नमस्कार .... आज लिंक लगाने से पहले हम अपने उन सभी साथियों का अभिनन्दन करते हैं जो कोरोना महामारी से जीत कर आये हैं .... कुछ साथियों की ख्वाहिश है कि ये सेनानी अपने कठिन समय के अनुभवों को साझा करें जिससे अन्य लोग भी इससे दो - दो हाथ करने को तैयार रहें ... और अपने मनोबल से हर हाल में उसे हरा सकें ... पिछली पोस्ट में आपने संध्या शर्मा जी के अनुभव का लिंक पढ़ा होगा ... ऐसे ही यदि हमारे अन्य ब्लॉगर साथी भी साझा करें तो बहुत से लोग लाभान्वित हो सकते हैं ....
आज कल ज्यादातर देखा जा रहा है कि कोरोना से जीत हासिल करने के बाद अचानक ही हार्ट अटैक से मृत्यु हो जाती है . इस पर आज का ये विशेष लेख ..... जो लोग जानकारी लेना चाहें वो इस लिंक पर जा सकते हैं ....
कोराना संक्रमण के दौरान और उससे उबरने के बाद भी रोगियों में डी-डाइमर प्रोटीन की अधिकता देखी जा रही है, जिसके कारण उनमें हार्ट अटैक और हार्ट फेल जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। हाल के दिनों में अनेक बड़े चिकित्सक, पत्रकार, कलाकार और राजनेता भी इसके शिकार हुए हैं। इसमें सबसे ताज़ा मामला जाने माने न्यूज़ एंकर रोहित सरदाना का है। वे कोविड संक्रमण से मुक्त होने के बाद हार्ट अटैक का शिकार हो गये थे। तो आइए जानते हैं कि क्या हैं डी-डाइमर प्रोटीन क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और हम कैसे इससे बच सकते हैं।
***********************
जीवन में न जाने कितने प्रश्न और उनके उत्तरों की तलाश ..... फिर भी बहुत से प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाते हैं ....
कितनी ही कड़वाहट पी कर भी इंसान नीलकंठ नहीं बन पाता ... पढ़िए जिज्ञासा जी की रचना .....
मेरी ही कमी, उन्हें आग उगलने
का मौक़ा दे गई
मेरी शालीनता ही कटघरे में खड़ी हो गई
निजी जीवन और सार्वजनिक
दैहिक, दैविक, भौतिक,
सब मेरे पास था
पर कहीं कुछ ज़रा उदास था |
********************
ज़िन्दगी में कहीं कोई पल उदासी भरा है तो कहीं आशा की नन्ही किरण भी दिखती है .... और ऐसी ही आशा की किरण फैला रही हैं अभिलाषा जी ....
बीत जाएँगी ये भी घड़ियाँ
डर-डर के मत जीना है
गहन तिमिर की भले हो बेला
अमृत आस का पीना हो।
*************************
आलोक सिन्हा जी के ब्लॉग पर जा कर जैसे मन वहीं स्थिर हो गया .... न जाने कितनी बार इस रचना को पढ़ा ....कुछ आत्मसात किया ..... और अपनी संस्कृति की धरोहर को याद किया .... सुन्दर विचारों का समन्वय ....... और एक विश्वास कि तुम कितना ही मिथ्या कहो लेकिन हमारे आदर्श और नैतिकता हमेशा रहे हैं और रहेंगे ....... अलोक जी आपका ब्लॉग पढने फिर आऊँगी ..... बहुत कुछ खाद्य सामग्री मिलेगी हमारे मस्तिष्क को ....
सूक्ष्म मलिन से खद्योतों को
सूक्ष्म मलिन से खद्योतों को दिनकर कहने वालो
गहन अमावस में पूनम की छटा निरखने वालो ,
तुम कितना जग को भरमाओ ,
कागों की संस्कृति अपनाओ ,
लेकिन सच्चाई का भू पर मरण नहीं होगा |
नैतिक मूल्यों का तिलभर भी पतन नहीं होगा |
*************************************************************
और जब हम बात नैतिक दृढ़ता की करते हों तो वहां आस्था और विश्वास स्वयं ही उपस्थित होते हैं .....
और यूँ ही तो ये मुहावरा नहीं बना न कि ---
जितेन्द्र माथुर जी अधिकतर उपन्यासों की या चलचित्रों की समीक्षा करते हैं .... आज इन्होने अपने अनुभवों को लिखा है जो धर्म और आस्था से जुड़े हैं ....
मेरे लिए तो वह लगभग अनजाना-सा छोटा मंदिर ही संसार का सबसे अधिक शांतिपूर्ण स्थान सिद्ध हुआ । इसलिए धीरे-धीरे मैंने समझ लिया कि सन्मार्ग पर चलो तो ईश्वर कहीं और नहीं, अपने भीतर ही है और तनमन को शांति छोटे लेकिन भीड़भाड़ तथा शोर से रहित स्थानों पर ही मिलती है, भीड़भरे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों पर नहीं । जहाँ मान और पहचान धन को मिले, मन को नहीं; वहाँ क्या जाना ?
***********************************************************************************************
आज बस इतना ही ...... आशा है आपको इन लिंक्स पर जा कर निराशा नहीं होगी ..... आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा जिससे हम अपनी त्रुटियों में संशोधन कर सकें .
अंत में बस एक सलाह ...... घर पर रहें ....... सुरक्षित रहें ...
