नमस्कार !
पिछले सोमवार को मैंने जरा सी मिर्ची और धनिया पत्ती क्या बढ़ाई कि न जाने किस किस चीज़ की मांग होने लगी ..... ..... कोई बात नहीं हम भी पुराने खिलाड़ी हैं निराश नहीं करेंगे .... आप एक मांगेंगे हम दो देंगे .... इसलिए आज पाँच लिंक का कोई बंधन नहीं .... आज की चर्चा उन्मुक्त रूप से आप सबके सम्मुख हाज़िर करने की इजाज़त चाहती हूँ . वैसे आप इजाज़त दें या न दें मैंने तो वही करना है न जो मेरा मन कहे , तो आज मेरे मन की ही पढ़िए |
आज विश्व योग दिवस भी है तो एक संदेश
व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं।
आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥
अर्थात्
"व्यायाम से स्वास्थ्य, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य है और स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं।"
कहते हैं" स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का वास होता है।"
"स्वास्थ्य सबसे बेशकीमती संपत्ति है।"
योग इन सभी शब्दांशों का निचोड़ है।
योग का अर्थ है जुड़ना। मन को वश में करना और वृत्तियों से मुक्त होना योग है।
योग शरीर में सूक्ष्म प्राण शक्ति को विस्तार देने की साधना है। स्वस्थ जीवन शैली का आधार योग को माना जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। कोरोना काल में योग की महत्ता की परीक्षा हो चुकी है।तो थोड़ा अपनी सेहत का ख्याल रखें , योग करें , प्राणायाम करें , और स्वस्थ रहें .....
यूँ तो हिंदी ब्लॉग जगत इतना विशाल है कि कुछ ब्लॉगर्स के नाम चयन करना बहुत मुश्किल काम है फिर भी मैं ब्लॉग्स के समंदर से कुछ ब्लॉगर्स का परिचय कराने जा रही हूँ ..... कुछ वो जो २००६ - २००७ से ब्लॉग लिख रहे हैं और अपने ब्लॉग पर नियमित पोस्ट डाल रहे हैं ..... और कुछ उन ब्लॉगर्स को लिया है जिन्होंने कुछ समय बाद अपना ब्लॉग शुरू किया लेकिन उनकी लिखने की क्षमता से और लेखन शैली से मन प्रभावित हो रहा है ... आइये मिलते हैं आज के कुछ मेरी पसंद के ब्लॉगर्स से ...... सच कहूँ तो बहुत लम्बी लिस्ट है मेरी |आज जिनसे परिचय करा रही हूँ उनके अतिरिक्त और भी बहुत नाम हैं जिनका परिचय ऐसे ही कराती रहूँगी... समझिएगा ये प्रथम कड़ी है ..... ऐसी कड़ियाँ और भी मिल सकतीं हैं ...... यदि आपको ये कड़ी पसंद आई तो ..... मेरा भी तो ऐसी चर्चा करने का प्रथम ही प्रयास है .....
सबसे पहले परिचय करा रही हूँ दिगंबर नासवा जी से , जिनसे आपमें से बहुत लोग अच्छी तरह परिचित हैं ...... यूँ तो गीत , अतुकांत रचनाएँ भी लिखी हैं लेकिन ग़ज़लों के शहंशाह कहें तो अतिश्योक्ति न होगी .... इन्होने अपना ब्लॉग २००६ में प्रारंभ किया था ...
२००६ में अपने देश से दूर शायद अकेले रहते हुए जो महसूस हुआ उसको इन्होने बहुत सहजता से वर्णित किया है .....
दिया जलेगा या बाती या तेल जलेगा
या मेरा दिल कोने मैं चुपचाप जलेगा
*****************************************
जून २०२१ की नयी पोस्ट
कश्तियाँ डूबीं अनेकों फिर भी घबराया नहीं ...
प्रेम हो, शृंगार, मस्ती, या विरह की बात हो,
कौन सा है रंग जिसको प्रेम ने गाया नहीं.
