19 जुलाई 2015 को रथ यात्रा के दिन ही इस ब्लॉग ( पाँच लिंकों का आनन्द ) का जन्म हुआ था । इसलिए प्रतिवर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार रथ यात्रा के दिन इस ब्लॉग का जन्मदिन मनाया जाता है । आज का यह विशेष दिन मेरे हिस्से आया है , अतः जन्मदिन मनाने की ज़िम्मेदारी मेरे हिस्से आ गयी है । इसका निर्वाह करने में श्वेता के सहयोग के लिए स्नेह और आशीर्वाद । (धन्यवाद वो लेगी नहीं )
सर्वप्रथम आज रथ - यात्रा का दिन है तो भगवान जगन्नाथ को स्मरण करते हुए , आप यहाँ पढ़ सकते हैं ।
यात्रा के साथ साथ आज मैंने अपने मंच के लोगों से आग्रह किया है कि सब तैयार हो जल्दी मंच पर पहुँचें । आखिर मेज़बान हैं । जी हाँ आज इस मंच का जन्मदिन मनाने के लिए कुछ मेहमान आमंत्रित किये हैं । चर्चा मंच के सभी चर्चाकार आज हमारे अतिथि हैं । साथ ही मेरी नज़र में जो विशेष टिप्पणीकार हैं उनको भी मेहमान के रूप में बुलाया है । यूँ कुछ चर्चाकार भी बहुत अच्छे पाठक और टिप्पणीकार हैं ,लेकिन आज वो मंच पर उपस्थित हैं । इसलिए उनके अतिरिक्त कुछ को मेहमान के रूप में आमंत्रित किया है ।
मेज़बान के रूप में सबसे पहले मैं ही उपस्थित हूँ , अगवानी करनी है न सबकी ।
आज जगन्नाथ जी का दिन सब खुशी में सराबोर , बस मेरे मन में चल रही कुछ बेचैनियाँ ..... पढ़िए ----
ओह , देखिए कैसे दौड़ती भागती यशोदा जी पहुँच गयीं हैं और पीछे पीछे दिग्विजय जी आ रहे हैं । तो पहले मिलते हैं यशोदा जी की धरोहर से --अरे वाह ! आज तो यशोदा अपने मन की उपज ही ले आई हैं ..... वक़्त की पाबंद .... अज वक़्त की बात कर रही हैं ...
दिग्विजय जी भी पहुँच गए हैं , ज़रा टैक्सी का हिसाब किताब कर रहे थे ---
अरे वाह ! कितनी सुन्दर कथा लाये हैं आप .... आज रथ यात्रा के दिन
अरे वाह विभा जी कितनी समय की पाबंद हैं .... मज़ा आ गया आपको देख कर । आपका तो स्नेह और आशीर्वाद ही सबके लिए काफी है --- वैसे आप क्या लाईं हैं - आप तो ज़रूर कुछ सीख ही लायीं होंगी ..... काश सब आपकी बात समझें .... हिन्दू संस्कृति में वृक्ष का महत्त्व बता रही हैं ...
कहा था श्वेता से मैंने कि सहायता तो बहुत हो गयी ज़रा समय से पहुँच जाना , वैसे आती ही होगी .... लीजिए आ गईं अपने सारे असबाब के साथ --अरे थोड़ा ठीक से , न जाने कहाँ रहता है ध्यान , कहाँ डूब उतरा रही हो ?
चलो थोड़ा काम पर ध्यान दे लो ...... ओ
कुलदीप जी और रविन्द्र जी तो बहुत ही व्यस्त रहते । देखते हैं कि कब तक पहुँचेंगे , इस बीच दिव्या और पम्मी आ गईं हैं तो ज़रा उनको थोड़ा काम बता देती हूँ तब तक पम्मी से मुलाकात कीजिये --अरे क्या हुआ ? आज के दिन ये क्या हाल बना रखा है ? चलो कह ही डालो सब ----
और हाँ दिव्या ज़रा ध्यान रखना कि मेहमान आने शुरू होते ही बता देना और उनका स्वागत अच्छे से करना ---दिव्या तुम क्या लायी हो आज ? -- ज्यादा कहानी न सुनाओ ...... जल्दी बताओ आखिर है क्या ? ..... अच्छा अच्छा कहानी लायी हो .... बढ़िया ....
अहा ! कुलदीप जी पहुँच गए हैं । असल में रविन्द्र जी तो मेज़बान भी हैं और मेहमान भी , तो ठीक ही है पहले सारे मेज़बान तो पहुँचें । कुलदीप जी तो आज कुछ खेल ले कर आये हैं .... जन्मदिन पर सबको दिखाना चाहते हैं .....
आखिर आ ही गए रविन्द्र जी भी । ज़रा बताइए कि मेहमान कब तक पहुँचेंगे ? आपको तो पता होगा न ? खैर पहले आपका पिटारा देखें .... क्या बात ! रविन्द्र जी आप तो सबकी सेहत का ख्याल रखे हुए हैं .....एक नयी विधा वर्ण पिरामिड के साथ लाये हैं ...
रविन्द्र जी ज़रा पता तो करिए कि कब तक पहुँच रहे हैं हमारे मेहमान ? जी , शास्त्री जी को तो आधा घंटा देर से समय बताया था । सब आ जायें तब ही मुख्य अतिथि आएँ तो अच्छा लगता है ।
लग रहा है सबसे पहले अनिता जी आ रही हैं । सारे सदस्य तैयार हैं न मेहमानों के स्वागत हेतु ?
स्वागत अनीता जी ...... कुछ परेशान लग रही हैं ..... थोडा मार्मिक स्थिति से अवगत करा रही हैं और कह रहीं हैं कि ----
कामिनी और मीना जी साथ साथ , वाह , आनंद ही आ गया ।
आपकी पोटली में क्या क्या है ?
कामिनी पहले आप दिखाइए । अरे आप तो अपनी ही तलाश करती आ रही हैं ......
मीना जी भी कुछ चुपके चुपके लाईं तो हैं , देखते हैं क्या है ? अरे दिखाईये तो ..... किसकी चिट्ठी है ??????????????? आप भी न ....
दिलबाग जी नहीं आये अभी तक । दया ज़रा पता करो ,ओह दया नहीं रविन्द्र भाई ज़रा पता करिए । अच्छा शास्त्री जी के साथ आ रहे हैं । ये अच्छा किया ।
तब तक ज़रा टिप्पणीकारों को फोन करो । कहाँ हैं ?
रेणु पहुँच गयीं हैं । स्वागत रेणु । आपके आते ही बहार आई ...... आप तो क्षितिज के संग बादल लाईं हैं । बहुत गर्मी है , सच्ची । कुछ बादल दिखे .... बस जोर से बरस भी जाएँ ....
