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सोमवार, 21 जून 2021

3066 ------- कुछ ब्लॉगर्स की प्रथम और अद्यतन पोस्ट

  नमस्कार  ! 

पिछले सोमवार को  मैंने जरा सी मिर्ची और धनिया  पत्ती क्या बढ़ाई कि न जाने किस किस चीज़ की मांग होने लगी ..... ..... कोई बात नहीं हम भी पुराने खिलाड़ी हैं  निराश नहीं करेंगे .... आप एक मांगेंगे हम दो देंगे .... इसलिए आज पाँच  लिंक का कोई बंधन नहीं .... आज  की  चर्चा उन्मुक्त रूप से  आप सबके सम्मुख हाज़िर करने  की इजाज़त चाहती हूँ .  वैसे आप इजाज़त दें या न दें मैंने तो वही करना  है न जो मेरा मन कहे  , तो आज मेरे मन की  ही पढ़िए | 

आज विश्व योग दिवस भी है   तो  एक संदेश

व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं। 

आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥

अर्थात्

"व्यायाम से स्वास्थ्य, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य है और स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं।"

कहते हैं" स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का वास होता है।"

"स्वास्थ्य सबसे बेशकीमती संपत्ति है।"

योग इन सभी शब्दांशों का निचोड़ है।

योग का अर्थ है जुड़ना। मन को वश में करना और वृत्तियों से मुक्त होना योग है।

योग शरीर में सूक्ष्म प्राण शक्ति को विस्तार देने की साधना है। स्वस्थ जीवन शैली का आधार योग को माना जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। कोरोना काल में योग की महत्ता की परीक्षा हो चुकी है।तो   थोड़ा   अपनी सेहत का ख्याल रखें , योग करें , प्राणायाम करें ,  और  स्वस्थ रहें .....

         यूँ तो हिंदी ब्लॉग जगत इतना विशाल है कि कुछ  ब्लॉगर्स के नाम चयन करना बहुत मुश्किल काम है फिर भी मैं  ब्लॉग्स  के समंदर से कुछ ब्लॉगर्स का परिचय  कराने  जा रही हूँ ..... कुछ वो जो २००६ - २००७ से ब्लॉग लिख रहे हैं  और अपने  ब्लॉग  पर नियमित  पोस्ट  डाल  रहे हैं .....  और कुछ उन ब्लॉगर्स को लिया है जिन्होंने कुछ समय बाद अपना ब्लॉग शुरू किया लेकिन उनकी लिखने  की क्षमता से और लेखन शैली से मन प्रभावित हो रहा है ...  आइये मिलते हैं आज के कुछ मेरी पसंद के ब्लॉगर्स से ......  सच कहूँ तो  बहुत लम्बी लिस्ट है मेरी  |आज जिनसे परिचय करा रही हूँ उनके अतिरिक्त और भी बहुत नाम हैं जिनका परिचय ऐसे ही कराती  रहूँगी... समझिएगा ये प्रथम कड़ी है ..... ऐसी कड़ियाँ और भी मिल सकतीं हैं ...... यदि आपको ये कड़ी पसंद आई तो ..... मेरा भी तो ऐसी चर्चा करने का प्रथम ही प्रयास है ..... 

सबसे पहले परिचय करा रही हूँ दिगंबर नासवा  जी से , जिनसे आपमें से बहुत लोग अच्छी तरह परिचित हैं ......  यूँ तो गीत ,  अतुकांत रचनाएँ भी लिखी हैं लेकिन  ग़ज़लों  के  शहंशाह कहें तो अतिश्योक्ति न होगी .... इन्होने अपना ब्लॉग २००६ में प्रारंभ किया था ... 


आज  हम पेश कर रहे हैं इनकी प्रथम पोस्ट और उसके साथ ही अद्यतन पोस्ट  

२००६ में  अपने देश से दूर शायद अकेले रहते हुए जो महसूस हुआ उसको  इन्होने बहुत सहजता से वर्णित किया है ..... 

देश से दूर दिवाली की एक रात

दिया जलेगा या बाती या तेल जलेगा
या मेरा दिल कोने मैं चुपचाप जलेगा 

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जून  २०२१  की नयी पोस्ट 

कश्तियाँ डूबीं अनेकों फिर भी घबराया नहीं ...


प्रेम होशृंगारमस्तीया विरह की बात हो,
कौन सा है रंग जिसको प्रेम ने गाया नहीं.


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दूसरे दिग्गज ब्लॉगर हैं  प्रवीण पण्डे जी  , ये जितना खूबसूरत गद्य लिखते हैं  उतनी ही खूबसूरत कवितायेँ लिखते हैं .....  विभिन्न विषयों पर अच्छी पकड़ है .... आप स्वयं ही ब्लॉग देख कर समझ लेंगे कि मैं कहीं से भी बढ़ा  चढ़ा  कर नहीं कह रही हूँ ....