स्वर्ग
विवाह के समय माँ अपनी बेटी को सीख देती है कि बेटी तू जिस घर में जा रही है, उसे स्वर्ग बना देना। विवाह की बेला तो वैसे ही सपनों में तैरने की बेला होती है, बेटी भी मना नहीं करती है। अब नये घर के काम काज भी ढेर सारे होते हैं, नये सम्बन्धी, नयी खरीददारी, ढेर सारी बातें मायके की, ससुराल की। कई तथ्य जो कुलबुला रहे होते हैं, उनको निष्पत्ति मिल जाने तक नवविवाहिता को कहाँ विश्राम। इस आपाधापी में बेटी को माँ की शिक्षा याद ही नहीं रहती है।
कुशल भगवन, सर्वहित प्रेरक बने हो,
तम हृदय में, प्रेम के दीपक जला दो ।
तव प्रतिष्ठा अनवरत होवे प्रचारित,
भावरस में ज्ञानपूरित स्वर मिला दो
***********************************
एक और चर्चित ब्लॉगर का परिचय ------ अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न......... बाकी का परिचय ब्लॉग पर जा कर पढियेगा ... मिलिए शिखा वार्ष्णेय से .....
कौन
विज्ञान और विकल्प
कभी कहीं पढा था दीवारें मौन होती हैं.बचपन से आज तक सुनती आयी हूँ दीवारों के कान होते हैं.मेरा मन दीवारों के बारे मे कुछ और ही सोचता है.
सबसे पहली पोस्ट में दीवारों की बात तो अद्यतन पोस्ट में स्नेह , प्यार , दुलार की बात ... इनकी नयी पोस्ट १७ जून २०२१ को आई है ....
"नेह"
तुम्हारा नेह भी
हवा-पानी सरीखा है
चाहने पर भी
पल्लू के छोर से
बंधता नहीं
बस…,
*********************************************
मन की वीणा ब्लॉग का सञ्चालन करती हैं कुसुम कोठारी जी . इनका कोई चित्र नहीं है ब्लॉग पर | गुज़ारिश है कि कोई फूल पत्ते ही लगा लें तो चर्चा में लगाने के लिए आसानी हो जाएगी ...
खोल दिया जब मन बंधन से
उड़े भाव पाखी बनके
बिन झाँझर ही झनकी पायल
ठहर-ठहर घुँघरू झनके।
************************************************
एक और ब्लॉग २०१८ में प्रारंभ हुआ और पता नहीं उस ब्लॉग ने ताने बाने से किस किस को उलझाया ......... बहरहाल आप मिलिए उषा किरण जी से जिनका ब्लॉग है ताना बाना ..... अपने बारे में लिखती हैं .....
तूलिका और लेखनी के सहारे अहसासों को पिरोती रचनाओं की राह की एक राहगीर.
बिट्टा बुआ ( कहानी -भाग 1)
बचपन की न जाने कितनी स्मृतियां और न जाने कितने उन स्मृतियों के पात्र होते हैं, जो हमारे अस्तित्व को साधारण समझते हैं उन्हीं का अस्तित्व कभी-कभी हमारे मानस-पटल पर बहुत स्थान पा लेते हैं .
जो गुजर जाते हैं
वे कहाँ गुजरते हैं
गुजरते तो हम हैं
खुशबुओं से लिपटी
उनकी यादों की गली से
जाने कितनी बार…बार-बार…!!
*************************************************
एक अन्य ब्लॉगर जिनकी छंदबद्ध रचनाओं ने मन मोह लिया है वो हैं अनुराधा चौहान | अपने बारे में उनका कहना है ...... शब्दों का ताना-बाना बुनती हूँ। भावों के रंग भरती हूँ।बस इतनी सी पहचान है मेरी वही पहचान लिखती हूँ।
जीवन की भाग-दौड़ मेंबचपन की मासूमियतकहीं खोती जाती
अहिल्या बाई होलकर
धागे का वजूद
धागा हूँ मैं या बिलकुल धागे जैसी,
ताउम्र मोतियों को पिरोया मैंने
*****************************
प्रकृति पर इनकी बहुत खूबसूरत रचनाएँ आयीं हैं ....... और आज जो रचना लिखी है वो इनके मन के भावों को व्यक्त कर रही है ... इस रचना में ..... पिता के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है .....