सुधा जी स्वागत आपका ,नाम के अनुरूप आपकी टिप्पणियां भी अमृत का काम करती हैं । नई सोच में क्या कह रही हैं देखते हैं --- आप भी प्रकृति की ही चिंता कर रहीं हैं -
वाह , जिज्ञासा जी क्या बात है ! जिज्ञासा की जिज्ञासा तो आज सबकी जिज्ञासा हो रहीं । लेकिन मन बहुत उद्वेलित हो रहा है , रोज़ रोज़ ऐसी घटनाएँ देख कर .... सच कह रही हैं आप ,
दिलबाग जी के साथ पहुँच गए हैं । बहुत बहुत स्वागत है ।
देखें दिलबाग जी क्या कह रहे हैं --- अरे !! ये क्या कह रहे हैं ??????? नहीं हम तो यहीं स्वागत करेंगे ....
मुख्य अतिथि डॉ. रूपचन्द्र शास्त्रीवरिष्ठ चिट्ठा कार रहे हैं । अनवरत अपने ब्लॉग के साथ चर्चामंच को चलाना सरल कार्य नहीं है । इसके लिए आपको हम सबकी तरफ से साधुवाद --- आपकी पुरानी रचनाओं में से एक रचना लायी हूँ , सब उसका आस्वादन करें , एक बेहतरीन सोच और सकारात्मक उर्जा के साथ शास्त्री जी की एक उम्दा रचना ....
और अब सभी अतिथियों और इस मंच के सभी साथियों से तथा अपने पाठकों से निवेदन है कि जन्मदिन के उपलक्ष में वीडियो चला कर जन्मदिन का आनंद लें । तत्पश्चात थोडा जलपान लें अनुगृहित करें .
ये मंच इसी तरह साल दर साल अनेक आयाम तय करता रहे । यही शुभकामनाएँ हैं ....
आज सभी मेहमानों का धन्यवाद करते हुए विदा लेते हैं ........
आप सभी पाठकों का धन्यवाद ....... आप हैं तो ये मंच है ......
मिलते हैं अगले सोमवार को फिर इसी मंच पर .....
संगीता स्वरुप
रथयात्रा की शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंवर्षगाँठ का ये
अविस्मरणीय अंक..
आज का अंक अपने आप में एक रचना है..
शब्दाभाव है..लिख नहीं पा रही हूँ..
सादर नमन..
आज के दिन तुमको विशेष रूप से बधाई । इस मंच को निरंतर प्रगति देने का प्रयास सराहनीय है ।
हटाएंरथ यात्रा की शुभकामनाएँ ।
सस्नेह
आपकी परिकल्पना को नमन और साधुवाद
जवाब देंहटाएंसंग्रहनीय और अनुकरणीय प्रस्तुति
रथयात्रा की शुभकामनाएं
विभा जी ,
हटाएंयूँ ही स्नेह का आदान- प्रदान होता रहे । आपकी शुभकामनाएँ बहुत मायने रखतीं हैं।
आभार ।
रथयात्रा के शुभ समय की सभी मेजबानों और मेहमानों को हार्दिक शुभकामनाएँ । आज के अंक की जितनी प्रशंसा करूं कम होगी ।आदरणीया संगीता स्वरूप जी एवं श्वेता जी बहुत बहुत आभार इस संग्रहणीय अंक में शामिल करने के लिए । पांच लिंकों का आनन्द की सालगिरह पर आप सभी को असीम शूभकात्मनाएँ एवं बधाई । जय श्री जगन्नाथ 🙏 🙏
जवाब देंहटाएंकृपया *शुभकामनाएंँ* पढ़ें 🙏🙏
हटाएंमीना जी ,
हटाएंआपकी शुभकामनाओं से हम सब अभिभूत हैं । आप इस उत्सव में शामिल हुईं ये हमारे लिए खुशी की बात है । आपके प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
पाँच लिंक के जन्मदिन की समस्त सुधीजनों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रिय दी,
सादर प्रणाम।
सर्वप्रथम आपके द्वारा बनाये गये इस विशेषांक के लिए
आपके इस श्रमसाध्य संयोजन के लिए हृदय से नमन।
सप्ताह भर से हर छोटी बात का ध्यान रखकर आपने अपनी कलात्मकता से आज का अविस्मरणीय अंक पटल पर रखा है वो सचमुच बहुत अमूल्य है।
सारी पटकथा,सारी मेहनत,सारी सोच सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी है हम कुछ भी नहीं किए आपने सिर्फ़ हमसे इस विषय पर बात ही की आपकी सहृदयता है आपने बातचीत को सहयोग कहकर मान दिया। आपका आशीष पाना सौभाग्य है मेरा।
पाँच लिंक के जन्मदिन पर चर्चाकारों एवं पाठकों के सामंजस्य पर एक सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करती, प्रेम और सौहार्द्र से परिपूर्ण यह अनूठा संकलन बहुमूल्य है।
एक एक मोती छाँटकर उसे गूँथकर आपने माला बनायी है उसकी शोभा अतुलनीय है।
दी प्रशंसा के लिए शब्द नहीं मिल रहे।
मेरी बधाई और बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें।
रचनाओं का आस्वादन आराम से करेंगे।
वीडियो बेहतरीन बना है।
पाठकों से अनुरोध है कि वीडियो अवश्य देखें।
सप्रेम
प्रणाम दी
सादर।
जी दी रचनाओं के साथ संलग्न आपकी स्नेहिल टिप्पणी मुस्कुराहट ला रही:)
हटाएंप्रिय श्वेता ,
हटाएंजैसे किसी भी उत्सव की रूप रेखा पर कोई सहमति दे दे और उसमें थोड़ी सहभागिता भी हो तो आयोजन करने में सुगमता हो जाती है । तो यह बहुत बड़ा सहयोग होता है । अब टाटानगर से बातों के द्वारा ही न सहयोग कर सकतीं थीं ।
बाकी सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह तो जगन्नाथ जी के आशीर्वाद से हो रहा है ।
वैसे भी इस तरह के मंच पाठक और रचनाकारों के बीच सेतु का काम करते हैं ।
तुम्हारी प्रतिक्रिया और ऊर्जावान बना रही है ।वीडियो पसंद करने के लिए 😘 ।
सस्नेह
बहुत ही सुंदर सराहनीय अंक आज का रथ यात्रा की हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएँ आप सभी को। आदरणीया यशोदा दी को दिल से ढेरों बधाई अनेको शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसभी को एक साथ पाकर अत्यंत हर्ष हुआ।लगा ज्यों जीवंत (काया सहित )समारोह में शामिल हुए हैं। सच आज परेशान नहीं हूँ खिलखिलाते हुए आई हूँ। श्वेता दी की रचना बहुत पसंद आई 'प्रेम में डूबी स्त्री’सराहनीय सृजन।
शब्दों के साथ गहरे में उतरते भाव।
सच कहा आपने दी मैं पता नहीं क्यों समय की पाबंद हूँ पहले ही पहुँच जाती हूँ।चलो अब आही गई हूँ तब आपका हाथ बटाती हूँ।
