदा होता है कि नए, अनजाने ब्लॉग्स व ब्लॉगर्स से भी हमारा परिचय होता है। चर्चा मंच पर आने से रचनाकारों को भी प्रोत्साहन भी मिलता है और बहुत से ब्लॉगर्स से पहचान प्रगाढ़ होती है ओर ब्लॉग पढ़ने के प्रति रुचि भी जाग्रत होती है।
    मुझसे तो यदि आप स्पष्ट शब्दों में पूछे तो लगता है कि दही मेहनत से आप बिलोती हैं मक्खन खाकर तृप्त हम होते हैं😊😀🙏

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    उत्तर
    1. उषा जी ,
      आप जैसे पाठक ही हम चर्चाकारों का हौसला बढ़ाते हैं ।आपने पहली पंक्ति में ही लिंक्स लगाने का उद्देश्य इंगित कर दिया था ।
      मेरी कविता पर आपके गहन विचार जान कर संतुष्टि हुई । आभार ।
      आपने प्रश्न के उत्तर में विस्तृत रूप से अपने विचार रखे , अच्छा लगा कि आप हम सबकी मेहनत का मूल्यांकन करती हैं ।
      आभार

      हटाएं
    2. संगी जी, मेरा सौभाग्य 🙏😊

      हटाएं
  8. मेरी व्यंग्य रचना को इस सुन्दर पटल का हिस्सा बनाने के लिए आ. संगीता जी का बहुत आभार! महोदया संगीता जी, चयनित विभिन्न रचनाओं के लिंक देने वाले इन मंचों के औचित्य के विषय में आपने जो प्रश्न किया है, निश्चित ही यह एक जटिल व विचारणीय प्रश्न है। आ. वाणी जी, आ. शिखा जी व आ. 'unknon' जी ने आपके प्रश्न को समुचित समाधान दिया है। मेरा भी मानना यही है कि इस माध्यम से चर्चाकार लेखक की रचनाओं को रस-मर्मज्ञ पाठकों तक पहुँचाने में अपना योगदान देकर साहित्य की धारा को गतिशील बनाये रखने का पुनीत कार्य कर रहे हैं। इससे बड़ा औचित्य और क्या हो सकता है😊?

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    उत्तर
    1. आ. उषा जी, का विवेचन पढ़ने से रह गया था। अभी पढ़ा तो लगा कि इसे पढ़ने के बाद इस विषय में कहने को कुछ रह ही नहीं जाता है।

      हटाएं
    2. गजेंद्र भट्ट जी ,
      आप इस मंच तक आये ,ये हमारे लिए सौभाग्य की बात है । आपने इस विषय पर अपने विचार दिए और चर्चाकारों के काम को सराहा इसके लिए हम आभारी हैं । आपकी प्रतिक्रिया से हौसला मिला ।
      शुक्रिया ।

      हटाएं
  9. दी, एक रचनाकार के दृष्टिकोण से कहे तो कोई भी लिखने वाला यही चाहता है कि उसकी रचनाएं/विचार/रचनात्मकता ज्यादा से ज्यादा पाठक वर्ग के द्वारा पढ़ी ,समझी और विश्लेषण की जाए।
    पाठकों की प्रतिक्रियाएँ चाहे वो सराहना हो या आलोचना मेरी समझ से हर रचनाकार के लिए संजीवनी की तरह होती है जिससे प्रेरित होकर वह और अच्छा से अच्छा लिखना चाहता है।
    ऐसे ही रचनाओं/विचारों/लेखों को विस्तृत पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से हमारा साझा चर्चा मंच है।
    बिना किसी स्वार्थ के, अवैतनिक चर्चाकार अपना बहुमूल्य समय देकर एक मंच पर लेखक,लेखन और पाठकों को जोडने का यथासंभव प्रयास करते हैं। पाठकों के द्वारा मिली कम या ज्यादा प्रतिक्रिया से खुश होते हैं यह सोचकर उनका प्रयास सार्थक रहा।
    मेरी समझ से ऐसे मंच एक सकारात्मक प्रयास है लिखने-पढ़ने वालों को आपस में परिचित करवाने का।
    आज के अंक में जोड़े गये सभी सूत्र बेहद सारगर्भित और सराहनीय है धारदार व्यंग्य, प्रेरक छायादार वृक्ष,भावपूर्ण वसीयत, अद्भुत अध्यात्मिक भाव से भरी अनूठी रचना सोने का पिंजरा और वैधव्य पर मार्मिक प्रश्न करती विचारणीय रचना।
    हर तरह के विषय एक पन्ने में समेटकर सोमवारीय अंक को विशेष बनाने में आपकी मेहनत और लगन सचमुच सराहना से परे है दी।
    मेरी रचना को इस शानदार संकलन में स्थान देने के लिए
    बहुत बहुत आभारी हूँ।