मैं बुढ़ापे के आनंद में हूँ (संवाद-पिताजी से )
भीड़ बहुत है
वो छांव कहां से लाऊं
जो मुस्कान बिखेरे
वो शब्द कहां से लाऊं।
आज पाठकों को काफी कुछ पढ़ने को और ब्लॉग भ्रमण का अवसर मिला होगा .... अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराइएगा ....... यदि ऐसी अगली कड़ी आई तो मात्र पाँच ब्लॉगर्स से ही परिचय कराऊंगी ...... बहुत मेहनत लगती है भाई ...
अब गेंद आपके पाले में ......
संगीता स्वरुप /
वाह, आनन्द आ गया इन बेहतरीन ब्लॉग के बारे में जानकर। कुछ तो पूर्व परिचित हैं और कुछ नए। पर, सभी नायाब।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
आदरणीया संगीता स्वरूप जी की श्रमसाधना को नमन व साधुवाद।
पुरुषोत्तम जी ,
हटाएंआपकी पहली टिप्पणी ने ही मन भाव विभोर कर दिया । आभार ।
मैं जो चाहती थी वो मिली
जवाब देंहटाएंइस स्वादिष्ट राजभोग को स्वाद ले-ले,कर ग्रहण करूँगी,
आभार दीदी..
आभार..
सादर नमन..
शुक्रिया यशोदा । आशा है राजभोग स्वादिष्ट होगा ।😄😄😄😄
हटाएंउव्वाहहहह..
जवाब देंहटाएंआह्लादित कर दिया आपने..
गाजर की जगह बादाम का हलुआ..
सादर नमन..
प्रिय दिव्या ,
हटाएंतुम्हारा मन तृप्त हुआ तो मेरा मन प्रसन्न ।
शुक्रिया ।
आदरणीय दीदी,सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंआज के संकलन की संरचना देख, आज की भोर आनंदमय हो गई, निःशब्द हूं,आपकी कार्यक्षमता को देखकर,कितना श्रम किया होगा आंकलन कर सकती हूं,रंगबिरंगे मोतियों को सुंदर माला या यूं कहें इंद्रधनुष लग रहा है । ईश्वर आप को ऐसे ऊर्जा प्रदान करे और हम आप से सीखते रहें,यही शुभकामनाएं हैं,अभी ब्लॉग्स पर नहीं गई हूं । जाकर फिर आऊंगी ।आपका कोटि कोटि आभार एवम नमन ।
प्रिय जिज्ञासा ,
हटाएंतुमको आज के संकलन की संरचना पसंद आई इसके लिए शुक्रिया । आप सबका स्नेह स्वयं ही ऊर्जा प्रदान कर देता है ।
सस्नेह ।
आपने जितनी महनत से और आपने लम्बे ब्लॉगिंग के अनुभव से कई मोती चुन चुन कर निकाले हैं … सच है कि कई महान और अच्छे ब्लोगर्स हैं और सब को एक पोस्ट में लाना सम्भव नहीं हो पाता … आप स्वयं में एक जाना पहचाना नाम हैं ब्लॉगिंग की दुनिया में … मेरा प्रणाम है आपको 🙏🙏
जवाब देंहटाएंनासवा जी ,
हटाएंआप तो मेरे ब्लॉग के पहले पाठक रहे हैं । जब मुझे नहीं पता था कि दूसरों के ब्लॉग पर कैसे जाया जाता है । मेरे ब्लॉग पर आपके द्वारा दी गयी टिप्पणी के लिए धन्यवाद मेल के माध्यम से देती थी । धीरे धीरे इस ब्लॉग जगत से परिचय हुआ । आपके द्वारा अपनी प्रशंसा सुन एक तरफ खुशी है तो मन संकुचित भी है।
आभार ।
मनभावन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसप्ताह का प्रथम दिवस तनिक व्यस्तता भरा होता है..
मन को कहता हूँ धीर धरो..
दिन काम को समर्पित, रात तो मेरी अपनी है
आभार..
सादर नमन..