आज कुछ जल्दी में हूँ सास के साथ बाहर जा रही हूँ साँझ को समय मिलते ही सभी रचनाएँ पढूँगी।
आपका दिल से आभार सच बहुत अच्छा लगा।
सादर नमस्कार
प्रिय अनिता ,
हटाएंतुम्हारा ये अपनापन बहुत मन को भाया । बिल्कुल मेरे ही अंदाज़ में हाथ बँटाने की बात कर उत्सव की रौनक बढ़ा दी ।
"लगा ज्यों जीवंत (काया सहित )समारोह में शामिल हुए हैं। सच आज परेशान नहीं हूँ खिलखिलाते हुए आई हूँ।"
यही प्रयास था कि सबको यही लगे कि वो इस उत्सव में पूर्णरूपेण शामिल हैं ।
बस यूं ही खिलखिलाएँ ।
वीडियो पसंद करने का शुक्रिया
सस्नेह
वीडियो बहुत बहुत ही सुंदर है सराहना से परे।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह!बहुत ही खूबसूरत ,सरहनीय अंक ,मन प्रसन्न हो गया । रथयात्रा की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँँ💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंपाँचलिंको की वर्ष गाँँठ के अवसर पर सभी को हार्दिक बधाई । आज का अंक इतना लाजवाब है कि प्रशंसा के लिए शब्द कम पड रहे है । अब एक के बाद एक रचनाओं का रसास्वादन करती हूँ ।
प्रिय शुभा,
हटाएंआप इस उत्सव में शामिल हुईं ,इसके लिए हार्दिक धन्यवाद । आपको ये अंक पसंद आया मन प्रसन्न हुआ । वीडियो पसंद करने का शुक्रिया ।
वीडियो भी बहुत खूबसूरत है
जवाब देंहटाएं"पाँच लिंकों का आनन्द" के हिंदी तिथिपत्र के अनुसार आज छठे जन्मदिन की हार्दिक बधाई .. सभी "पाँच लिंकों का आनन्द" के सदस्यों को, विशेष कर के यशोदा जी और दिग्विजय जी को .. साथ ही "चर्चा मंच" के सभी रचनाकारों को भी जिनकी रचनाएँ आज के जन्मदिन के उपलक्ष में गुँथे गए माले में फ़ूलों की तरह गुँथे गए हैं।
जवाब देंहटाएंयह सुसंयोग है कि संगीता जी की झोली में ये आज की प्रस्तुति आ गिरी, जिसे उन्होंने बख़ूबी अपने होली जैसे अलग अंदाज़ में पेश भी किया है .. सबसे अच्छी बात ये लगी उनकी कि उन्होंने "खेमे में बँटे" रचनाकारों को Quickfix से जोड़ने का काम किया। वैसे तो "खेमे में बँटे" का अर्थ सभी आदरणीय बुद्धिजीवीजन अच्छी तरह समझते होंगे .. शायद ...
मेरी नज़र में आज की प्रस्तुति की सब से खास बात ये लगी और .. दूसरी जलेबियाँ ☺☺ .. एक तो मैं बिना पूछे ही, बिना देर किये खा ले रहा हूँ, बाद में कहीं ठंडी ना हो जाए .. भले ही रात में Insulin की कुछ ज्यादा units लेनी पड़े ..बस यूँ ही ...
सुबोध जी ,
हटाएं🙏🙏
आप अपनी बेबाक प्रतिक्रिया के लिए जाने जाते हैं , ऐसा मुझे लगता है । 😄
आपकी शुभकामनाओं के लिए हृदय से धन्यवाद ।
रही खेमें में बँटे होने की बात तो ये तो सदियों से होता आया है कि अपने वर्चस्व को बनाये रखने के लिए लोग अपने अपने खेमें बना लेते हैं और अखाड़े में उतर जाते हैं ।
होता क्या है कि कुश्ती के खेल का आनंद लेने के बजाय दर्शक एक दूसरे खिलाड़ी को हरवाने का ज्यादा आनंद उठाते हैं ।
Quick fix की छोटी सी ट्यूब दिखती ही नहीं । छेनी हथौड़ी ले कर बैठ जाते हैं । खैर आज उत्सव का माहौल है बस सब प्रसन्न रहें ।
वैसे हर उत्सव होली के अंदाज़ में हंसते , छेड़ते ही मनाना चाहिए । आशा है अंदाज़ पसंद तो आया होगा ।
जलेबियों के रसास्वादन के लिए शुक्रिया , लेकिन इतनी न खाएँ कि इन्सुलिन लेनी पड़ जाए ।
अपनी सी लगने वाली प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद ।
शुभप्रभात आप सभी को। आदरमीय यशोदा दीदी, व भाई दिग-विजय जी को नमन जिनके कारण हम एक साथ जुड़ सके हैं। और चुनिंदा रचनाओं का संगरह कर सके हैं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय संगीता दीदी व श्वेता दीदी को आज के अतुलनीय अंक को बनाने के लिये किये गये प्रीश्रम को नमन। विभा आंटी जी को नमन जो हमे अपने प्रत्येक अंक के साथ हमे संदेश देते हैं किनियमितता बनी रहनी चाहिये। जिनके अंक में हमेशा कुछ नया होता है। भाई रविंद्र जी, पंमी दी, तथा दिव्या दी को भीइस शुभ अवसर पर शुभकामनाएं।
6 वर्ष पूर्व इस ब्लौग का जन्म हुआ था। मैं भी प्रारंभ से ही इस ब्लौग पर नियमित चर्चा करता रहा हूं। इस से पूर्व हम सब ने भाई यशवंत माथुर जी के ब्लौग नयी पुरानी हलचल पर साथ कुछ वर्ष चर्चा लगाई थी।
पिछले एक-डेञ वर्ष से यानी यूं कहें जब से वैशविक महामारी करोना का प्रारंभ हुआ है, मैं गांव में ही हूं। मेरी पोस्टिंग भी मेरे गांव में ही है। पहाड़ी क्षेत्रों में कभी बिजली की समस्या, कभी कमजोर नैट की समस्या अथुवा कभी कोई और समस्या। इस लिये आज कल मैं नियमित प्रस्तुति नहीं लगा पा रहा हूं।बच्चों के विद्यालय प्रारंभ हो जाए और हम शहर में आ जाएं तो प्रस्तुती नियमित लगा सकूंगा। समस्या भी कुछ अजीब सी है, mobile पर नैट ठीक चलता है। पर कंप्युटर पर बार बार डिसक्नैक्ट हो जाता है।
आप सब इतने लंबे समय तक हम से जुड़े रहे। आप सभी का आभार।
कुलदीप भी ,
हटाएंइतने वर्षों से निरंतर आपका सहयोग इस मंच को मिला है । अभी कुछ परिस्थितियों की वजह से परेशानी है तो हम सब हैं साथ । आपकी शुभकामनाएँ हम सबका मनोबल हैं । आपको भी आज के उत्सव की बधाई ।
आभार ।
भी* / भाई पढ़ें
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जवाब देंहटाएंक्षमा, क्षमा
जवाब देंहटाएंतनिक विलम्ब हुआ
आज का अंक देख कर याद आ रहा है
पहली वर्षगाँठ दो बार मनाई गई
एक रथयात्रा के दिन ऐर दूसरी 19 जुलाई को
भाई कुलदीप जी ने व्यवस्था दी
