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मंगलवार, 20 जुलाई 2021

3095....अपनी जमीन भी बिसर गयी

जय मां हाटेशवरी..... 
एक ओर करोना महामारी की तीसरी लहर का खतरा..... 
तो दूसरी ओर बाढ़, भू-सखलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से मन आहत है..... 
 शायद ये सब मानव के करमों का फल ही तो है...... 
जो ईश्वर भी अब रहम नहीं कर रहा है...... ....
पढ़िये आज के लिये मेरी पसंद। 
मदारी का खेल - - ये सड़क गुज़रती है 
ज़िन्दगी से लम्बे सुरंगों से होकर सिफ़र के सिम्त, 
मंज़िल का पता कोई नहीं जानता, 
सब मदारी का खेल है इंद्रजाल कैसा। 

 गलियों-गलियों फिरता मारा 
रात विवश और दिन बेचारा 
जागृत मनवा चैन न पाता 
भाग्य में अपने कब सोना है॥ 
सुख आभासी दुःख आभासी 
जीवन माया, या बस छाया 

कभी यहाँ,कभी वहां गुज़रती-सी रात, 
गालियों-डंडों से बचती-सी रात,  
टुकड़ों-टुकड़ों में बिखरती सी रात, 
छोटे से दिनों की लंबी सी रात.  

 राजद्रोह और देशद्रोह इस विषय को व्यावहारिकता की रोशनी में देखना चाहिए। राजद्रोह और देशद्रोह के अंतर को भी समझने की जरूरत है। सरकार या सरकारी नीतियों के प्रति असंतोष व्यक्त करने की सीमा-रेखा भी तय होनी चाहिए। इस साल 26 जनवरी को लालकिले पर जो हुआ, क्या उसे स्वस्थ लोकतांत्रिक-विरोध के दायरे में रखा जाएगा? वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह के एक मामले को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने 3 जून को कहा था कि पत्रकारों को राजद्रोह के दंडात्मक प्रावधानों से तबतक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए, जबतक कि उनकी खबर से हिंसा भड़कना या सार्वजनिक शांति भंग होना साबित न हुआ हो। 

चोटिलताओं के साथ चलता रहा 
ऑटो मिला पैदल चलने को बिसर गया  
रेल मिली, शायिका मिली 
जागरण बिसर गया 
हवाई जहाज ने सब कुछ बिसरा दिया 
अपनी जमीन भी बिसर गयी 

 नामवर सिंह की एक जीवनी प्रकाशित हुई है, नाम है ‘अनल पाखी’। इस जीवनी को लिखा है अंकित नरवाल ने। इस पुस्तक में हिंदी के शिक्षक-लेखक विश्वनाथ त्रिपाठी के हवाले से नामवर सिंह को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का अपने जिले का संस्थापक बताया गया है। दरअसल 2017 में नामवर सिंह और विश्वनाथ त्रिपाठी की एक बातचीत प्रकाशित हुई थी जो बाद में 2019 में एक पुस्तक में संकलित हुई। पुस्तक का नाम है ‘आमने-सामने’। प्रकाशक हैं राजकमल प्रकाशन। इस पुस्तक का संकलन-संपादन किया है नामवर सिंह के पुत्र विजय प्रकाश सिंह ने। 
 धन्यवाद।

12 टिप्‍पणियां:

  1. व्वाहहहह..
    बेहतरीन रचनाओं का चयन..
    आभार आपका
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. मदारी का खेल - -शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीय कुलदीप जी, सभी रचनाएं अपने आप में सौंदर्य समेटे हुए हैं, नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर संकलन ! अभी नाहामारी का खतरा टला नहीं है, बहुत ही सावधान रहने की जरुरत है !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर रचनाओं का संकलन,बहुत बहुत शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर और गहन रचनाओं का संकलन। खूब बधाईयां सभी रचनाकार साथियों को।

    जवाब देंहटाएं
  6. रोचक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

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