    सप्रेम
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता ,
      एक चर्चाकार इस प्रश्न का सटीक उत्तर दे रहा है । वैसे अभी तक सबने ही करीब करीब इस तरह के मंच की उपयोगिता को अपने शब्दों से सराहा है । हम सब चर्चाकार यही सोच कर विभिन्न लिंकों से ये मंच सजाते हैं , लेकिन क्या हमारी सोच वाकई फलीभूत होती है । ये बात अपने आप में विचारणीय है जिसका संकेत तुमने अपनी प्रतिक्रिया में दिया है ।
      सभी लिंक्स को पढ़ कर हमेशा की तरह हर रचना पर अपनी संक्षिप्त टिप्पणी दी । मन आनंदित है ।

      सस्नेह

      हटाएं
  10. ऐसा स्वस्थ संवाद ही हमारी सर्वोत्कृष्ट भाषा की पहचान है जिसकी संवाहक आप जैसी ऊर्जावान चेतना है । जिसमें इन मंचों की भूमिका ऊर्जा का केन्द्र जैसा ही है । जहां हम सब आकर चेतना के तल पर एक हो जाते हैं । इसलिए हृदय आनंदित हो कर आप सबों को केवल आभार ही प्रकट करना चाहता है । पुनः हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अमृता जी ,
      आपकी प्रतिक्रिया से हम लोगों को ऊर्जा मिलती है , आपने कितनी गहनता से इस मंच को ही ऊर्जा का केंद्र कह हमें निरुत्तर कर दिया है । आपके विचार पा कर बहुत आभारी हैं ।
      🙏🙏

      हटाएं
  11. आदरणीय दीदी, प्रणाम !
    सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ।
    हमेशा की तरह वैविध्य रचनाओं से सजा संकलन,आपकी स्फूर्ति और मेहनत का द्योतक है,जो हमें सप्ताह के पहले दिन ही ऊर्जा से भर देता है, और नव सृजन का परिचायक बनता है, इतना सुंदर संकलन प्रस्तुत करने के लिए आपका अभिनंदन।मेरी रचना को मान देने के लिए हृदयतल से आभार।
    पारिवारिक व्यस्तता के चलते कुछ रचनाओं पर पहुँची,कुछ पर पहुँचना शेष है, ज़रूर पढ़ूँगी जाकर।
    आदरणीय दीदी आपका प्रश्न बहुत ही सारगर्भित है,वैसे तो मुझे ब्लॉग जगत में अभी साल भर नहीं हुआ है परंतु अपने अनुभव से कह सकती हूँ,कि चाहे ये मंच हो या चर्चा मंच ,हम सभी अगर एक सूत्र में बँधते हैं,तो इन्हीं मंचों की वजह से,और इन्हीं के द्वारा हमें नयी पुरानी बहुत सी रचनाओं से,ब्लॉगर साथियों से परिचय होता है,इसके अलावा हमारी एवं हमारी रचनाओं की पहचान का दायरा बढ़ता है, तथा आप जैसी साहित्य सर्जक, जो मेरा उनसे,उनका मुझसे परिचय करवा रही हैं, उससे रचनाकारों का निरंतर मनोबल बढ़ता है, इसके अलावा इन मंचों द्वारा नवोदित रचनाकारों को भी अपनी रचना को अन्य रचनाकारों तक पहुँचने की एक उम्मीद जगती है,जिससे उसे हताशा नहीं होती,और नव सृजन की ऊर्जा मिलती रहती है,अतः ब्लॉग जगत में इन मंचों का विशेष महत्व है,अगर ये न हों तो हमें भी लगेगा कि मेरी रचना को तराशने वाला कोई नहीं,बस इतना ही...ये मंच आशा और विश्वास की किरन यूँ ही बिखेरते रहें,इन्हीं शुभकामनाओं के साथ जिज्ञासा सिंह ...