अगली बार से वर्षगाँठ रथयात्रा को ही मनेगी
आज का ये अंक अद्भुत है
साधुवाद
सादर नमन
दिग्विजय जी ,
हटाएंआपके इस कथन ने राहत दी कि वर्षगाँठ रथ यात्रा के दिन ही मनेगी । वरना मेरी साँस तो अटक ही गयी थी । आखिर 19 को भी सोमवार ही है न ।
आपको अंक पसंद आया ,हृदयतल से आभार ।
हटाएंचार वर्ष पहले की बात है
उसके बाद तो प्रतिवर्ष रथयात्रा को ही मनाते हैं
सादर नमन
नमस्ते दी,
जवाब देंहटाएंsorry थोड़ी लेट हो गयी न....निकली तो मीना जी के साथ ही थी मगर....क्या करूँ खुद की तलाश में ही लग गई...सब औरों की खोज-खबर लेने में व्यस्त रहते हैं और... मैं अपना ही पता ढूढ़ती रहती हूँ। लेकिन जैसे ही आपके पकवानो की खुशबु मिली सब छोड़कर भागी आयी हूँ....कही खाना ख़त्म ना हो जाए।यहां आकर इतने सारे प्रिय मित्रों और वरिष्ठों को देखकर इतनी ख़ुशी हुई कि-देखिये न, खाना भी भूल गई। आपकी मेजबानी के क्या कहने दी,छोटी से छोटी बातों का ध्यान रखा है आपने। आनंद आ गया दी।
रथयात्रा और पाँच लिंकों की छठी वर्षगाँठ की हार्दिक शुभकामनाएं..आप सभी को...ये मंच यूँ ही फलता-फूलता रहें। इस ख़ुशी के मौके पर मुझे भी आमंत्रित करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद आप सभी को। यशोदा दी और दिग्विजय सर की मेहनत रंग लायी है...इसका रंग अभी और गहरा और चटक होगा ऐसा पूर्ण विश्वास है। सभी को मेरा सत-सत नमन।
प्रिय कामिनी ,
हटाएंअरे नहीं ! बिकुल देर नहीं हुई । थोड़ा सजने संवरने में वक़्त तो लगता है .... देर हुई तो क्या हुआ ....सुंदर दिख रही हो । और खुद की तलाश में हमें न भूल जाना ।
उत्सव सबसे मिलने का ही बहाना होते हैं ।
प्यार भरी प्रतिक्रिया के लिए ..... क्या कहूँ .....खूब से स्नेह
यूँ ही आते जाते रहिए सौहार्द बना रहेगा ।
जवाब देंहटाएंपाँच लिंक के जन्मदिन की बधाई।
बेजोड़ श्रमसाध्य संयोजन के लिए शुभकामनाएँ। सभी चर्चाकारों को एक साथ बड़ी कलात्मकता से पिरोयी गयीं है। सुरुचिपूर्ण शब्दों से हर एक पर बोलियां लाजवाब।पढ़तें -पढ़तें सचमुच मुस्कराहट सी तैर रही। मजा आ गया दी। सबकी बेबाक प्रतिक्रिया भी मजेदार है आज तो।
चलचित्र की तरह लग रही..मतलब इक गयीं तो दूसरे की बातें करतीं..वीडियो तो और भी जबरदस्त..💐💐अब श्वेता जी द्वारा फोटो भेजने की बात ...वजह जानी, पर बाहर थी, कोई गल नहीं जी, सब बहुत खूबसूरत लग रहे है।
चलिये छोडिये दी..हम भी बातों को बढ़ातें है..देखो न आज दी बहुत कुछ लाई है , अरे वाह!! उसमें मैं भी हूँ🙂आँखों में नमी के साथ। बहुत बहुत शुक्रिया।
इस उत्सव पर तो ये कहना है...
"ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ "
डॉ बशीर बद्र
जय जगन्नाथ🙏🙏
प्रिय पम्मी ,
हटाएंआज सबका जोश देखते ही बन रहा है । बस ऐसा ही चित्र कल्पना में सजाया था और खुशी है कि कुछ कुछ ऐसा ही तुम महसूस कर रही हो ।
बशीर बद्र जी के शेर के बाद तो बस लग रहा कि हम सब यहीं ठहर जाएँ ।
जय जगन्नाथ ।
आह हा कैसा मनभावन पृष्ठ सजाया है। जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं। यह मंच यूँ ही गुलजार रहे, इसे गुलजार करने वाले यूँ ही बने रहें। पावन दिन है और बेहतरीन लिंक्स भी।
जवाब देंहटाएंथालियों में सजे पकवानों में से एक सब कुछ ले लिया है और अब हैप्पी बर्थडे गा रहे हैं।
प्रिय शिखा ,
हटाएंयूँ ही दुआएँ मिलती रहें , यूँ ही लिंक्स पढ़ते रहें ।
भोग लगे भगवान को , यूँ ही कदम पड़ते रहें । 😄😄😄
आज का अंक बहुत ही सुंदर व सराहनीय है।रथ यात्रा और ब्लॉग के जन्मदिवस की हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएँ आप सभी को।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी ने बहुत परिश्रम से व लगन से विविध रंगों से सज्जित अंक तैयार किया है।
आज के अंक की जितनी प्रशंसा की जाय कम होगी ।
-जगन्नाथ जी के बारे में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई।🙏
-कृष्ण की व्यथा- मैं कृष्ण हूँ, मुझे कृष्ण ही रहने दो….वाह!
-उड़ चला है वक्त..सच है, कब डरता है इंसान वक्त से ?
- भगवान शालिग्राम कथा ने भाव विभोर कर दिया-भक्त जहाँ मम पग धरे,, तहाँ धरूँ में हाथ…🙏
-पर्यावरण पर सुंदर रचना
- प्रेम में डूबी स्त्री---बचाए रखती है सृष्टि में प्रेम के बीज••!
- बिंदी- बेटियाँ किसी भी जगह कम नहीं ..बहुत अच्छी बेटियों का हौसला बढ़ाने वाली कहानी!
कुछ लिॉक पढ़े बाकी भी जल्दी पढ़ती हूँ !
उषा जी ,
हटाएंआपकी टिप्पणी पढ़ कर लगता है कि मेहनत सफल हो गयी । आपको अंक पसंद आया इसके लिए तहेदिल से शुक्रिया । आपकी टिप्पणियां हमेशा हौसला बढ़ाती हैं ।
.हमारी ओर से भी अब पासे श्री कृष्ण फैंकेंगे....
हटाएं-विटामिन डी ( वर्ण पिरामिड )
-कहो न सब ठीक हो जाएगा
-खुद में खुद की तलाश जारी है
-लेटर
-सुनो बादल
-प्रकृति की रक्षा जीवन की सुरक्षा
-बैकडोर एंट्री
-बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
-जुबाँ से खुलेंगे, हरफ धीरे-धीरे
बाकी रचनाएं भी पढ़ लीं….सारी रचनाएं बढ़िया…वीडियो भी बहुत सुन्दर बहुत बधाई व शुभकामनाएँ 💐💐
उषा जी ,
हटाएंआप जैसे पाठकों के लिए ही हम लिंक सजाते हैं ।आपकी टिप्पणी से मेहनत सफल हो जाती है । हर लिंक पर जा कर रचनाकार का हौसला भी बढ़ाया ।
बहुत बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंभौंचक हो गई
इन्ने सारे हीरे-मोती बिखेर दिए..