आपकी पहली पोस्ट २३ जून २०१० में आई थी ......... जो सीधे स्वर्ग से ........ ओह  .... मतलब घर को स्वर्ग बनाने के नुस्खे से प्रारंभ की थी 

स्वर्ग  

विवाह के समय माँ अपनी बेटी को सीख देती है कि बेटी तू जिस घर में जा रही है, उसे स्वर्ग बना देना। विवाह की बेला तो वैसे ही सपनों में तैरने की बेला होती है, बेटी भी मना नहीं करती है। अब नये घर के काम काज भी ढेर सारे होते हैं, नये सम्बन्धी, नयी खरीददारी, ढेर सारी बातें मायके की, ससुराल की। कई तथ्य जो कुलबुला रहे होते हैं, उनको निष्पत्ति मिल जाने तक नवविवाहिता को कहाँ विश्राम। इस आपाधापी में बेटी को माँ की शिक्षा याद ही नहीं रहती है।

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नयी पोस्ट १९ जून २०२१ 



कुशल भगवन, सर्वहित प्रेरक बने हो,

तम हृदय में, प्रेम के दीपक जला दो ।

तव प्रतिष्ठा अनवरत होवे प्रचारित,

भावरस में ज्ञानपूरित स्वर मिला दो

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एक और चर्चित ब्लॉगर  का परिचय  ------ अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न......... बाकी का परिचय ब्लॉग पर जा कर पढियेगा ... मिलिए शिखा वार्ष्णेय  से ..... 



इनकी  पहली पोस्ट आई ....  २६ अप्रेल   २००९ में 

कौन

क्यों घिर जाता है आदमी,
अनचाहे- अनजाने से घेरों में,
क्यों नही चाह कर भी निकल पाता ,
इन झमेलों से ?

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हांलांकि  इनको कवितायेँ लिखना बेहद पसंद है लेकिन गद्य भी खूब लिखती हैं ..... अब तक तीन पुस्तकें  आ चुकी हैं एक कविता की  मन के प्रतिबिम्ब और दो गद्य की  - स्मृतियों में रूस और देशी चश्में से लन्दन डायरी .... समसामयिक विषय पर लिखती रहती हैं .... और इनकी नयी पोस्ट   इस बात का  सबूत है .....
नयी पोस्ट  ३१ मई २०२१ को डाली गयी है ... 


विज्ञान और विकल्प

विज्ञान कभी भी अपने दिमाग के दरवाजे बंद नहीं करता। बेशक वह दिल की न सुनता हो परंतु किसी भी अप्रत्याशित, असंभव या बेबकूफाना लगने वाली बात पर भी उसकी संभावनाओं की खिड़की बन्द नहीं होती।

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 वैसे अब जिस ब्लॉगर कि चर्चा करने जा रही हूँ उनसे आप लोग भली भांति परिचित हो चुके हैं ..... जितना सुन्दर लिखती हैं उतना ही सुन्दर गाती भी हैं ..... मिलवा रही हूँ  अनुपमा सुकृति  से . इनकी बस इतनी सी अभिलाषा है .... 
परिवार ...कुछ शब्द और एक आवाज़ .....बस यही परिचय है ....आप सभी मित्रों से स्नेह की अभिलाषा है .....

इनकी पहली पोस्ट ....५ अप्रेल २०१० को आई और खुशनसीबी मेरी कि सबसे पहली टिप्पणीकर्ता मैं ही बनी .... 

लहर -लहर घूम घूम--
नगर- नगर झूम झूम
छल-छल है बहती जाती ..
जीवन संगीत सुनाती -----
मन की सरिता है !!!

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जितनी  प्यारी रचना पहली थी उतनी ही अभी की  नयी पोस्ट जो  १९ जून २०२१ को आई है ... 


प्रीत के इक पल  को
आँखों में पिरो लो,
मुक्ता सी बनके हृदय  में ,
जा बसें ,
छलके न कोरों से कभी ,

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चलिए अब मैं आपको ले चलती हूँ उन ब्लॉगर्स के पास जिन्होंने अपने ब्लॉग २०१४ के बाद शुरू किये और निरंतर लिख रहे हैं .... कुछ तो नित दिन लिख रहे हैं ..... और सबसे अच्छी बात है कि इनमें से कुछ  रचनाकार छंदबद्ध रचनाएँ लिख रहे हैं ..... 

२०१५ में   मीना भरद्वाज  जी ने अपना ब्लॉग आरम्भ किया  मंथन 


अपने बारे में कुछ भी न बताते हुए सबसे पहली पोस्ट २८ फरवरी  २०१५ को आई .... 


कभी कहीं पढा था दीवारें  मौन होती हैं.बचपन से आज तक  सुनती आयी हूँ दीवारों के कान होते हैं.मेरा मन दीवारों के बारे मे कुछ और ही सोचता है.

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सबसे पहली पोस्ट में दीवारों  की बात तो अद्यतन पोस्ट में स्नेह ,  प्यार , दुलार  की   बात ... इनकी नयी पोस्ट १७ जून २०२१ को आई है .... 

"नेह"


तुम्हारा नेह भी

हवा-पानी सरीखा  है

चाहने पर  भी 

पल्लू के छोर से

बंधता नहीं

बस…,


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२०१८ के कुछ नए   ब्लॉग्स  ने काफी आकर्षित किया है ...... 

मन की वीणा  ब्लॉग  का सञ्चालन करती हैं  कुसुम कोठारी जी  इनका कोई चित्र नहीं है ब्लॉग पर | गुज़ारिश है कि कोई फूल पत्ते ही लगा लें तो चर्चा में लगाने के लिए आसानी हो जाएगी ... 

पहली कविता आई इनकी ११ जनवरी २०१८ में .......

कहने को मैं विमला हूँ ,
मैं सरिता निर्मला .... 