दिग्विजय जी ,
हटाएंक्षमा सहित , आज कुछ ज्यादा ही पढ़ने के लिए प्रस्तुत कर दिया है । अच्छी बात है कि आप धीर धरे हुए हैं ।
शुक्रिया ।
बेहतरीन व लाजवाब संकलन । आपकी सृजनात्मकता और शैली मंत्रमुग्ध करती है आ.संगीता जी! आपके सृजनशील और कर्मठ व्यक्तित्व को नमन । आज के संग्रहणीय संकलन में मुझे सम्मिलित करने हेतु असीम आभार ।
जवाब देंहटाएंसंकलन पसंद करने के लिए शुक्रिया । आप लोगों की रचनात्मकता ही मुझे बाध्य करती है कि आपके द्वारा लिखा हुआ लोगों तक पहुंचाया जाए । आप यूँ ही सृजनशील रहें ।यही कामना है ।
हटाएंसस्नेह
संगिता दी,बहुत ही मेहनत का काम है एक एक ब्लॉगर्स के बारे मेनितनी जानकारी जुटाकर उन्हें एक सूत्र में पिरोना। आपने जिन ब्लॉगर्स के बारे में बताया है उनमें से कई को मैं जानती हूं। बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंप्रिय ज्योति ,
हटाएंपुराने ब्लॉगर्स को काफी समय से जानते हैं , पढ़ते रहे हैं ,इसीलिए उनके बारे में काफी जानकारी है । हाँ नए लोगों से परिचय ज्यादा पुराना नहीं लेकिन उनके लिखे को पढ़ कर अनुमान तो लग ही जाता है ।
प्रस्तुति पसंद करने के लिए आभार ।
ओह...बहुत ही खूबसूरती से आपने ये अंक तैयार किया है...काफी मेहनत है और उसे प्रस्तुत करने की खूबसूरती और भी शानदार है। साथी ब्लॉगर सभी का लेखन बहुत गहन है, सभी को बहुत शुभकामनाएं, लेकिन अपनी बात कहूं तो मन में गुदगुदी सी हुई कि जब आपने मेरे ब्लॉग के विषय में लिखा...खुशी मानव स्वभाव है...और आप सभी के नेहाशीष से ये संभव हो पाया है...। नेह बनाए रखियेगा...। मैं इस ग्रुप और इसके सभी एडमिन का आभारी हूं जो एक स्वस्थ्य परिवेश में साहित्य की चर्चा होती है। संगीता जी साधुवाद...।
जवाब देंहटाएंसंदीप जी ,
हटाएंयूँ तो मैंने 2007 से न जाने कितने बलॉस पढ़े हैं ।लेकिन कुछ बलॉस होते हैं जिनको बार बार पढ़ने का मन होता है । और उनमें आपका ब्लॉग भी शामिल है । आपको अंक पसंद आया यह ख़ुश्किसमती है ।
आभार ।
आदरणीया संगीता दी,आप का तो अंदाज ही निराला है,आप जितनी मेहनत,लग्न और स्नेह के साथ एक-एक ब्लॉगरों से जुड़ती है,खोज-खोज कर निकलती है उसके आगे हम सब नतमस्तक है। इन सभी साहित्य के नायब हीरों को मेरा सत-सत नमन। इस श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए आपको ढेरों बधाईयां एवं नमन।
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी ,
हटाएंजब आप लोग इतनी तारीफ करते हैं न तो सच्ची कहूँ कि थोड़ा सा घमंड आ ही जाता है । कृपया मुझे इस बीमारी से बचायें । आप तो होम्योपैथी डॉक्टर भी हैं । 😄😄😄😄 । आप सभी से जुड़ने का अवसर मिला ये मेरा सौभाग्य है । प्रस्तुति पसंद करने के लिए तहेदिल से शुक्रिया ।
महासागर में गोते लगाकर मोती चुनकर लाना आसान काम नहीं है,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति
प्रस्तुति पसंद करने के लिए आभार कविता जी । जब पुराने लोग प्रशंसा करते हैं तो मन और गोते खाने लगता है ।
हटाएंगज़ब किया है आज तो. शुरू की पंक्तियाँ पढ़कर ही होटों पर मुस्कान आ गई . एकदम पुराने ब्लोगरों वाले तेवर :) .
जवाब देंहटाएंपुराने सभी तो जानेपहचाने हैं, पढ़े हैं खूब. नयों को पढ़ने का बहुत अच्छा अवसर दिया है आपने. बहुत शुर्किया. यह क्रम जारी रहे कृपया .