आभारी हूँ,और रहूँगी सदा..
सादर प्रणाम..
प्रिय दिव्या ,
हटाएंमैंने बिखेरे ही इसलिए हैं कि आप जैसे पाठक बीन सकें । शुक्रिया ।
आदरणीय दीदी, आपको मेरा सादर प्रणाम !
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम "पाँच लिंकों का आनंद " के जन्म दिन पर आपको और सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
आज का सुंदर अंक देख मन प्रफुल्लित हो गया,बस यही कहना चाहती हूँ, कि ये ब्लॉग नित्यप्रति सफलता की ऊँचाइयों को छुए,और हम इसी तरह केक काटकर ख़ुशियाँ मानते रहें,केक खाते रहें,बहुत थोड़ा सा गालों पर भी लगाते रहें।
आपने मेरी रचना के साथ मुझे भी बुलाया,सुंदर सरप्राइज़ देने के लिए दिल से शुक्रिया,बस ईश्वर से कामना करती हूँ कि आपका ये सुंदर उल्लासपूर्ण श्रमसाध्य कार्य जारी रहे,हमें प्रेरित करता रहे,हम नित नव तरीक़े सीखते रहें,ख़ासतौर से जीवन जीने की कला।
आज पारिवारिक व्यस्तता के चलते लिंकों पर नहीं जा पाई हूँ,परंतु जाऊँगी ज़रूर। आपको मेरा सादर नमन एवं वंदन।
प्रिय जिज्ञासा ,
हटाएंआपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद । इस मंच को जीवंत रखने में यशोदा जी का आभार ।
उत्सव में आईं और खूब केक मुँह पर लगा खुशी मनाई इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसुशील जी ,
हटाएंआज के उत्सव में आपने आ कर मान बढ़ाया । हार्दिक धन्यवाद ।
वाह बहुत सुंदर लिंक्स !!आज के दिन की ढेरों बधाइयाँ व अनेक शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंप्रिय अनुपमा ,
हटाएंपसंद करने का और आपकी शुभकामनाओं के हार्दिक धन्यवाद । उत्सव में आने के लिए आभार ।
देरी के लिए क्षमा।
जवाब देंहटाएंविश्व प्रसिद्द उड़ीसा में पुरी की जगन्नाथ जी की रथयात्रा का दिन और सामूहिक ब्लॉग 'पाँच लिंकों का आनन्द' के अवतरण का दिन शुभता की अनुभूति से सराबोर है। रथयात्रा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आदरणीया संगीता दीदी ने आज की प्रस्तुति में नवीनता और रोचकता को अपने चिर-परिचित अंदाज़ में प्रस्तुत किया है। आत्मीयता से लबरेज़ यह प्रस्तुति चर्चाकारों,रचनाकारों और पाठकों के लिए प्रेरक और मनमोहक है। 'पाँच लिंकों का आनन्द' का सफ़र यों ही अनवरत चलता रहे और साहित्य-सेवा का हमारा जज़्बा कभी कम न हो।
आदरणीया दीदी में मेरी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि मैं मेजबान भी हूँ और मेहमान भी। 'चर्चामंच' और 'पाँच लिंकों का आनन्द' दोनों ब्लॉग पर चर्चाकार की भूमिका में हूँ।
'पाँच लिंकों का आनन्द' ब्लॉग में रचनाओं के चयन की निर्धारित संख्या रचनाकार में एक ओर जहाँ उत्साह और श्रेष्ठता का भाव उत्पन्न करती है वहीं कुछेक रचनाकारों में मलाल भी क्योंकि प्रस्तुति में 24 घंटों में प्रकाशित सभी श्रेष्ठ रचनाओं को समाहित नहीं किया जा सकता।
'पाँच लिंकों का आनन्द' ब्लॉग को अपना स्नेह,आशीर्वाद और मार्गदर्शन देने के लिए आप सभी का सादर आभार। भविष्य में ऐसे अवसरों का सिलसिला चलता रहे, यही उम्मीद है।
आदरणीया दीदी में = आदरणीया दीदी ने
हटाएंरविन्द्र जी ,
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया से अभीभूत हूँ । बस ऐसा ही सौहार्द का वातावरण रहे तो आनंद की अनुभूति होती है । आप सबका साथ पाँच लिंकों के आनंद के सफर को यूँ ही खुशनुमा रखेगा , ऐसा विश्वास है ।
आपने इस उत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई इसके लिए शुक्रिया ।
हार्दिक शुभकामनाएं जन्म दिवस पर।
जवाब देंहटाएं,"पाँच लिंको का आनंद" का आज अवतरण दिवस है ये बहुत ही सुखद अहसास है,आज की प्रस्तुति ऐसा लग रहा है जैसे मंच के सामने बैठ कर एक से एक
कलाकार का साक्षात अभिनय कौशल देख रहे हैं ।
पाँच लिकों के सभी चर्चाकारों और सभी सदस्यों को आत्मीय बधाई ,इस अविस्मरणीय दिवस और इस शानदार प्रस्तुति के लिए।
संगीता जी की अथक प्रतिबद्धता को सलाम !