पहली ही रचना से अनुमान हो गया कि प्रकृति प्रेमी हैं ...और प्रकृति पर नायब पढने को मिलेगा ....  मैंने इनके ब्लॉग पर प्रकृति सम्बन्धी बहुत रचनाएँ पढ़ीं हैं .... लेकिन मन के भावों को भी बहुत खूबसूरती से बांधती हैं ... 

१८ जून २०२१  की इनकी अद्यतन पोस्ट है .... 

खोल दिया जब मन बंधन से

उड़े भाव पाखी बनके 

बिन झाँझर ही झनकी पायल

ठहर-ठहर घुँघरू झनके।

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एक और ब्लॉग २०१८ में प्रारंभ हुआ  और पता नहीं उस ब्लॉग ने ताने बाने से किस किस को उलझाया ......... बहरहाल आप मिलिए  उषा किरण जी से जिनका ब्लॉग है ताना  बाना  ..... अपने बारे में लिखती हैं ..... 

तूलिका और लेखनी के सहारे अहसासों को पिरोती रचनाओं की राह की एक राहगीर.


आप  गद्य और पद्य   दोनों ही विधाओं में लेखन करती हैं ..... ताना बाना नाम से  इनका काव्य संग्रह भी आ  चुका  है .... कहानी और उपन्यास लिखने में रूचि है ... कई  कहानियाँ  विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं ... 

इनके ब्लॉग पर इनकी पहली पोस्ट ११ मई २०१८ को एक कहानी की पहली कड़ी के रूप में प्रकाशित हुई .... बाकी कड़ियाँ भी आप चाहें तो ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं ..... 

बिट्टा बुआ ( कहानी -भाग 1)

बचपन की न जाने कितनी स्मृतियां और न जाने कितने उन स्मृतियों के पात्र होते हैं, जो हमारे अस्तित्व को साधारण समझते हैं उन्हीं का अस्तित्व कभी-कभी हमारे मानस-पटल पर बहुत स्थान पा लेते हैं .

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नयी रचना आपकी  १९ जून २०२१ को प्रकाशित हुई  एक अतुकांत कविता जो भावों से भरी हुई है .......

जो गुजर जाते हैं

वे कहाँ गुजरते हैं 

गुजरते तो हम हैं 

खुशबुओं से लिपटी

उनकी यादों की गली से

जाने कितनी बार…बार-बार…!!

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एक अन्य  ब्लॉगर जिनकी छंदबद्ध रचनाओं ने मन मोह लिया है वो हैं  अनुराधा चौहान  | अपने बारे में उनका कहना है ...... शब्दों का ताना-बाना बुनती हूँ। भावों के रंग भरती हूँ।बस इतनी सी पहचान है मेरी वही पहचान लिखती हूँ।


इनकी सर्वप्रथम  २२ मई २०१८ को  आई पोस्ट है 

जीवन की भाग-दौड़ में
बचपन की मासूमियत
कहीं खोती जाती

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इस छोटी सी रचना से प्रारंभ कर  ब्लॉग पर बहुत गहन और लम्बी कवितायेँ वो भी छंदों में प्रस्तुत करती हैं ...

इनकी नयी पोस्ट २० जून २०२१ में पोस्ट हुयी है ......

सभी सीखें सही बातें पढ़ें अच्छी पढ़ाई को,
चलो जीते सभी के मन लड़े सच की लड़ाई को, 

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इनकी ये क्यों कि नयी पोस्ट आ गयी है इसलिए मैंने इसे यहाँ दिया है . लेकिन मैं चाहूंगी कि आप इनके ब्लॉग पर ये रचना ज़रूर  पढ़ें ...... यदि धैर्य है तो .... 

अहिल्या बाई होलकर


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 अब ये चर्चा समापन की ओर अग्रसर हो रही है ........ आपको मिलवाते हैं ऐसे ब्लॉगर से जिसने     अक्टूबर  २०२० में अपना ब्लौग बनाया जिज्ञासा की जिज्ञासा  ....   किस सन्दर्भ में लेखन चल रहा इनका ये उनके ब्लॉग पर पढ़ें ..... .... उसी सन्दर्भ में कुछ रेखांकित करने का नव प्रयास है मेरा लेखन ...


इनकी  पहली रचना किस दिनांक को आई ये पता नहीं चल  पा  रहा लेकिन अक्टूबर  २०२० में इनका ब्लॉग पर पदार्पण हुआ है ..
पहली रचना ब्लॉग पर है .....

धागे का वजूद


धागा हूँ मैं या बिलकुल धागे जैसी,

ताउम्र मोतियों को पिरोया मैंने 

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प्रकृति पर इनकी बहुत खूबसूरत रचनाएँ आयीं हैं ....... और आज जो रचना लिखी है वो  इनके मन के भावों को व्यक्त  कर रही है ... इस रचना में ..... पिता के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है ..... 

मैं बुढ़ापे के आनंद में हूँ (संवाद-पिताजी से )


वह दृश्य
अदृश्य 
हो ही नहीं रहा
जब उन्होंने मुझसे कहा

अब क्या है
जीवन बीत चुका है
और मैं बुढ़ापे के आनंद में हूँ 
आजकल परमानंद में हूँ 


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आज की चर्चा  की  अंतिम कड़ी .........