अब पुराने लोग ही पुराने तेवर समझेंगे न शिखा । मैँ कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती .... इस वर्ष का विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय प्रोत्साहन सम्मान के लिए हार्दिक बधाई ।
हटाएंनए लोगों को पढ़ो .... आनंद आएगा ।
शुक्रिया
उत्कृष्ट लिंक संयोजन दी !!नए ब्लोग्गेर्स भी बहुत अच्छा लिख रहे हैं | आपका हिंदी के प्रति स्नेह सराहनीय है | आपने शुरू से ही बहुत प्यार और आशीर्वाद दिया है |ह्रदय से धन्यवाद मुझे याद रखने के लिए |
जवाब देंहटाएंप्रिय अनुपमा ,
हटाएंहमेशा तुम्हारे लेखन ने नए आयाम गढ़े हैं । बेहतरीन रचनाएँ होती हैं । आपको भला कौन भूल सकता है ।
पसंद करने का शुक्रिया ।
बेहद खूबसूरत लिंक्स।आज की हलचल प्रस्तुति में नए-पुराने सभी ब्लॉगर्स की रचनाएं पढ़ने को मिली इसके लिए आपका हार्दिक आभार। इस अद्भुत संकलन में मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया।
जवाब देंहटाएंअनुराधा जी ,
हटाएंआप लिखती ही इतना खूबसूरत हैं कि आपके ब्लॉग को तो लेना ही था । यूँ बहुत से ब्लॉगर मेरी लिस्ट में हैं । देखिए अब कब उनसे परिचय का नंबर आता है ।
आपको संकलन पसंद आया इसके लिए हार्दिक धन्यवाद ।
रचना प्रस्तुति का अंदाज निराला है, उत्साहपूर्ण और आनंदमय संकलन
जवाब देंहटाएंभारती जी ,
हटाएंआपको आनंद आया , मेरी मेहनत सफल हुई ।
शुक्रिया ।
प्रणाम दी,
जवाब देंहटाएंसबसे पहले आज के अति विशिष्ट सोमवारीय विशेषांक को इतनी मेहनत और लगन से समय देकर अपनत्व से हर रचना पर विशेष प्रतिक्रिया लिखकर अनूठा संकलन बनाने के लिए बहुत बहुत बधाई दी।
एकदम अलग कलेवर लिए आज का अंक अचंभित कर रहा, नये पुराने चिट्ठाकारों की पहली और नवीन रचनाएँ सचमुच अच्छा लगा पढ़कर।
सभी परिचित चिट्ठाकारों की सुगढ़ रचनात्मकता नमन योग्य है।
नासवा सर की रचनाएँ खासकर गज़ल सदैव प्रिय रही हैं,
प्रवीण सर का वैचारिक मंथन विचारणीय है।
शिखा जी को मेरी अशेष शुभकामनाएं।
प्रिय उषा जी की संस्मरणात्मक कहानियां जीवंत चलचित्र होती है।
अनुपमा जी की सुंदर शैली भाषा की समृद्धता का एहसास करवाया।
प्रिय मीना भारद्वाज दी की रचनाएं सदैव मन छू जाती है।
प्रिय कुसुम दी की रचनाओं में छुपे संदेश सदैव कल्याणकारी होते हैं।
प्रिय अनुराधा जी की छंदबद्ध अर्थ पूर्ण कृतियाँ बहुत प्रभावशाली हैं।
प्रिय जिज्ञासा जी की लयबद्ध रचनाएँ पाठकों के मन को सहज ही छू जाती है।
आदरणीय संदीप सर की रचनाएँ प्रकृति और मानव को जोड़ने में सतत प्रयासरत है।
सभी रचनाएँ पढ़ी और समझ अनुरूप प्रतिक्रिया भी लिख आयी।
अब आपकी ऐसी ही प्रस्तुति की प्रतीक्षा रहेगी दी।
सप्रेम
सादर।
प्रिय श्वेता ,
हटाएंचर्चा से ज्यादा अचंभित करने वाला ये है कि तुम हर लिंक पर जा कर पढ़ीं और अपनी प्रतिक्रिया भी दी ।
तुम्हारे इस हौसले ने मेरा हौसला भी बढ़ा दिया है ।
हर रचना और रचनाकार के लिए तुम्हारे भाव सराहनीय हैं । प्रयास रहेगा कि पाठकों की अपेक्षा पर खरा उतर सकूँ ।
सस्नेह ।
आदरणीय संगीता जी ! मैं अचंभित हूँ, अभिभूत भी आप की प्रतिबद्धता और श्रम को नमन करती हूँ।
जवाब देंहटाएंआज पूरे दिन की व्यस्तता के बाद अचानक ब्लाग खोलकर जब आपके आमंत्रण के साथ पाँच लिंक पर पहूंची और वहाँ आपके द्वारा प्रतिपादित चमत्कार देख मन आह्लाद से भर गया।