गज़ब समर्पण भाव हैं उनके अपने कार्य के प्रति।
आज की अद्भुत पेशकश और जन्म दिवस पर पुनः आत्मीय शुभकामनाएं।🌷🌷
मंच सदा तरक्कियों के सोपान चढ़ता रहे ।
जल्दी ही सभी लिंक पढ़ने हैं ।
कुसुम जी ,
हटाएंआपकी इतनी आत्मीय प्रतिक्रिया पा कर मन गदगद हो गया । आप जैसे पाठकों से ही इस मंच की रौनक है । आपने सबके अभिनय कौशल को महसूस किया , मेरी मेहनत सफल हुई । आप इस उत्सव में आईं और भावपूर्ण सराहना की इसके लिए हृदय से धन्यवाद ।
आप लोगों की उपस्थिति ही इस मंच को नए सोपान तक ले जा सकती है । पुनः आभार
सबसे सुंदर आपकी लाजबाव प्रस्तुति फिर मोहक विडियो तथा इस ब्लॉग के जन्मदिन की ढेरों बधाई, जगन्नाथ रथयात्रा की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंभारती जी ,
हटाएंआपकी उपस्थिति ने हम सबके मनोबल को बढ़ा दिया है । आपकी सराहना मन को हर्षित कर रही है । बहुत बहुत धन्यवाद ।
आदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंसब से पहले तो “पाँच लिंकों के आनंद” के जन्मदिन की ढेरों बधाई । पाँच लिंक जिए हजारों साल , साल के दिन हों पचास हज़ार । आज के इस विशेष दिन की विशेष प्रस्तुति को पढ़ कर आनंदित हूँ, स्वर्णिम दिन की स्वर्णिम प्रस्तुति । आज की हर एक रचना अत्यंत सुंदर और प्रेरक है, सद्भाव और सत्विकता से भरी हुई । आपकी विशेष टिप्पणियों और अनोखी भूमिका ने इस प्रस्तुति को और भी खास बना दिया। पाँच लिंक के आनंद के लिए जो लिखूँ, वह कम है । जो स्नेह , आशीष और प्रोत्साहन मुझे यहाँ आप सब से मिला है , उसके लिए तो आभार का हर शब्द छोटा है । अब तो यह स्थान घर सा लगने लगा है । इस मंच पर पहली बार मेरी कविता आदरणीया श्वेता मैम ने की थी, उस दिन से मुझे जो स्नेह और आशीष मिला है, वह जीवन-भर ऐसे ही बना रहे, यही कामना है । जब भी मेरी कोई रचना यहाँ साझा होती है तो मन आनंद से भर जाता है और आप सबों की उदारता के लिए कृतज्ञता ही कृतज्ञता अनुभव करती हूँ । आज के इतने विशेष दिन, देर से आई हूँ और बीच- बीच में ऐसे गायब हो जाती हूँ , इसके लिए क्षमा मांगती हूँ। आज इस कारण मन थोड़ा दुखी भी हुआ कि इतना विशेष दिन और मैं इतनी देर से ...................। इन दिनों आप सबों के आशीष से मुझे टीचिंग इंटर्नशिप मिली है अंग्रेजी पढ़ाने के लिए, इसी कारण नहीं आ पाती हूँ पर प्रयत्न करूँगी । आप सबों को प्रणाम व बधाई ।
प्रिय अनन्ता ,
हटाएंआपको यहाँ देख कर मन बहुत प्रसन्न है । क्यों कि मुझे लगा था कि तुम शायद अपनी व्यस्तता के कारण न आ पाओ । देर आये दुरुस्त आये , टीचिंग इंटर्नशिप के लिए हम सबकी तरफ से बधाई और शुभकामनाएँ ।
आपकी प्रतिक्रिया से हमारा हौसला भी बढ़ता है । वक़्त निकाल कर कभी कभी आया कीजिये । आज की प्रस्तुति पसंद करने के लिए शुक्रिया
सस्नेह
आदरणीया संगीता दीदी,
जवाब देंहटाएंआज के अनूठे अंक को सदा याद रखा जाएगा।
पाँच लिंकों का आनन्द इसी तरह आनंद के खजाने लुटाता रहे, सबको जोड़ता रहे, हिंदी ब्लॉगिंग में नए प्राण फूँकता रहे, हमारे सभी आदरणीय चर्चाकार (मेहमान व मेजबान दोनों) हमारे उत्साह को बढ़ाकर हमें प्रेरित करते रहें...
ढेर सारी शुभेच्छाओं के साथ एक गीत प्यारी संगीता दीदी के लिए -
"तुम जिओ हजारों साल,साल के दिन हों पचास हजार!
और साल के हर हफ्ते में, आएँ तीन सोमवार !!!"
Note : सभी रचनाएँ पढ़ना अनिवार्य है, वरना मिठाई की प्लेट ना छुएँ..
दी, मैं कल पढूँगी। जलेबी मेरी भी फेवरिट है। देखना, सारी ना खत्म हो जाएँ।
स्नेह व शुभकामनाओंसहित....
प्रिय मीना ,
हटाएंआपकी इतनी प्यारी प्यारी बातें पढ़ते हुए मुस्कुराहट बरकरार रही बस एक जगह जान सांसत में आ गयी जब ये पढ़ा कि हफ्ते में आएँ तीन सोमवार 😄😄😄😄 । थोड़ा रहम बालिके 🙏
आज की प्रस्तुति अनूठी लगी यह जान कर मन गार्डन गार्डन हो रहा 😄😄 ।
Note जो लगाया तुमने वो बिल्कुल सही .....
थोड़ा पहले आना था अब तो सब क्या पता बिना पढ़े ही मिठाई खा चुके होंगे । चलिए कोई बात नहीं .... उत्सव में सब चलता है । एक राज़ की बात है कि इन मिठाईयों की एक खासियत की ये खत्म नहीं होतीं ।
😄😄😄😄🤣🤣🤣
आपको बहुत सा स्नेह
अहा ! इतनी सुंदर - सुंदर लिंक का संयोजन, प्यारा सा आमंत्रण और साथ में स्वादिष्ट पकवान भी .... पूरा का पूरा आयोजन शानदार ... लग रहा है जैसे त्यौहार हो . शुभकामनायें आप सभी को
जवाब देंहटाएंअहा , संध्या ,
हटाएंआपको यहाँ देख कर आनंद आ गया । आपकी प्यारी सी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद । आप की उपस्थिति ने इस को त्योहार में ही बदल दिया है ।
आभार ।
रथ यात्रा की असीम शुभकामनाओं के साथ पांच लिंकों के आनन्द की जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई आप सभी को।
जवाब देंहटाएंसभी मेजबानों एवं मेहमानों से मिलते मिलते इतनी रात हो गयी मिलने में जितना आनंद था साथ ही भय भी कि मेरे हिस्से का केक खत्म न हो जाय..और जलेबी! ओहो! कितनों की फेवरिट है शुक्र है आपने कंजूसी नहीं की थी...भर भर कर लाये तभी तो सबके लिए पर्याप्त हो गयी....।
वैसे जलपान व्यवस्था के साथ ही आपकी मेजबानी और मेहमाननवाजी भी कमाल की है...और आश्चर्य तो तब हुआ जब पहली बार इस पार्टी में मेरी फोटो वीडियो भी उपलब्ध है...वरना हमेशा एलबम और वीडियो आने पर देखने वाले पूछते हैं कि क्या मैं वहाँ उपस्थित ही नहीं थी।