आज की चर्चा का सबसे नया ब्लॉग ......  
ये ब्लॉग  इसी वर्ष फरवरी २०२१ में अवतरित हुआ है ....... और इतनी शीघ्रता से इसने ब्लॉगर्स के दिल में जगह बना ली है कि अचंभित हुए बिना नहीं रहा जाता .....  संदीप कुमार शर्मा जी .... पर्यावरण के संरक्षण के लिए कार्यरत हैं ..... प्रकृति बचेगी तो हम बचेंगे ....... आप इनका परिचय ब्लॉग पर जा कर पढ़ सकते हैं ... 





आपके ब्लॉग  पुरवाई पर पहली पोस्ट ४ फरवरी २०२१ को आई है ......


भीड़ बहुत है


कोई सुबह तुम्हारे पैरों के तलवे में दबकर मुस्कुराहट बिखेरती है।

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और आपकी नयी रचना १८ जून को ब्लॉग पर प्रकाशित हुई है ...... इस बीच इनके ब्लॉग पर रचनाओं ने १०० का आंकड़ा पार कर लिया है ...... बधाई संदीप जी ......
जीवन से सम्बंधित हर मुद्दे पर इनकी रचनाएँ आपको पढने को मिलेंगी ...


वो छांव कहां से लाऊं

जो मुस्कान बिखेरे

वो शब्द कहां से लाऊं।


 आज पाठकों को काफी कुछ पढ़ने को और ब्लॉग भ्रमण का अवसर मिला होगा .... अपनी प्रतिक्रिया से अवगत  कराइएगा  ....... यदि ऐसी अगली कड़ी आई तो मात्र पाँच ब्लॉगर्स से ही   परिचय  कराऊंगी  ...... बहुत  मेहनत लगती  है भाई   ... 


अब गेंद आपके पाले में ...... 

संगीता स्वरुप /


52 टिप्‍पणियां:

  1. वाह, आनन्द आ गया इन बेहतरीन ब्लॉग के बारे में जानकर। कुछ तो पूर्व परिचित हैं और कुछ नए। पर, सभी नायाब।
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
    आदरणीया संगीता स्वरूप जी की श्रमसाधना को नमन व साधुवाद।

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    1. पुरुषोत्तम जी ,
      आपकी पहली टिप्पणी ने ही मन भाव विभोर कर दिया । आभार ।

      हटाएं
  2. मैं जो चाहती थी वो मिली
    इस स्वादिष्ट राजभोग को स्वाद ले-ले,कर ग्रहण करूँगी,
    आभार दीदी..
    आभार..
    सादर नमन..

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    1. शुक्रिया यशोदा । आशा है राजभोग स्वादिष्ट होगा ।😄😄😄😄

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  3. उव्वाहहहह..
    आह्लादित कर दिया आपने..
    गाजर की जगह बादाम का हलुआ..
    सादर नमन..

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    1. प्रिय दिव्या ,
      तुम्हारा मन तृप्त हुआ तो मेरा मन प्रसन्न ।
      शुक्रिया ।

      हटाएं
  4. आदरणीय दीदी,सुप्रभात !
    आज के संकलन की संरचना देख, आज की भोर आनंदमय हो गई, निःशब्द हूं,आपकी कार्यक्षमता को देखकर,कितना श्रम किया होगा आंकलन कर सकती हूं,रंगबिरंगे मोतियों को सुंदर माला या यूं कहें इंद्रधनुष लग रहा है । ईश्वर आप को ऐसे ऊर्जा प्रदान करे और हम आप से सीखते रहें,यही शुभकामनाएं हैं,अभी ब्लॉग्स पर नहीं गई हूं । जाकर फिर आऊंगी ।आपका कोटि कोटि आभार एवम नमन ।

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    1. प्रिय जिज्ञासा ,
      तुमको आज के संकलन की संरचना पसंद आई इसके लिए शुक्रिया । आप सबका स्नेह स्वयं ही ऊर्जा प्रदान कर देता है ।
      सस्नेह ।

      हटाएं
  5. आपने जितनी महनत से और आपने लम्बे ब्लॉगिंग के अनुभव से कई मोती चुन चुन कर निकाले हैं … सच है कि कई महान और अच्छे ब्लोगर्स हैं और सब को एक पोस्ट में लाना सम्भव नहीं हो पाता … आप स्वयं में एक जाना पहचाना नाम हैं ब्लॉगिंग की दुनिया में … मेरा प्रणाम है आपको 🙏🙏

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    1. नासवा जी ,
      आप तो मेरे ब्लॉग के पहले पाठक रहे हैं । जब मुझे नहीं पता था कि दूसरों के ब्लॉग पर कैसे जाया जाता है । मेरे ब्लॉग पर आपके द्वारा दी गयी टिप्पणी के लिए धन्यवाद मेल के माध्यम से देती थी । धीरे धीरे इस ब्लॉग जगत से परिचय हुआ । आपके द्वारा अपनी प्रशंसा सुन एक तरफ खुशी है तो मन संकुचित भी है।
      आभार ।

      हटाएं
  6. मनभावन प्रस्तुति..
    सप्ताह का प्रथम दिवस तनिक व्यस्तता भरा होता है..
    मन को कहता हूँ धीर धरो..
    दिन काम को समर्पित, रात तो मेरी अपनी है
    आभार..
    सादर नमन..