सच मैं निशब्द हूँ और कहना भी चाहती हूँ ,आपने जो खोज खोज कर ब्लागरस और उनकी प्रथम रचना ब्लाग पर सह नव पोस्ट के लाना एक साथ इतने ब्लागर पर अध्ययन करके टिप्पणी के साथ उन्हें सम्मान से प्रस्तुत करना एक अथक परिश्रम का कार्य हैं,और आनंदित करने वाला भी ।
मैं तो स्वयं ही भूल चुकी थी कि मेरी ब्लाग पर पहली रचना कौन सी थी ।
अभी आज प्रस्तुत किसी ब्लागर की पोस्ट पर नहीं जा पाई पर जल्द ही सब को पढ़ना चाहूंगी।
आपको बहुत बहुत धन्यवाद और साधुवाद! ब्लाग पर इस तरह के प्रयोग ब्लाग में नव चेतना का संचार करते हैं, साथ ही ब्लागरों से परिचित भी बढ़ता है।
सादर ।
कुसुम जी ,
हटाएंआप सब अपने पुराने और नए सृजन से जुड़ आल्हादित हुए , मुझे मेरे परिश्रम का फल मिल गया । वैसे तो हम यहाँ एक दूसरे को उसके लेखन से ही पहचानते हैं । बाकी परिचय भी उसी आधार पर बनाते हैं । व्यक्तिगत तौर पर जब कभी मिलना होता है तो इसी लिए यह महसूस ही नहीं होता कि हम पहली बार मिल रहे हैं । मेरे तो यही अनुभव है । बहुत सारे ब्लॉगर्स से जब भी मुलाकात हुई सब पहले से जाने पहचाने लगे ।
आपने कुछ अधिक ही प्रशंसा कर दी है ।।इसके लिए हृदय से आभारी हूँ । शुक्रिया ।
प्रिय दीदी, सस्नेह प्रणाम ! आजकी अनूठी प्रस्तुति देखकर बहुत अच्छा लगा। आपकी मौलिक कल्पना और अत्यंत धैर्य से सजाया सार्थक अंक किसी भी सराहना से परे है। सभी ब्लॉगर ब्लॉग जगत के नामी गिरामी रचनाकार हैं और किसी परिचय के मोहताज नहीं। दिगंबर जी तो ब्लॉग जगत क्या साहित्य में हिन्दी ग़ज़ल को प्राण वायु देने वाले सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनकी ग़ज़ल का मयार कितना ऊंचा है बताने की जरूरत नहीं।
जवाब देंहटाएंप्रवीण पाण्डेय, शिखा वार्ष्णेय, औरअनुपमा सुकृति जी से ज्यादा परिचय नहीं पर अच्छा लगा इनके बारे मे जानकर। और मीना जी और जिज्ञासा जी, कुसुम बहन, अनुराधा जी और उषा जी के ब्लॉग और रचनाओं से खूब परिचय है ।संदीप जी के दोनों ब्लॉग और उनका चिन्तन बेमिसाल है। उन्होंने जो ध्वजा उठाई है वह आज की सबसे बड़ी मांग है। थोड़ी तबियत अच्छीनहीं जिसकेचलते आज कहीं भी टिप्पणी नहीं दे पाई जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं बस सभी ब्लॉग पर भ्रमण से ही संतोष करना पड़ा।। सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। आपको ढेरों बधाइयां और आभार। आप ऐसे ही अंक सजाती रहें यही कामना है। योग पर आपके विचार प्रेरक है। मैने कोरोना में योग से बहुत लाभ प्राप्त किया और सासू मां भी तेजी से अपनी सेहत योग से ही संभाल सकी। सभी को कुछ मिनट के योग से अभूतपूर्व लाभ मिल सकता है। वैसे भी कोरोना ने अच्छे सेसमझा दिया है कि जान है तो जहान है। पुनः आभार 🙏🙏🌷🌷💐🌷
प्रिय रेणु ,
हटाएंतुम्हारी प्रतिक्रिया का हमेशा बेसब्री से इंतज़ार रहता है , यूँ जानती हूँ कि कभी कभी अति व्यस्तता के कारण हमेशा तुम उपलब्ध रहो ये संभव नहीं । फिर भी तुम जिस तरह सभी लिंक्स पर और उनके रचनाकारों पर अपने विचार रखती हो वो चर्चा को संपूर्णता प्रदान करते हैं ।पूरी चर्चा के एक एक पॉइंट पर नज़र रहती है ..... इसी सिलसिले में एक राज़ की बात कि योग पर जो लिखा गया इस चर्चा में वो विचार प्रिय श्वेता सिन्हा के हैं । मेरे पास इतना समय नहीं था कि इस विषय पर स्वयं लिख पाती । थोड़ी डंडी मारी । यहाँ तुम्हारे माध्यम से श्वेता को धन्यवाद दे रही हूँ ।