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    उत्तर
    1. प्रिय जिज्ञासा ,
      इस मंच पर आने में देर किसी को नहीं होती ....जब वक़्त हो तब आइये , मैं केवल इस मंच की बात नहीं कर रही थी चर्चा मंच भी इस प्रश्न में शामिल है । इस तरह के मंचों की उपयोगिता के विषय में तुमने स्पष्ट शब्दों में अपने विचार रखे । एक दूसरे सृजक से हम इन मंचों के द्वारा मिल पाते हैं .... एक दूसरे के विचार जान पाते हैं और विचार जानने की प्रक्रिया शायद टिप्पणियों के माध्यम से ही संभव होती है । एक दूसरे को तराशना, कुछ नया सीखना प्रतिक्रिया के द्वारा ही करते हैं ।
      वाणी जी ने सही कहा है कि आज कोई ऐसा एग्रीगेटर नहीं जो नए ब्लॉग तक पहुँचाये , हम भी नहीं पहुँच पाते ,फिर भी प्रयासरत रहते हैं कि किसी नए ब्लॉग से पाठकों का परिचय कराया जाय ।
      अर्थपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
      सस्नेह ।

      हटाएं
  12. प्रिय दीदी , सार्थक भूमिका और प्रेरक रचना से सजी प्रस्तुति विशेष बहुत बढिया है |-

    -- गुरु की मानूं तो फल - भोगी//हरि को जानूं तो कर्म - योगी/////---
    जैसा असमंजस हर इंसान के भीतर मौजूद रहता है |गुरु हरी का द्वार दिखाता है तो हरी एक अदृश्य प्रेरणा बनकर कर्म की प्रेरणा देते हैं | ये इंसान के ऊपर निर्भर है - वो कर्मयोगी बनना चाहता है या मात्र भोगी | शेष क्र्मप्र्धान्ता से ही समाज और व्यक्ति विशेष की प्रगति संभव है |नन्ही प्रांजल के शुभ जन्मदिवस पर प्रिय प्रांजल और उसके जैसी हर बेटी के नाम मेरी दो पंक्तियाँ -
    चुन अपना आकाश लाडली
    पंख पसार उस जाओ तुम
    है कठिन पर नहीं असंभव
    तारों से आँख मिलाओ तुम //////////