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    उत्तर
    1. दिग्विजय जी ,
      क्षमा सहित , आज कुछ ज्यादा ही पढ़ने के लिए प्रस्तुत कर दिया है । अच्छी बात है कि आप धीर धरे हुए हैं ।
      शुक्रिया ।

      हटाएं
  7. बेहतरीन व लाजवाब संकलन । आपकी सृजनात्मकता और शैली मंत्रमुग्ध करती है आ.संगीता जी! आपके सृजनशील और कर्मठ व्यक्तित्व को नमन । आज के संग्रहणीय संकलन में मुझे सम्मिलित करने हेतु असीम आभार ।

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    1. संकलन पसंद करने के लिए शुक्रिया । आप लोगों की रचनात्मकता ही मुझे बाध्य करती है कि आपके द्वारा लिखा हुआ लोगों तक पहुंचाया जाए । आप यूँ ही सृजनशील रहें ।यही कामना है ।
      सस्नेह

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  8. संगिता दी,बहुत ही मेहनत का काम है एक एक ब्लॉगर्स के बारे मेनितनी जानकारी जुटाकर उन्हें एक सूत्र में पिरोना। आपने जिन ब्लॉगर्स के बारे में बताया है उनमें से कई को मैं जानती हूं। बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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    1. प्रिय ज्योति ,
      पुराने ब्लॉगर्स को काफी समय से जानते हैं , पढ़ते रहे हैं ,इसीलिए उनके बारे में काफी जानकारी है । हाँ नए लोगों से परिचय ज्यादा पुराना नहीं लेकिन उनके लिखे को पढ़ कर अनुमान तो लग ही जाता है ।
      प्रस्तुति पसंद करने के लिए आभार ।

      हटाएं
  9. ओह...बहुत ही खूबसूरती से आपने ये अंक तैयार किया है...काफी मेहनत है और उसे प्रस्तुत करने की खूबसूरती और भी शानदार है। साथी ब्लॉगर सभी का लेखन बहुत गहन है, सभी को बहुत शुभकामनाएं, लेकिन अपनी बात कहूं तो मन में गुदगुदी सी हुई कि जब आपने मेरे ब्लॉग के विषय में लिखा...खुशी मानव स्वभाव है...और आप सभी के नेहाशीष से ये संभव हो पाया है...। नेह बनाए रखियेगा...। मैं इस ग्रुप और इसके सभी एडमिन का आभारी हूं जो एक स्वस्थ्य परिवेश में साहित्य की चर्चा होती है। संगीता जी साधुवाद...।

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    1. संदीप जी ,
      यूँ तो मैंने 2007 से न जाने कितने बलॉस पढ़े हैं ।लेकिन कुछ बलॉस होते हैं जिनको बार बार पढ़ने का मन होता है । और उनमें आपका ब्लॉग भी शामिल है । आपको अंक पसंद आया यह ख़ुश्किसमती है ।
      आभार ।

      हटाएं
  10. आदरणीया संगीता दी,आप का तो अंदाज ही निराला है,आप जितनी मेहनत,लग्न और स्नेह के साथ एक-एक ब्लॉगरों से जुड़ती है,खोज-खोज कर निकलती है उसके आगे हम सब नतमस्तक है। इन सभी साहित्य के नायब हीरों को मेरा सत-सत नमन। इस श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए आपको ढेरों बधाईयां एवं नमन।

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    उत्तर
    1. प्रिय कामिनी ,
      जब आप लोग इतनी तारीफ करते हैं न तो सच्ची कहूँ कि थोड़ा सा घमंड आ ही जाता है । कृपया मुझे इस बीमारी से बचायें । आप तो होम्योपैथी डॉक्टर भी हैं । 😄😄😄😄 । आप सभी से जुड़ने का अवसर मिला ये मेरा सौभाग्य है । प्रस्तुति पसंद करने के लिए तहेदिल से शुक्रिया ।

      हटाएं
  11. महासागर में गोते लगाकर मोती चुनकर लाना आसान काम नहीं है,
    बहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति

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    उत्तर
    1. प्रस्तुति पसंद करने के लिए आभार कविता जी । जब पुराने लोग प्रशंसा करते हैं तो मन और गोते खाने लगता है ।

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  12. गज़ब किया है आज तो. शुरू की पंक्तियाँ पढ़कर ही होटों पर मुस्कान आ गई . एकदम पुराने ब्लोगरों वाले तेवर :) .
    पुराने सभी तो जानेपहचाने हैं, पढ़े हैं खूब. नयों को पढ़ने का बहुत अच्छा अवसर दिया है आपने. बहुत शुर्किया. यह क्रम जारी रहे कृपया .

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    1. अब पुराने लोग ही पुराने तेवर समझेंगे न शिखा । मैँ कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती .... इस वर्ष का विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय प्रोत्साहन सम्मान के लिए हार्दिक बधाई ।
      नए लोगों को पढ़ो .... आनंद आएगा ।
      शुक्रिया

      हटाएं
  13. उत्कृष्ट लिंक संयोजन दी !!नए ब्लोग्गेर्स भी बहुत अच्छा लिख रहे हैं | आपका हिंदी के प्रति स्नेह सराहनीय है | आपने शुरू से ही बहुत प्यार और आशीर्वाद दिया है |ह्रदय से धन्यवाद मुझे याद रखने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय अनुपमा ,
      हमेशा तुम्हारे लेखन ने नए आयाम गढ़े हैं । बेहतरीन रचनाएँ होती हैं । आपको भला कौन भूल सकता है ।
      पसंद करने का शुक्रिया ।