कुल मिलाकर आज की प्रस्तुति बहुत ही अद्भुत और अविस्मरणीय है....हर रचना से पहले आपकी रोचक प्रतिक्रिया पाठक के चेहरे पर बरबस मुस्कान लाकर रचना को और भी पठनीय एवं प्रस्तुति को और भी मनमोहक बना रही है...मैं तो आपके इस अंदाज की कायल हो गयी हूँ।
बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति अनंत शुभकमनाएंएवं शत-शत नमन।
सुधा जी ,
हटाएंसच ,आज मेहमान और मेज़बान मिल कर जो समय बिता रहे हैं यह अद्भुत समां बन रहा है । अभी सोच ही रही थी कि पता नहीं सुधा जी कुछ समय वमय चुरा पायीं या नहीं 😆😆😆 ।
आप सभी पाठकों की प्रतिक्रिया मेरे लिए संजीवनी का काम करती है । और हाँ बड़ी मुश्किल से आपकी फ़ोटो चुराई , सब पर ताला लगा कर रखतीं हैं । कहाँ कहाँ भटकाया आपने , आपको क्या पता । फेसबुक पर तो कोई फ़ोटो ही नहीं डाली आपने । खैर ,हम भी कोई छोटे चोर थोड़े ही हैं बस चुरा लाये ब्लॉग से ही ।🤣🤣🤣
सुंदर प्रतिक्रिया और शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद
🎈🎈🌷🌷🎂🎂🎊🎊🎉🎉🎈🎈🌷🌷🙏🙏
जवाब देंहटाएंप्रिय दीदी,
सर्वप्रथम , जगनाथ जी के श्री चरणों में सादर नमन !ना चाहते हुए भी आज फिर से देर हो गई।कुछ नेट की असुविधा और बिजली का संकट जो प्रायः नहीं होता पर आज बार -बार हुआ| एक बार फिर क्षमा प्रार्थी हूँ | मंच पर इतनी रौनक लगी है सुबह से | बार- बार देख रही हूँ और इसका हिस्सा ना बन पाने का एहसास होता रहा बार -बार | आज के अविस्मरनीय अंक की क्या कहूँ | मिठाइयाँ , केक , , गीत , मधुर कवितायें . कहानियाँ , संगीत और मुस्कानें सभी हैं | सब कुछ सकारात्मक और आनंददायी | पांच लिंकों ने जाने कितने पाठकों को पठनीय और उत्तम रचनाओं के पठन -पाठन का सुखद अनुभव दिया तो कितने ही नवागत रचनाकारों के नवसृजन को अनगिन पाठकों तक पहुँचाया | भगवान् जगन्नाथ की रथ यात्रा के दिन शुरू हुई मंच की संकल्प- यात्रा के कारवाँ में ना जाने कितने लोग जुड़े और कितनी रचनाओं का आदान -प्रदान हुआ | अपनी कहूँ , तो आठ जुलाई को ब्लॉग की स्थापना को चार साल पूरे हो गये | उससे पहले शब्दनगरी से ही रवीन्द्र भाई और प्रिय ध्रुव ने मेरी दो तीन रचनाओं को पांच लिंकों के मंच से जोड़ा तो सोच नहीं पाई कि ये पाँच लिंकों का आनंद क्या है और इसका तात्पर्य क्या हो सकता है??????? फिर भी पहली बार आई तो शायद बिना आभार दिए वापिस हो गयी | इतने बड़े रचनाकारों में मेरी हस्ती कहाँ थी ? पर धीरे- धीरे जब मेरा ब्लॉग बना तो पहली थी रचना को लिंक कर मंच ने मेरी रचना -यात्रा की शुरुआत को यादगार बना दिया | साल- ढेढ़ तक हर तक़रीबन हर रचना मंच पर सजती रही | हमकदम के बहाने मेरी बहुत सी यादगार रचनाएँ आयीं जिन्हें पाठकों ने खूब सराहा | आज सभी यादें भावुक कर गयी | सभी चर्चाकारों के साथ पञ्च लिंक परिवार ने अपने वीडियो विशेष में मुझे भी शामिल किया ये मेरे लिए एक गौरव का विषय और सुखद सरप्राइज रहा |इस अपनेपन के लिए आभार कहूँ तो इसकी महिमा जाती रहेगी, बस यही कामना करती हूँ स्नेह का ये बंधन अटूट रहे |और तारीख की बजाय रथ- यात्रा दिवस को जन्मदिन मनाने का निर्णय स्वागत योग्य है |मंच को सादर, सस्नेह नमन करते हुए सभी चर्चाकारों के साथ ,आपके स्नेह के लिए ह्रदय तल से आभार है दीदी| आप लोगों से स्नेह से मुझे बहुत कुछ मिला जो शब्दों में बाँधा नहीं जा सकता | पाँच लिंकों का परिवार यूँ ही बढ़ता जाए और वसुदधैवकुटुम्बकम की परम्परा का निर्वहन करते हुए अपने पावन लक्ष्य को छूता रहे यही कामना है | आपको मेरी प्यार भरी शुभकामनाएं , इस सुंदर श्रम साध्य प्रस्तुति के लिए | रचनाओं की सुंदर समीक्षाओं के लिए और शानदार भूमिका के लिए | विशेषकर जगन्नाथ मंदिर के दस चमत्कारों से परिचित कराने के लिए | निश्चित रूप से हम हरियानावासी भगवान् जगन्नाथ की महिमा को अभी तक पूर्ण रूप से नहीं जान पाए | सादर |🙏🙏🌷🙏🙏😂
प्रिय रेणु ,
हटाएंआज तुम यहाँ टिप्पणी करते हुए कितनी भावुक हो रही हो महसूस कर रही हूँ ।समझ पा रही हूँ कि इस मंच से तुम्हारा कितना जुड़ाव रहा है ।ऐसे मंच नवोदित रचनाकारों या कहूँ कि नए ब्लॉगर्स को एक पहचान देते हैं , तो गलत नहीं होगा । कभी मेरी और लोगों के बीच पहचान बनाने में ऐसे ही मंचों का बहुत योगदान रहा । कुछ शायद ऐसे मंच की महत्ता को स्वीकार न करते हों , लेकिन ये मंच एक जगह ही अनेक ब्लॉग तक पहुँचने का आसान जरिया होते हैं ।
इस प्रस्तुति में मेरी लिखी भूमिका पसंद करने का तहे दिल से शुक्रिया ।
भगवान जगन्नाथ की महिमा को यूँ भी कौन सम्पूर्ण रूप से जान पाया है , बस यही कहते हैं कि यदि रथ यात्रा में कोई शामिल हो जाता है तो मोक्ष मिल जाता है । पुरी के मंदिर में भगवान जगन्नाथ ( कृष्ण ) , उनके भाई बलभद्र ( बलराम ) और बहन सुभद्रा की मूर्तियाँ हैं । जो काष्ठ की बनी हैं और अधूरी निर्मित हैं । इन सबके पीछे कहानियाँ हैं ।
तुम लोगों से मिला मान ही मेरी धरोहर है । इतनी आत्मीय प्रतिक्रिया के लिए बहुत सा स्नेह
अब आज की रचनाओं पर कुछ विचार | कृष्ण की व्यथा विस्मय से भर गयी ! कृष्ण के प्रश्न उनकी व्यथाकी पराकाष्ठा को सिद्ध करते हैं --
जवाब देंहटाएंपांचाली मेरी सखा /जिससे मैं /मन की कहता था//
उसके मन की /गुनता था ,//
नहीं खोल पाए /तुम्हारे चक्षु /और आज भी तुम /पड़े हो इस फेर में //