    अब आपके प्रश्न पर आती हूँ | सच कहाप्रिय श्वेता ने अवैतनिक चर्चाकार के रूप में अपना समय और निष्ठा दोनों दूसरों के लिए देना बहुत कठिन भी है और बहुत बड़ी उदारता भी | सच कहूँ तो पांच लिंकों और चर्चा मंच जैसे मंच बहुत बड़ा योगदान से रहे हैं । किसी भी ब्लॉग के विस्तार और प्रसार में इनकी भूमिका अतुलनीय है | मुझे लगता है ।ये मंच एक परिवार की तरह सभी लोगों को आपसी विमर्श और मेलजोल का मौक़ा देते हैं और असंख्य पाठकों तक रचनाओं को पहुँचाने का असाध्य कार्य करते हैं | कभी -कभी वैचारिक असामानता के चलते मतभेद स्वाभाविक है पर मनभेद की स्थिति नहीं आनी चाहिए | वैसे भी विपक्ष के बिना तो केंद्र सरकार भी निरंकुश हो जायेगी | आज सक्रिय मंच----- चर्चा मंच , पांच लिंक और आज नींद से जागा तीसरा मंच मुखरित मौन ही है जो ब्लॉग जोड़ने के स्नेह सेतु का अतुलनीय दायित्व निभा रहे हैं |मित्र मण्डली और ब्लॉग बुलेटिन भी बंद हो चुके हैं | ये मंच, मंचीय शिष्टाचार से भी परिचित करवातेहैं।चाहे जो भी हो मैं तो मानती हूँ मेरी क्षमता इतनी हरगिज नहीं थी कि मैं अपने ब्लॉग से इतने लोगों को जोड़ पाती । ये इन मंचों का अनुग्रह है [विशेषकर पांच लिंक ] कि इतने लोग ब्लॉग तक पहुँच चुके हैं | नए ब्लोग्गर्स के लिए बहुत बड़ा वरदान हैं ये मंच | आज कीरचनाओं में प्रिय श्वेता की वात्सल्य से भरपूर प्रस्तुति हृदयस्पर्श कर गई तो माननीय हृदयेश जी भट का व्यंग मजेदार है |अमृता जी हमेशा की तरह लाजवाब हैं |अजित गुप्ता की जी अभिव्यक्ति अपनी पहचान आप है तो वंदना जी की मार्मिक कथा झझकोर गयी | प्रवीन जी की रचना में स्नेहिल पिता के उदगार मन भिगो गये --- वाचन तो और भी प्रभावी है ||जिज्ञासा जी ने शब्द चित्र में अमानवीय प्रसंग संजो स्तब्ध कर दिया ! सभ्य , सुसंस्कृत समाज में ऐसा भी होता है आज भी ये प्रश्न विचलित करता रहा | सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं |आपको आभार इस श्रम साध्य अंक के लिए |🙏🙏🌷🌷












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    उत्तर
    1. प्रिय रेणु ,
      नन्ही प्रांजल के लिए आशीर्वाद के रूप में तुम्हारी पंक्तियाँ लाजवाब हैं । हम सबकी तरफ से प्रांजल को स्नेह और आशीर्वाद।
      इस तरह के मंचों की उपयोगिता का सटीक वर्णन किया है , वाकई इनके बिना इतने लोगों को ब्लॉग से जोड़ना सरल नहीं था । 2011-2012 से पहले ब्लॉग जगत के लिए ऐसे एग्रीगेटर थे जिनसे अपने ब्लॉग जोड़ कर हम उसके माध्यम से न जाने कितने ब्लॉग्स तक पहुँच जाया करते थे , तब भी ये मंच अपना काम कर रहे थे और ज्यादा संख्या में ऐसे मंच थे । एक बात तो स्पष्ट है कि मात्र एक दूसरे ब्लॉग को पढ़ने से ही तो जुड़ा हुआ महसूस नहीं करते इसके लिए एक दूसरे ब्लॉग पर प्रतिक्रिया देना भी आवश्यक होता है ....ऐसा मैं सोचती हूँ , हो सकता है कि मेरी सोच गलत हो । प्रतिक्रिया के बिना सही गलत का भी अहसास नहीं होता ।
      आज के सभी लिंक्स की रचनाओं पर तुम्हारी विशेष टिप्पणी सुकून दे रही है ।
      जो पाठक चर्चाकार के दिये लिंक पर जाते हैं हम ये मंच उनके लिए ही सजाते हैं । ऐसे पाठक ही हमारा हौसला बढ़ाते हैं ।
      इतनी साधी हुई प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार ।