      हटाएं
  14. बेहद खूबसूरत लिंक्स।आज की हलचल प्रस्तुति में नए-पुराने सभी ब्लॉगर्स की रचनाएं पढ़ने को मिली इसके लिए आपका हार्दिक आभार। इस अद्भुत संकलन में मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया।

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    उत्तर
    1. अनुराधा जी ,
      आप लिखती ही इतना खूबसूरत हैं कि आपके ब्लॉग को तो लेना ही था । यूँ बहुत से ब्लॉगर मेरी लिस्ट में हैं । देखिए अब कब उनसे परिचय का नंबर आता है ।
      आपको संकलन पसंद आया इसके लिए हार्दिक धन्यवाद ।

      हटाएं
  15. रचना प्रस्तुति का अंदाज निराला है, उत्साहपूर्ण और आनंदमय संकलन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भारती जी ,
      आपको आनंद आया , मेरी मेहनत सफल हुई ।
      शुक्रिया ।

      हटाएं
  16. प्रणाम दी,

    सबसे पहले आज के अति विशिष्ट सोमवारीय विशेषांक को इतनी मेहनत और लगन से समय देकर अपनत्व से हर रचना पर विशेष प्रतिक्रिया लिखकर अनूठा संकलन बनाने के लिए बहुत बहुत बधाई दी।
    एकदम अलग कलेवर लिए आज का अंक अचंभित कर रहा, नये पुराने चिट्ठाकारों की पहली और नवीन रचनाएँ सचमुच अच्छा लगा पढ़कर।
    सभी परिचित चिट्ठाकारों की सुगढ़ रचनात्मकता नमन योग्य है।
    नासवा सर की रचनाएँ खासकर गज़ल सदैव प्रिय रही हैं,
    प्रवीण सर का वैचारिक मंथन विचारणीय है।
    शिखा जी को मेरी अशेष शुभकामनाएं।
    प्रिय उषा जी की संस्मरणात्मक कहानियां जीवंत चलचित्र होती है।
    अनुपमा जी की सुंदर शैली भाषा की समृद्धता का एहसास करवाया।
    प्रिय मीना भारद्वाज दी की रचनाएं सदैव मन छू जाती है।
    प्रिय कुसुम दी की रचनाओं में छुपे संदेश सदैव कल्याणकारी होते हैं।
    प्रिय अनुराधा जी की छंदबद्ध अर्थ पूर्ण कृतियाँ बहुत प्रभावशाली हैं।
    प्रिय जिज्ञासा जी की लयबद्ध रचनाएँ पाठकों के मन को सहज ही छू जाती है।
    आदरणीय संदीप सर की रचनाएँ प्रकृति और मानव को जोड़ने में सतत प्रयासरत है।
    सभी रचनाएँ पढ़ी और समझ अनुरूप प्रतिक्रिया भी लिख आयी।
    अब आपकी ऐसी ही प्रस्तुति की प्रतीक्षा रहेगी दी।


    सप्रेम
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता ,
      चर्चा से ज्यादा अचंभित करने वाला ये है कि तुम हर लिंक पर जा कर पढ़ीं और अपनी प्रतिक्रिया भी दी ।
      तुम्हारे इस हौसले ने मेरा हौसला भी बढ़ा दिया है ।
      हर रचना और रचनाकार के लिए तुम्हारे भाव सराहनीय हैं । प्रयास रहेगा कि पाठकों की अपेक्षा पर खरा उतर सकूँ ।
      सस्नेह ।

      हटाएं
  17. आदरणीय संगीता जी ! मैं अचंभित हूँ, अभिभूत भी आप की प्रतिबद्धता और श्रम को नमन करती हूँ।
    आज पूरे दिन की व्यस्तता के बाद अचानक ब्लाग खोलकर जब आपके आमंत्रण के साथ पाँच लिंक पर पहूंची और वहाँ आपके द्वारा प्रतिपादित चमत्कार देख मन आह्लाद से भर गया।
    सच मैं निशब्द हूँ और कहना भी चाहती हूँ ,आपने जो खोज खोज कर ब्लागरस और उनकी प्रथम रचना ब्लाग पर सह नव पोस्ट के लाना एक साथ इतने ब्लागर पर अध्ययन करके टिप्पणी के साथ उन्हें सम्मान से प्रस्तुत करना एक अथक परिश्रम का कार्य हैं,और आनंदित करने वाला भी ।
    मैं तो स्वयं ही भूल चुकी थी कि मेरी ब्लाग पर पहली रचना कौन सी थी ।
    अभी आज प्रस्तुत किसी ब्लागर की पोस्ट पर नहीं जा पाई पर जल्द ही सब को पढ़ना चाहूंगी।
    आपको बहुत बहुत धन्यवाद और साधुवाद! ब्लाग पर इस तरह के प्रयोग ब्लाग में नव चेतना का संचार करते हैं, साथ ही ब्लागरों से परिचित भी बढ़ता है।
    सादर ।

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    1. कुसुम जी ,
      आप सब अपने पुराने और नए सृजन से जुड़ आल्हादित हुए , मुझे मेरे परिश्रम का फल मिल गया । वैसे तो हम यहाँ एक दूसरे को उसके लेखन से ही पहचानते हैं । बाकी परिचय भी उसी आधार पर बनाते हैं । व्यक्तिगत तौर पर जब कभी मिलना होता है तो इसी लिए यह महसूस ही नहीं होता कि हम पहली बार मिल रहे हैं । मेरे तो यही अनुभव है । बहुत सारे ब्लॉगर्स से जब भी मुलाकात हुई सब पहले से जाने पहचाने लगे ।
      आपने कुछ अधिक ही प्रशंसा कर दी है ।।इसके लिए हृदय से आभारी हूँ । शुक्रिया ।