अपनी सेहत का ध्यान रखो । इतनी प्यारी प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से शुक्रिया ।
सस्नेह
संगीता जी एक बार और साधुवाद।
जवाब देंहटाएंमैं सभी ब्लाग पर जाकर पढ़कर आई हूं,मुग्ध हूँ आपके परिश्रम से।
सभी ब्लागर जिन्हें आपने आज प्रस्तुत किया है लाजवाब हैं,
सभी के सृजन अपनी अलग ही आभा के साथ जगमगा रहे हैं सभी को हार्दिक बधाई।
मेरे ब्लाग को इस तरह सम्मान के साथ प्रस्तुत करने के लिए आपका हृदय तल से आभार।
सादर।
कुसुम जी आपके इस स्नेह और मान के लिए क्या कहूँ ?बस अब तो मैं निःशब्द हो रही हूँ ।
हटाएंआभार ।
संगीता जी,
जवाब देंहटाएंसुबह उठते ही आपका बेहद दिलचस्प अनूठा संकलन देख प्रफुल्लित हो उठी। अपना नाम भी वहाँ देख कर संकोच- मिश्रित हर्ष का अनुभव हुआ। सबकी रचनाएं पढ़ीं और कमेन्ट भी करने का प्रयास किया कहीं- कहीं असफल रही तो पता नहीं कैसे कहीं-कहीं अपने कमेन्दि की कई बार पुनरावृत्ति दिख रही हैं😊.... बहरहाल आपके लिखे एक-एक शब्द को भी बहुत रस लेकर पढ़ा कविताएं तो आपकी होती ही हैं लाजवाब पर आपके लिखे गद्य की भी मैं प्रशंसिका हूँ एक लय होती है आपके लेखन में। प्रत्येक ब्लॉगर की प्रथम रचना और फिर लेटेस्ट रचना पढ़ कर बहुत मजेदार अनुभव हुआ...अनजाने ही दोनों रचनाओं के मध्य की ग्रोथ पर भी सहसा ध्यान जाता है। आपकी मेहनत व लगन की धुन सराहनीय है। इस तरह के अंक आते रहें और हमारे ज्ञान में वृद्धि करते रहें। मेरी रचना पर भी जिन सहृदय विद्वज्जनों ने टिप्पणी की है सबका हृदय से आभार🙏 प्रिय Sweta Sinha ji ने खूब विस्तार से सबकी रचनाओं पर अपने विचार व्यक्त किए हैं उनका आभार। सभी को बधाई और आपका हृदय से आभार 🙏
*कमेन्ट
जवाब देंहटाएंउषा जी ,
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार था क्यों कि मैंने अनुभव किया है कि चर्चा में दिए गए लिंक्स पर आप जा कर पढ़ती हैं और फिर यहाँ अपनी प्रतिक्रिया देती हैं । वैसे
मुझे हर्ष तो समझ आया लेकिन ये संकुचित मिश्रित क्या होता है समझा दीजिएगा ।
यहाँ प्रस्तुत ब्लॉगर्स की प्रथम और नव रचना देने का उद्देश्य यही था कि उसके लेखन विकास की प्रक्रिया समझ सकें ।
वैसे मेरी धुन पर आप मुझे धुन रहीं हैं , मुझे पता है । 😄😄😄
आपके स्नेह के लिए शुक्रिया ।
आदरणीया संगीता जी
हटाएंआप सब समझती हैं …मुझे सब पता है। हाँ मैं कोशिश करती हूँ सबको पढ़ कर प्रतिक्रिया दूँ इसी से प्राय: देर से कमेन्ट कर पाती हूँ ।मेरी क्या मजाल मैं आपको धुन पाऊं हाँ आपकी धुन को अनुकरण जरूर करना चाहूँगी …थोड़ा सा भी कर पाऊँ तो मेरा उद्धार हो जाए …प्यार आपको बहुत सारा 😊🙏
बहुत ही श्रमसाध्य लाजवाब प्रस्तुति सच में आश्चर्यचकित हूँ आज की प्रस्तुति एवं लिंक संकलन देखकर.....।वैसे मजा बहुत आया पढने में पर पूरा दिन पढ़कर भी एक दो रचनाएं छूट ही गयी हैं। रचनाएं पढ़ते हुए बार-बार यही ख्याल आता रहा कि इतना शानदार परोसा हुआ भी पढने में इतना वक्त लग रहा है फिर आपने कैसे....?
