कदली सीप भुजंग मुख स्वाति एक गुण तीन।
जैसी संगति बैठिए , तैसोई फल दिन।
हाज़िर हूँ...! उपस्थिति दर्ज हो...
संगत
चारों ओर से हम पर बरसता रहता है कितना जीवन
मगर हम ही हैं कभी बुद्धिमान कभी मूर्ख बनकर
ज़िन्दगी गंवाने पर तुले रहते हैं
मैं देर तक सोखता रहा धूप
करवट बदल-बदलकर
संगत हैवानों की हो गर, हैवानियत आ ही जाती है
संभाल कर रखना अपनी पीठ को,
शाबाशी
और......
खंजर
दोनों यहीं पर मिलते हैं.......!!!
सठ सुधरहिं सतसंगति पाई
संगत
लोग शराबी के साथ रहकर शराबी बन जाते है,
लोग कहते है की गलत संगत का असर है।
कोई शराबी, संस्कारी के साथ रहकर संस्कारी
क्यों नही बनता….?
सत्य ये है-
"जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग
चंदन विष व्यापै नहीं, लिपटे रहत भुजंग"
एक युक्ति सोची पिता ने अपने पुत्र को बुलाया और
उसे एक हाथ में कोयला वह दूसरे हाथ में चंदन लाने के लिए कहा
जब पुत्र दोनों सामान लेकर आया तो पिता ने चंदन और कोयले को
वही रख कर उसे अपने दोनों हाथ देखने को कहा
मैं फिर हरी हरी सी,
कली-कुसुमों से भरी सी,
नाज़ से इठलाउंगी,
गीत गुनगुनाउंगी,
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पुन: भेंट होगी...
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संगत का असर..
जवाब देंहटाएंपुत्र ने देखा कि उसके एक हाथ में कालिख लगी है तो वही उसके दूसरे हाथ से सुगंध आ रही है पिता ने पुत्र को समझाते हुए कहा--बेटा अच्छे लोगों की संगत चंदन के जैसा है
सादर नमन..
रहिमन जो तुम कहत थे, संगति ही गुरा होय।
जवाब देंहटाएंबीच ईखारी रस भरा, रस काहे न होय।।
प्रणाम दी,
हटाएंसारगर्भित रचनाओं से सजी विषयपरक बहुत अच्छा अंक।
सस्नेह
सादर।
सुप्रभात!
जवाब देंहटाएंसुंदर तथा सार्थक रचनाओं से सज्जित अंक,बहुत आभार आदरणीय विभा दीदी,सादर नमन।
उत्तम विषय चुना है । संगत से ही पता चल जाता है कि व्यक्ति की प्रकृति कैसी है ।
जवाब देंहटाएंलेकिन कभी कभी अपवाद भी होते हैं न ?
जो रहीम उत्तम प्रकृति का करि सकत कुसंग ।
चंदन विष व्यापत नहीं , लिपटे रहत भुजंग ।।
अच्छी प्रस्तुति । पढ़ आये हैं सब।
सुंदर संकलन
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