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  18. प्रिय दीदी, सस्नेह प्रणाम ! आजकी अनूठी प्रस्तुति देखकर बहुत अच्छा लगा। आपकी मौलिक कल्पना और अत्यंत धैर्य से सजाया सार्थक अंक किसी भी सराहना से परे है। सभी ब्लॉगर ब्लॉग जगत के नामी गिरामी रचनाकार हैं और किसी परिचय के मोहताज नहीं। दिगंबर जी तो ब्लॉग जगत क्या साहित्य में हिन्दी ग़ज़ल को प्राण वायु देने वाले सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनकी ग़ज़ल का मयार कितना ऊंचा है बताने की जरूरत नहीं।
    प्रवीण पाण्डेय, शिखा वार्ष्णेय, औरअनुपमा सुकृति जी से ज्यादा परिचय नहीं पर अच्छा लगा इनके बारे मे जानकर। और मीना जी और जिज्ञासा जी, कुसुम बहन, अनुराधा जी और उषा जी के ब्लॉग और रचनाओं से खूब परिचय है ।संदीप जी के दोनों ब्लॉग और उनका चिन्तन बेमिसाल है। उन्होंने जो ध्वजा उठाई है वह आज की सबसे बड़ी मांग है। थोड़ी तबियत अच्छीनहीं जिसकेचलते आज कहीं भी टिप्पणी नहीं दे पाई जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं बस सभी ब्लॉग पर भ्रमण से ही संतोष करना पड़ा।। सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। आपको ढेरों बधाइयां और आभार। आप ऐसे ही अंक सजाती रहें यही कामना है। योग पर आपके विचार प्रेरक है। मैने कोरोना में योग से बहुत लाभ प्राप्त किया और सासू मां भी तेजी से अपनी सेहत योग से ही संभाल सकी। सभी को कुछ मिनट के योग से अभूतपूर्व लाभ मिल सकता है। वैसे भी कोरोना ने अच्छे सेसमझा दिया है कि जान है तो जहान है। पुनः आभार 🙏🙏🌷🌷💐🌷

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    1. प्रिय रेणु ,
      तुम्हारी प्रतिक्रिया का हमेशा बेसब्री से इंतज़ार रहता है , यूँ जानती हूँ कि कभी कभी अति व्यस्तता के कारण हमेशा तुम उपलब्ध रहो ये संभव नहीं । फिर भी तुम जिस तरह सभी लिंक्स पर और उनके रचनाकारों पर अपने विचार रखती हो वो चर्चा को संपूर्णता प्रदान करते हैं ।पूरी चर्चा के एक एक पॉइंट पर नज़र रहती है ..... इसी सिलसिले में एक राज़ की बात कि योग पर जो लिखा गया इस चर्चा में वो विचार प्रिय श्वेता सिन्हा के हैं । मेरे पास इतना समय नहीं था कि इस विषय पर स्वयं लिख पाती । थोड़ी डंडी मारी । यहाँ तुम्हारे माध्यम से श्वेता को धन्यवाद दे रही हूँ ।
      अपनी सेहत का ध्यान रखो । इतनी प्यारी प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से शुक्रिया ।
      सस्नेह

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  19. संगीता जी एक बार और साधुवाद।
    मैं सभी ब्लाग पर जाकर पढ़कर आई हूं,मुग्ध हूँ आपके परिश्रम से।
    सभी ब्लागर जिन्हें आपने आज प्रस्तुत किया है लाजवाब हैं,
    सभी के सृजन अपनी अलग ही आभा के साथ जगमगा रहे हैं सभी को हार्दिक बधाई।
    मेरे ब्लाग को इस तरह सम्मान के साथ प्रस्तुत करने के लिए आपका हृदय तल से आभार।
    सादर।

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    1. कुसुम जी आपके इस स्नेह और मान के लिए क्या कहूँ ?बस अब तो मैं निःशब्द हो रही हूँ ।
      आभार ।

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  20. संगीता जी,
    सुबह उठते ही आपका बेहद दिलचस्प अनूठा संकलन देख प्रफुल्लित हो उठी। अपना नाम भी वहाँ देख कर संकोच- मिश्रित हर्ष का अनुभव हुआ। सबकी रचनाएं पढ़ीं और कमेन्ट भी करने का प्रयास किया कहीं- कहीं असफल रही तो पता नहीं कैसे कहीं-कहीं अपने कमेन्दि की कई बार पुनरावृत्ति दिख रही हैं😊.... बहरहाल आपके लिखे एक-एक शब्द को भी बहुत रस लेकर पढ़ा कविताएं तो आपकी होती ही हैं लाजवाब पर आपके लिखे गद्य की भी मैं प्रशंसिका हूँ एक लय होती है आपके लेखन में। प्रत्येक ब्लॉगर की प्रथम रचना और फिर लेटेस्ट रचना पढ़ कर बहुत मजेदार अनुभव हुआ...अनजाने ही दोनों रचनाओं के मध्य की ग्रोथ पर भी सहसा ध्यान जाता है। आपकी मेहनत व लगन की धुन सराहनीय है। इस तरह के अंक आते रहें और हमारे ज्ञान में वृद्धि करते रहें। मेरी रचना पर भी जिन सहृदय विद्वज्जनों ने टिप्पणी की है सबका हृदय से आभार🙏 प्रिय Sweta Sinha ji ने खूब विस्तार से सबकी रचनाओं पर अपने विचार व्यक्त किए हैं उनका आभार। सभी को बधाई और आपका हृदय से आभार 🙏