      मेरी रचना पर सूक्ष्म विश्लेषण पा कर मन प्रसन्न है ।
      सस्नेह

      हटाएं
  13. हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन...।अब देरी से आने के लिए क्षमा भी क्या कहना ये तो वो कहेंगे जो आइंदा देरी जैसी गलती न करें मैं तो आदत से मजबूर हूँ एक तो जब तक सारे लिंक नहीं पढ़ लेती और सभी में प्रतिक्रिया नहीं देती तब तक यहाँ भी पहुँच ही नहीं पाती...हमेशा सोचती हूँ आज पहले यहीं प्रतिक्रिया दूँगी बाद में सारे लिंक पढ़ूंगी फिर भी ऐसा करने के लिए मन नहीं मानता । और कभी-कभी तो देर इतनी ज्यादा हो जाती है कि सारे लिंक पढ़कर भी यहाँ अनुपस्थित ही रह जाती हूँ जैसे देर से किया कार्य बच्चे टीचर से छुपाने की सोचते हैं...।मंच की उपयोगिता के बारे में सभी बता ही चुके मैं भी उन सभी से सहमत हूँ...वाकई अवैतनिक चर्चाकार के रूप में आप सभी का सहयोग एवं व विभिन्न ब्लॉग्स को मिलाकर एक परिवार सा संयोजन और परिवार में नये ब्लॉग जोड़कर लगातार वृद्धि कर एक दूसरे से पहचान और नये नये पाठकों से परिचित करवाना इन मंचों और आप सभी चर्चाकारों के बगैर कहाँ सम्भव है....हर एक नया ब्लॉगर ही जानता हैं इन मंचों की विशेषता।
    मै भी यही मानती हूँ कि इस माध्यम से चर्चाकार लेखक की रचनाओं को रस-मर्मज्ञ पाठकों तक पहुँचाने में अपना योगदान देकर साहित्य की धारा को गतिशील बनाये रखने का पुनीत कार्य कर रहे हैं।
    शत शत नमन आप सभी को।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुधा जी ,
      भले ही आप देर से आये ,लेकिन आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहता है । मुझे बहुत खुशी होती है जब मेरे दिए लिंक्स पर आप लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं । वैसे राज़ की बात कि यदि आप यहाँ टिप्पणी न भी कर पाएं तब भी मैं लिंक्स पर जा कर देख आती हूँ कि किस किस ने हमारी मेहनत सफल की है ।
      आज उड़नतश्तरी ( समीर लाल जी ) की एक दो ब्लॉग पर टिप्पणी देख मन प्रसन्न है ।
      ऐसे मंचों की उपयोगिता आप लोगों ने सिद्ध कर दी है । जैसा आप लोगों ने अभिव्यक्त किया वैसा ही मैं भी सोचती हूँ ।
      सबके विचार से कम से कम ये आश्वासन तो मिला कि हम व्यर्थ का काम नहीं कर रहे ।
      आभार ।