जवाब देंहटाएंनतमस्तक हूँ आपके इस हुनर पर।🙏🙏🙏🙏
अ
सुधा जी ,
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया सदैव ऊर्जा का संचार करती है । आपने लिंक्स का आनंद लिया , मेरा मन प्रफ्फुलित हो गया । ऐसी टिप्पणियों से ही चर्चा सफल लगती है । आपने कैसे ??? पूछा है तो बस ये आप सबका स्नेह ही है ।
ऊर्जावान टिप्पणी के लिए आभार ।
बहुत आभार आपका संगीताजी। आपने जिस प्रकार प्रथम से वर्तमान को जोड़ दिया है, पूरे अस्तित्व को स्मृतियों में डुबो डाला। हृदय से कोटि कोटि आभार।
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी ,
हटाएंआपकी एक पंक्ति में ही विशाल समुद्र छुपा है । जहाँ पूरा अस्तीत्व ही स्मृतियों में डुबकी लगा रहा हो तो कुछ कहने के लिए बचता ही कहाँ है ।
आभार 🙏🙏
अद्भुद सोच और पारखी नज़र ने आखिर कमाल कर ही दिया ... आपकी मेहनत का प्रतिफल है कि मन हर्षित है इतनी बेहतरीन पोस्ट को देख .. हर लिंक पर पहुँचने का प्रयास रहेगा .. स्नेह वंदन 🙏🏻🙏🏻
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सीमा , आप सब मेरा मनोबल बढ़ाये रखते हैं ।
हटाएं''बहुत मेहनत लगती है भाई'', पर रंगत भी तभी आती है ! बहुत सुंदर और नायाब प्रयास
जवाब देंहटाएंगगन जी , हार्दिक आभार .... बात तो आप सही कह रहे हैं ।
हटाएंआदरणीय दीदी, आप द्वारा चयनित लगभग हर ब्लॉग पर गई, जाकर विचारों की एक नयी और गहन अनुभूति हुई,ये भी अनुभव हुआ कि आपका ये प्रयोजन हम जैसे लोगों के लिए बहुत ज़रूरी है,जिन्हें ब्लॉग जगत का अनुभव बहुत कम है। आपका ये प्रयास हमारे लिए संजीवनी है।आप ने मुझे इस अंक के लिए चुना जिसके लिए बहुत आभारी हूँ,इस सुंदर संकलन के लिए आपका असंख्य आभार..शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ..
जवाब देंहटाएंप्रिय जिज्ञासा ,
हटाएंमुझे बहुत खुशी हुई कि तुम हर लिंक पर जा कर उस अनुभूति से परिचित हुईं ।मेरा ये प्रयोजन केवल आप लोगों तक सीमित नहीं है ....पुराने ब्लॉगर्स को शामिल कर उनको भी प्रेरित करना चाहती हूँ कि वो भी आप लोगों को पढ़ें , आपके लेखन से परिचित हों ।
पुनः अपनी प्रतिक्रिया देने का शुक्रिया ।