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  21. उत्तर
    1. उषा जी ,
      आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार था क्यों कि मैंने अनुभव किया है कि चर्चा में दिए गए लिंक्स पर आप जा कर पढ़ती हैं और फिर यहाँ अपनी प्रतिक्रिया देती हैं । वैसे
      मुझे हर्ष तो समझ आया लेकिन ये संकुचित मिश्रित क्या होता है समझा दीजिएगा ।
      यहाँ प्रस्तुत ब्लॉगर्स की प्रथम और नव रचना देने का उद्देश्य यही था कि उसके लेखन विकास की प्रक्रिया समझ सकें ।
      वैसे मेरी धुन पर आप मुझे धुन रहीं हैं , मुझे पता है । 😄😄😄
      आपके स्नेह के लिए शुक्रिया ।

      हटाएं
    2. आदरणीया संगीता जी
      आप सब समझती हैं …मुझे सब पता है। हाँ मैं कोशिश करती हूँ सबको पढ़ कर प्रतिक्रिया दूँ इसी से प्राय: देर से कमेन्ट कर पाती हूँ ।मेरी क्या मजाल मैं आपको धुन पाऊं हाँ आपकी धुन को अनुकरण जरूर करना चाहूँगी …थोड़ा सा भी कर पाऊँ तो मेरा उद्धार हो जाए …प्यार आपको बहुत सारा 😊🙏

      हटाएं
  22. बहुत ही श्रमसाध्य लाजवाब प्रस्तुति सच में आश्चर्यचकित हूँ आज की प्रस्तुति एवं लिंक संकलन देखकर.....।वैसे मजा बहुत आया पढने में पर पूरा दिन पढ़कर भी एक दो रचनाएं छूट ही गयी हैं। रचनाएं पढ़ते हुए बार-बार यही ख्याल आता रहा कि इतना शानदार परोसा हुआ भी पढने में इतना वक्त लग रहा है फिर आपने कैसे....?
    नतमस्तक हूँ आपके इस हुनर पर।🙏🙏🙏🙏

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    उत्तर
    1. सुधा जी ,
      आपकी प्रतिक्रिया सदैव ऊर्जा का संचार करती है । आपने लिंक्स का आनंद लिया , मेरा मन प्रफ्फुलित हो गया । ऐसी टिप्पणियों से ही चर्चा सफल लगती है । आपने कैसे ??? पूछा है तो बस ये आप सबका स्नेह ही है ।
      ऊर्जावान टिप्पणी के लिए आभार ।

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  23. बहुत आभार आपका संगीताजी। आपने जिस प्रकार प्रथम से वर्तमान को जोड़ दिया है, पूरे अस्तित्व को स्मृतियों में डुबो डाला। हृदय से कोटि कोटि आभार।

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    उत्तर
    1. प्रवीण जी ,
      आपकी एक पंक्ति में ही विशाल समुद्र छुपा है । जहाँ पूरा अस्तीत्व ही स्मृतियों में डुबकी लगा रहा हो तो कुछ कहने के लिए बचता ही कहाँ है ।
      आभार 🙏🙏

      हटाएं
  24. अद्भुद सोच और पारखी नज़र ने आखिर कमाल कर ही दिया ... आपकी मेहनत का प्रतिफल है कि मन हर्षित है इतनी बेहतरीन पोस्ट को देख .. हर लिंक पर पहुँचने का प्रयास रहेगा .. स्नेह वंदन 🙏🏻🙏🏻

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    1. शुक्रिया सीमा , आप सब मेरा मनोबल बढ़ाये रखते हैं ।

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  25. ''बहुत मेहनत लगती है भाई'', पर रंगत भी तभी आती है ! बहुत सुंदर और नायाब प्रयास

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    1. गगन जी , हार्दिक आभार .... बात तो आप सही कह रहे हैं ।

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  26. आदरणीय दीदी, आप द्वारा चयनित लगभग हर ब्लॉग पर गई, जाकर विचारों की एक नयी और गहन अनुभूति हुई,ये भी अनुभव हुआ कि आपका ये प्रयोजन हम जैसे लोगों के लिए बहुत ज़रूरी है,जिन्हें ब्लॉग जगत का अनुभव बहुत कम है। आपका ये प्रयास हमारे लिए संजीवनी है।आप ने मुझे इस अंक के लिए चुना जिसके लिए बहुत आभारी हूँ,इस सुंदर संकलन के लिए आपका असंख्य आभार..शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ..

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    उत्तर
    1. प्रिय जिज्ञासा ,
      मुझे बहुत खुशी हुई कि तुम हर लिंक पर जा कर उस अनुभूति से परिचित हुईं ।मेरा ये प्रयोजन केवल आप लोगों तक सीमित नहीं है ....पुराने ब्लॉगर्स को शामिल कर उनको भी प्रेरित करना चाहती हूँ कि वो भी आप लोगों को पढ़ें , आपके लेखन से परिचित हों ।
      पुनः अपनी प्रतिक्रिया देने का शुक्रिया ।

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