      हटाएं
  14. आदरणीया दीदी, सबसे पहले तो देर से आने के लिए क्षमा चाहती हूँ।
    पहले प्रस्तुति की बात, हर सोमवार की तरह इस बार भी अपने विशेष अंदाज में आपकी प्रस्तुति पठनीय रचनाओं के साथ अपनी छाप छोड़ती हुई, बेजोड़ रही।
    अब आपके प्रश्न पर आती हूँ।
    ब्लॉग एग्रीगेटर्स में इन तीनों मंचों ने मेरी रचनाओं को हमेशा सम्मान दिया - पाँच लिंकों का आनंद, चर्चा मंच और ब्लॉग बुलेटिन। इसके अलावा मुखरित मौन में भी रचनाएँ आती रहीं। जब भी मैं इन मंचों पर जाती हूँ (और एकाध दिन को छोड़कर लगभग रोज ही, चाहे टिप्पणी करूँ या ना करूँ) तब मैं यह देखकर दंग रह जाती हूँ कि इन लोगों के वाचन का दायरा कितना बड़ा है, कितना पढ़ते होंगे तब इन रचनाओं को चुनकर लाते हैं । इन मंचों के माध्यम से मैंने कितने ही प्रतिष्ठित ब्लॉगर्स को जाना, उनको फॉलो भी किया। मैंने तो उनके लेखन से ही नहीं, उनकी टिप्पणियों से भी सीखा। इसी तरह मेरी रचनाएँ भी वरिष्ठ और जानेमाने ब्लॉगर्स तक पहुँचीं। जब आदरणीया साधना वैद्य जी, आदरणीय दिगंबर नासवाजी, आदरणीय शास्त्रीजी, यशोदा दी, आप, विश्वमोहनजी,रेणु, अयंगर जी(लिस्ट लंबी है) जैसे लोग मेरे ब्लॉग को फॉलो करते हैं तो बड़ा अच्छा लगता है और ये सब इन मंचों की वजह से ही होता है जो मेरी रचनाओं को एक वृहद आकाश देते हैं। कई बार इन मंचों पर कुछ मतभिन्नता भी हो जाती है पर उससे मन अलग नहीं हुए कभी। मैं तो इन चर्चाकारों की लगन और निष्ठा को सलाम करती हूँ। अपने घर परिवार और दैनिक कामकाज की जिम्मेदारियों को सँभालते हुए ये प्रतिदिन इन अंकों को निकालते हैं। आपस में सामंजस्य रखते हुए एक की तकलीफ में कोई दूसरा उस अंक को निकालता है। ये सब निस्वार्थ भाव से साहित्य सेवा और हिंदी ब्लॉगिंग को जीवित रखने हेतु ही इतना श्रम कर रहे हैं। मेरी ओर से सभी मंचों का पुनः पुनः आभार।
    अब बात टिप्पणियों की, सच बताऊँ तो अपने ब्लॉग पर जिनकी टिप्पणियाँ आती हैं, उनसे हम भावनात्मक रूप से भी कहीं ना कहीं जुड़ते हैं। उनसे हमारा मनोबल बढ़ता है, हमारी गलती बता दें तो सुधार की गुंजाइश रहती है। उनकी भाषा, उनका विश्लेषण, समीक्षा करने की उनकी शैली हमें निरंतर कुछ ना कुछ सिखाती है। कभी कभी कोई समयाभाव या निजी समस्या के कारण टिप्पणी नहीं करता तो मैं बुरा नहीं मानती। इस ब्लॉगिंग ने कुछ अच्छे मित्र व शुभचिंतक भी दिए हैं जो अब आभासी नहीं लगते।

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    उत्तर
    1. प्रिय मीना ,
      आपने प्रस्तुति की सराहना की , उसके लिए हार्दिक धन्यवाद ।
      आपके उत्तर से मैं भी पूरा इत्तेफाक रखती हूँ ।
      ऐसे चर्चामंच एक साथ आपको कई ब्लॉग्स का पता देते हैं । और इन मंचों का उद्देश्य तभी पूरा होता है जब यहाँ आये पाठक लिंक्स तक पहुँचते हैं । रही एक दूसरे से जान पहचान या जुड़ाव की बात , जैसे आपने बहुत लोगों के नाम भी लिखे तो ये तभी संभव है जब आप अपनी उपस्थिति भी दर्ज करेंगे यानि कि टिप्पणियाँ देंगे । वरना तो आप एक मौन पाठक के रूप में किसी के भी द्वारा पहचाने नहीं जा सकते । आज हममें से बहुत लोग जुड़े हैं तो वो एक दूसरे के ब्लॉग पर टिप्पणियों के माध्यम से । इन मंचों ने अच्छा लिखने वालों को और साथ ही नए ब्लॉगर्स को पहचान दिलाई है । आपने अपनी बात कह कर मुझे आश्वस्त किया ।
      आभार ।

