जय मां हाटेशवरी.....
सादर नमन.....
जब पूरी दुनिया में कोरोना से त्राहिमाम मचा हुआ था
और लोग ऊपरवाले से अपनों की सुरक्षा के
लिए प्राथना कर रहे थे तब ऐसी स्थिति में
देश के डॉक्टर्स अपनी जान
पर खेल कर
लोगों की जिंदगियां बचाने की
हर संभव प्रयास करने में लगे थे.
कोरोना वायरस के मरीजों की जिंदगी बचाने की
जद्दोजहद में लगे डॉक्टर्स को भी मालूम था
कि जरा सी असावधानी उनकी जान जोखिम में डाल सकती है.
उनका भी एक परिवार है, उनके भी छोटे बच्चे हैं
और उनके घर में भी कोई न कोई बुजुर्ग है,
लेकिन इन तमाम बातों
को भूल
देशभर के डॉक्टर्स ऐसे मुश्किल समय में
कर्तव्य पथ पर डटे रहे और इस कथन को सही साबित किया कि वाकई डॉक्टर्स भगवान का दूसरा रूप होते हैं.
ईश्वरीय दूत
चिकित्सक से बढ़कर धरती पर कोई तकदीर नहीं होती
बीमारी से बढ़कर इस दुनिया में कोई पीर नहीं होती।
भगवान हो अल्लाह हो या फिर कोई फरिश्ता हो यारों
चिकित्सक से बढ़कर दुनिया में कोई तस्वीर नहीं होती।
चिकित्सालय में जब मरीज अपनी पल-पल सांसे गिनता है।
चिकित्सक की मरीज पर नजर किसी जंजीर से कम नहीं होती।
ईश्वरीय दूत के आगे जिंदगी भी खुद नतमस्तक होती हैं
चिकित्सक के होते हुए जिंदगी कभी मजबूर नहीं होती।
कोरोना जैसी महामारी में इस फरिश्ते ने लाखों जान बचाई है
दिन-रात सेवा देकर भी इनके माथे पर थकान की लकीर नहीं होती।
चिकित्सक अगर नहीं होते तो धरती श्मशान बन जाती
जाने गर नहीं बचती तो इनकी सेवा भी मशहूर नहीं होती।
हर इंसान को चिकित्सक समान भाव से ही देखता है
अमीर हो या गरीब हो भेदभाव की इसमें तासीर नहीं होती।
स्वास्थ्य सेवाएं दुनिया में मानवता की सेवा मानी जाती है
इन सेवाओं से बढ़कर इस दुनिया में कोई नजीर नहीं होती।
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
9630603339
अब पेश है......
आज के विषय पर आप सब की रचनाएं....
1. साबुन और पानी से हाथ धोएं और एल्कोहल बेस्ड हैंड सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
2. घर की चीजों को, जैसे डिश, पानी, बर्तन इत्यादि को गंदे हाथों से न छुएं।
3. सर्जिकल मास्क को पहनें, हर 6-8 घंटे में मास्क चेंज करना करना चाहिए और उसका निस्तारण सही से करें।
4. हाथ न मिलाएं, यदि आपको खांसी और बुखार महसूस हो रहा है तो किसी के साथ निकट संपर्क में न आएं।
5. अपनी आंख, नाक और मुंह को स्पर्श न करें, हाथों की हथेलियों में न छींके और न ही खासें।
6. सार्वजनिक रूप से न थूकें, अनावश्यक यात्रा न करें, विशेषकर प्रभावित इलाकों में।
7. समूह में न बैठें, बड़े समारोहों में भाग न लें।
8. अफवाह और दहशत न फैलाएं।
9. कोरोना वायरस से बचने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी किए गए दिशा निर्देशों का पालन अवश्य करें।
यह ठहरा हुआ निर्जन समय
जिसमें पक्षी और चिड़ियाँ तक चुप हैं,
जिसमें रोज़मर्रा की आवाजें नहीं सिर्फ़ गूँजें भर हैं,
जिसमें प्रार्थना, पुकार और विलाप सब मौन में विला गये हैं,
जिसमें संग-साथ कहीं दुबका हुआ है,
जिसमें हर कुछ पर चुप्पी समय की तरह पसर गयी है,
ऐसे समय को हम कैसे लिख पायेंगे?
पता नहीं यह हमारा समय है
यहाँ हम किसी और समय में बलात् आ गये हैं
इतना सपाट है यह समय
कि इसमें कोई सलवटें, परतें, दरारें, नज़र नहीं आतीं
और इससे भागने की कोई पगडण्डी तक नहीं सूझती.
किसके नाम कोरोना है
दूर-दूर तक कोई नहीं है,किसके नाम 'को रोना' है.
अपने भले-बुरे की गठरी हमको ही तो ढोना है.
मरने से पहले ही मर जाने का डर अधमरा करे;
प्रभुओं की प्रभुताई को अपना हमसफर न होना है.
धरी पालकी स्वजन-सखाओं ने कंधों पर हिलक-बिलख;
और सजा दी सेज अगिन की ,जिस पर नङ्गे सोना है.
जिस घर-आंगन में जन्मे, हम खाये-खेले,पले-बढ़े;
अब उस घर में मरने को भी अपना कोई न कोना है.
मनकू खुशी खुशी धन्यवाद देते हुए बोला— भाई तुम कौन हो और कहां जा रहे हो?
अजनबी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया मुझे नहीं पहचाना—- मैं कोरोना हूं तुम जैसे लोगों के लिए ही बाहर घूमता रहता हूं।
तब से मनकू अस्पताल में है।
पृथ्वी घूमती रहेगी अपनी धुरी पर
अमीर और अमीर
ग़रीब और ग़रीब होते रहेंगे
दस्तावेज़ों पर शर्णार्थियों की तरह
जुड़ जाएगा एक और कॉलम
कोरोना से हुए अनाथों का
और कुछ नहीं बदलेगा
कहीं भी
सिवा इसके कि
अनेक जीवित इंसान
बदल चुके होंगे
मृतकों के आंकड़ों में
प्रस्तुत लेख भय और किताबों के बीच बीत रही ज़िंदगी की कहानी है. मैं यह नहीं जानता कि मेरा यह लेख कितना राजनीतिक है, कितना नीतिगत, लेकिन इतना ज़रूर है कि यह
मानव के भय को कम करने की रणनीति का आवश्यक साधन बन सकता है.
धन्यवाद।
ः
बहुत ही शानदार अंक..
जवाब देंहटाएंश्री सीताराम जी द्वारा लिक्खा आलेख
सचमुच अच्छा है..
आभार आपका...
सादर..
सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति, हार्दिक शुभकामनाएं कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़ियां प्रस्तुति
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