कि क्या विपरीत लिंगी /हो सकते हैं /सच्चे मित्र/////
यशोदा दीदी की रचना भागते दौड़ते समय का आइना है तो श्रद्धा और विश्वास के कोई तर्क नहीं होते -- ये सिद्ध करती है दिग्विजय भाई की भावपूर्ण प्रस्तुत -- शालिग्राम कथा | परम्पराओं के बहाने बरगद सरीखे बड वृक्ष को जीवन दान देती प्रवृति को उद्घाटित करती विभा दीदी की विचार कथा सार्थक और प्रेरक है |सृष्टि में प्रेम के अमरत्व को निश्छलता से सहेजती स्त्री की भावपूर्ण कथा प्रिय श्वेता की कलम से मन को झझकोर गयी | संवेदनशील कवियत्री के विचारों की उड़ान का कोई ओर और छोर नहीं | एकांत में प्रकृति के माध्यम से मन के भावों को विस्तार देती पम्मी जी भावपूर्ण रचना और दिव्या द्वारा प्रस्तुत श्रद्धा जी की नारी शक्ति की पराक्रम गाथा बहुत प्रेरक लगी | कुलदीप भाई की भ्रष्ट नेताओं को खरी खरी तो रविन्द्र भाई के पिरामिड सोने पे सुहागा |जीवन में हताशा से आत्महत्या का वरण करने वाले व्यक्ति की व्यथा कथा अनिता जी की कलम से तो खुद की तलाश में -- सखी कामिनी का विचार लेख बहुत बढिया लगा | पहले पत्र लेखन के माध्यम से किसी के मन की बात को आसानी से जाना जा सकता था लेटर के माध्यम से मीना जी ने खूब दर्शाया | और हमारी सबकी दुलारी और निष्पक्ष स्नेहिल पाठिका सुधा जी देवरानी की सराहना के लिए प्रशंसा के शब्द नहीं मेरे पास |निर्लिप्त भाव से उत्तम पाठक के रूप में , उनकी शालीन और विस्तृत टिप्पणियाँ नए पुराने रचनाकारों को आनंद और आह्लाद से भर देती हैं | समस्त ब्लॉग जगत में , उनके लेखन से कई गुना उनकी टिप्पणियाँ दर्ज हैं | उनका हार्दिक अभिनन्दन उनकी शानदार रचना के साथ |शिक्षा ना हो तो नारी जीवन निरर्थक और शिक्षा के लिए प्रस्थान करने वाली बेटियों के प्रति चिंता और दर्द को उद्घाटित करती जिज्ञासा जी की सार्थक रचना मार्मिक और हृदयस्पर्शी है | इसके साथ ही दिलबाग जी और मयंक सर की रचनाएँ भी बढिया रहीं | प्रस्तुति की शान बढाता वीडियो तो लाजवाब है ही |
मिठाइयों के ढेर रसीले और लाजवाब हैं | अहोभाग्यम!! मेरी पुरानी रचना बीको स्नेही पाठकों तक पहुंचाने के लिए हार्दिक आभार। जिन्होंने आकर रचना पढ़ी उनका शुक्रिया। सभी पाठको को बधाइयाँ और रचनाकारों का अभिनन्दन | सभी सकुशल रहें , सानंद रहें और पाँच लिंकों की महफ़िलें यूँ ही आबाद रहें , खिलखिलाती रहें -- इन्हों दुआओं के साथ आप सब की -- रेणु
कुछ प्रतिक्रियाएं अभी शेष हैं समय मिलते ही लिखती हूँ
🌷🌷🙏🙏🙏🙏🌷🙏🌷🌷🙏🙏🙏🙏🌷🌷
प्रिय रेणु
हटाएंहर लिंक पर जा कर पढ़ना और यूँ प्रतिक्रिया देने सरल नहीं । तुम्हारी इस क्षमता को नमन । आज तो मेरे ब्लॉग का भी लिंक था तो तुम्हारी प्रतिक्रिया मिलने का सौभाग्य भी मिला , बाकी सब रचनाएँ पढ़ जो तुमने विस्तृत प्रतिक्रिया दी है वो हर रचनाकार के लिए सुखद अनुभूति होगी ।
आज की पूरी प्रस्तुति पर गहरी नज़र रही है । इतनी सराहना पा कर सारी थकान उतर गई ।
एक गुज़ारिश की यूँ ही पाठक आते रहें तो ये मंच आबाद रहेगा । बहुत बहुत प्यार 😘😘🌷🌷
पाठकों की प्रतिक्रियाएं अभिभूत कर गईं 😂🙏🌷🌷🎈🎈❤️
जवाब देंहटाएं😍😍😄😄😄😄🌹🌹🌹🌹🌹
हटाएंअद्भुत प्रस्तुतिकरण. बधाई हो !
जवाब देंहटाएंनूपुरं जी ,
हटाएंआभार ।
सारी रचनाएँ पढ़ आई,आनंद आ गया और सीखा समझा भी। आपको और यशोदा दीदी को मेरा हार्दिक प्रणाम और शुभलामनाएं 🙏🙏
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जिज्ञासा , मैंने पढ़ तो पहले ही लिए थे लेकिन उपस्थिति दर्ज नही की थी । पुनः पढ़ कर हाज़िरी लगा कर आ रही हूँ ।
हटाएंबहुत खुशी हो रही है कि कुछ लोग हर लिंक पर पहुँचे । उन सबका आभार ।
बहुत सुंदर विडियो एवं सुंदर और सार्थक रचनाएं। सभी सखियों मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।सभी को इस सुंदर प्रस्तुति की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंसुजाता जी ,
हटाएंआप आईं , मन प्रसन्न हुआ । सराहना के लिए
बहुत बहुत शुक्रिया
प्रीति भोज हो तो ऐसा ... जब जी चाहे छक कर रसास्वादन कर लो । सबों को अमूल्य योगदान के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ । सब मंचों की चिरजीविता हजारों साल बनी रहे । सबों की हार्दिक कामनाएँ फलित हो ।
जवाब देंहटाएंअमृता जी ,
हटाएंआपके आने से मंच की रौनक बढ़ गयी । आपके शुभकामनाओं से अभिभूत हैं ।
आभार
बहुत खुशी हुई।
जवाब देंहटाएंदेवेंद्र जी ,
हटाएंआप अनुमान नहीं लगा सकते कि आपका यहॉं आना कितना सुखद लग रहा है ।
हृदयतल से आभार ।🙏🙏🙏🙏
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअर्चना के इन स्वरों में,
जवाब देंहटाएंएक स्वर मेरा मिलाना।
इंद्रधनुषी वर्ण-वैभव,
सृजन की ज्योति जलाना।
सुभद्रा, जगन्नाथ और
बलराम का स्यंदन सुहाना।
रथ की तू रास थामे
बढ़ते जाना, बढ़ते जाना।
बधाई और शुभकामना!!!
विश्वमोहन जी ,
हटाएंइतनी सुंदर और भाव पूर्ण प्रतिक्रिया पा कर हम सभी धन्य हुए ।
अर्चना के स्वर हमारे
एक साथ मिलते रहें
रास थामें जगन्नाथ रथ की
एक साथ बढ़ते रहें ,
शब्द शब्द जोड़ कर सब
नव सृजन करते रहें ।
हार्दिक आभार
विश्वमोहन जी ,
हटाएंइतनी सुंदर और भाव पूर्ण प्रतिक्रिया पा कर हम सभी धन्य हुए ।
अर्चना के स्वर हमारे
एक साथ मिलते रहें
रास थामें जगन्नाथ रथ की
एक साथ बढ़ते रहें ,
शब्द शब्द जोड़ कर सब
नव सृजन करते रहें ।
हार्दिक आभार