      हटाएं
  15. बेहद सुंदर सुखद प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  16. माफ करना आदरणीय मैम, बहुत विलम्ब से पहुंचीं हूँ इस लिए 😔😔🙏
    सच कहूं तो अभी मैने आज की चर्चा नहीं देखी आते ही मेरी नज़र इस चर्चा पर पड़ी तो इस पर चली आयी!खैर..
    जैसा कि आपका सवाल था कि चर्चाकारो का क्या उद्देश्य होता है सभी ब्लॉग पर घूम कर लिंक्स को एक मंच पर प्रस्तुत करने का? मै अधिक तो नहीं जानती पर मुझे जो लगता वो बताना चाहती हूँ ,पहला तो अच्छे लेख और रचनाओं को एक मंच पर प्रस्तुत करने का मकसद ये होता है कि लोग अच्छे अच्छे विचारों वाले लेख और रचनाएँ पढ़े
    जिससे उनमें नई विचारधारा उत्पन्न हो और तुक्ष सोच का अंत हो !
    उदाहरण स्वरूप आज की अंतिम रचना "कुछ भी नहीं बदला (वैधव्य और रूढ़ियाँ) इस रचना को चर्चा मंच में शामिल करने का मुझे लगता है आपका मकसद रहा होगा कि लोगों इसे पढ़े और उन्हें मालूम हो कि ये कितना पीड़ादायक है और गलत है!अर्थात रूढ़िवादी विचारधारा और कुरितियों को समाप्त करके जागरुक करने का इक प्रयास! इसी तरह हर लिंक को चर्चा मंच में शामिल करके लोगों को एक अच्छा इंसान बनाने का प्रयास होता है कभी माता पिता की अहमियत को समझने की कोशिश, तो कभी पर्यावरण, देश, समाज आदि के प्रति जिम्मेदारी का निर्वाहन कराने के लिए विभिन्न विषयों पर आधारित रचनाओं और लेख को शामिल करके जागरूक करने का प्रयास होता है! और लोगों के अंदर सुप्तावस्था में जा चुकी चेतना को जागृत करने का उद्देश्य जिससे एक अच्छे समाज की स्थापना हो जहाँ हर व्यक्ति मिलजुलकर खुशी खुशी रहे! स्पष्ट शब्दों में कहूँ तो समाज सुधारक का काम! मेरी नज़र में आप सभी और जितने भी साहित्यकार है , सभी समाज सुधारक हैं! क्योंकि साहित्य, समाज का
    वो आईना है जो समाज की सारी खूबियां और कमियों को सबके सामने लाता है! और समाज को आईना दिखाता है!
    और दूसरा मकसद ब्लॉगर के मनोबल को बढ़ावा देना! लेकिन सिर्फ़ अच्छे ब्लॉगर को अर्थात अच्छी रचना और अच्छे लेख को ,फिर चाहे वो किसी नये नवेले ब्लॉगर की हो या प्रख्यात ब्लॉगर की हो! आपके इस काम के लिए जितनी तारीफ की जाए कम है ! आपके इस कार्य के लिए आभारी हूँ आप सभी को तहेदिल से धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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  17. आदरणीय मैम🙏
    आपका चर्चा मंच को प्रस्तुत करने का अंदाज बहुत ही बेहतरीन है! जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ ऐसे ही बिना पक्षपात किये आगे भी काम करता रहे ये चर्चा मंच!
    सभी को ढेर सारी बधाइयाँ 🎉🍻

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय मनीषा ,
      आपकी इतनी अपनत्त्व भरी प्रतिक्रिया से मन खुश हो गया । बिल्कुल सही कहा कि हम इन मंच तक अच्छी रचनाएँ प्रस्तुत करने का ही प्रयास करते हैं।

      एक बात मैं अपने लिए कह सकती हूँ कि कभी कभी रचना साधारण भी हो लेकिन कोई नया ब्लॉगर है तो मैं उसका परिचय कराने के लिए भी उसके ब्लॉग का लिंक लगाती हूँ । एक दूसरे से मिल कर उनकी रचनाएँ पढ़ कर ,विचार विमर्श से लेखन में परिमार्जन होता है ।
      अपनी प्रतिक्रिया दे हमें अनुगृहीत किया ।
      सलाह हमेशा याद रखूँगी कि बिना पक्षपात के मैं अपनी प्रस्तुति लगाऊँगी ।
      सस्नेह

      हटाएं

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