संगीता स्वरुप
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी..
बदलेगी ये समय की धारा
बीत जाएँगी ये भी घड़ियाँ
आस पर विश्वास
अप्रतिम अंक..
सादर नमन
🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंआस पर ही विश्वास है ।
खूबसूरत प्रस्तुति । सही है ,इस कोरोना ने किसी को नहीं छोडा ,आजकल हम भी अपने परिवार के सभी सदस्यों सहित इसकी चपेट में हैंं ।
जवाब देंहटाएंओह, शुभा जी
हटाएंआप और आपका पूरा परिवार शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ करे । हम सब यही कामना करते हैं ।
प्रस्तुति पसंद करने के लिए शुक्रिया ।
शुभा जी आप शीघ्रातिशीघ्र परिवार सहित स्वास्थ्य लाभ करें,ईश्वर से यही प्रार्थना है,मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आपके साथ हैं ।
हटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद संगीता जी ,जिज्ञासा जी 🙏
हटाएंप्रशंसनीय चयन एवं संकलन है यह संगीता जी। मेरे लेख को स्थान देने हेतु आपका हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंजितेंद्र जी
हटाएंशुक्रिया , । ये आपके लेख का हक़ था कि उसे चयन किया जाय 😄😄😄😄।
आभार दे कर भार न बढ़ाएँ । 🙏🙏
प्रभावी लिंक्स हैं।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शिखा ।
हटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति लिंक्स
जवाब देंहटाएंआभार कविता जी ।
हटाएंआदरणीय दीदी,प्रणाम !
जवाब देंहटाएंआज के लिंक्स में अपनी रचना देख बहुत खुशी हुई,आपका बहुत आभार,सभी रचनाकारों को मेरी अनंत शुभकामनाएं,आपके पिछले अंक में अभी टिप्पणी करके आई हूं,सपरिवार कोरोना से पीड़ित थी, अभी सब ठीक है,थोड़ा और ठीक हो जाऊं, फिर अपने अनुभव लिखती हूं,एक बार फिर आपको मेरा नमन । शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
प्रिय जिज्ञासा ,
हटाएंतुम्हारी ये कविता बहुत से आयाम रखे हुए है । सोचने पर मजबूर करती हुई । तो इसको तो यहां होना ही था । कठिन समय से निकली हो । अपना और परिवार का खूब खयाल रखो । अपना विशेष रूप से । ज़रा भी लापरवाही मत करना । अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हूं ।।
सस्नेह
निरंतर आपके स्नेह की आभारी हूं । आपको मेरी तरफ से अच्छे स्वस्थ जीवन की हार्दिक शुभकामनाएं ।
हटाएंएक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन पर प्रतिक्रिया कम पड़ जाती है।
जवाब देंहटाएंवाह!!! सुंदर रचनाओं का संकलन।
प्यारी प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया ।
हटाएंआप भी अपने हौसले से महामारी की जंग में कोरोना को हरा कर आई हैं । अपना ख्याल रखियेगा । हो सके तो अपने अनुभव साझा करें ।
लाजबाव रचना चयन
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भारती ।
हटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति आदरणीया 🙏 सभी रचनाएं उत्तम, रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐 कोरोना काल में सभी स्वस्थ रहें।मन में आशा और साहस का भाव पले,यही कामना है।मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आपका🙏🙏 सादर
जवाब देंहटाएंअभिलाषा जी ,
हटाएंसकारात्मक सोच से भरी आपकी कविता यही संदेश दे रही है । बस हिम्मत और सोच पॉज़िटिव रखें ।
शुक्रिया ।
बहुत ही उत्कृष्ट रचनाओं से सजी लाजवाब हलचल प्रस्तुति.... कोरोना की जंग जीत चुके सैनानियों का हार्दिक अभिनंदन...।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को अनंत शुभकामनाएं एवं बधाई
सुधा जी
हटाएंआभार , पाठकों की प्रतिक्रियाओं से हौसला बढ़ता है ।
प्रिय दीदी , सादर प्रणाम | अनमोल सूत्रों से सजी एक और सुंदर अंक की प्रस्तुति बहुत शानदार है | कोरोना योद्धाओं , जो विजेता बनकर आये उनका हार्दिक अभिनन्दन है | हर व्यक्ति अपने परिवार के लिए अनमोल है | पर आभासी दुनिया में ब्लॉग जगत से जुड़ने के बाद हमसे भी उनका एक स्नेह भरा नाता जुड़ गया है | उनकी कुशलता का समाचार अपार ख़ुशी देता है तो किसी अस्वस्थता की खबर चिंता में डाल देती है | आदरणीय आलोक जी सपरिवार कोरोना की जंग जीत कर विजेता बने उन्हें बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाएं| |आलोक जी से शब्दनगरी से परिचय है जो मेरे लिए गर्व का विषय है | कवि नीरज के अनन्य स्नेह पात्र और सपरिवार साहित्य की विरासत सहेजे हुए आलोक जी बहुत ही शालीन और गरिमामय रचनाकार हैं | उनकी रचनाएँ भावनाओं का खज़ाना सहेजे हुए हैं और काव्य रसिकों के लिए बहुत बड़ा आनंद हैं | उनकी आज प्रस्तुत रचना नैतिकता के मापदंडों का सशक्त समर्थन करते हुए अराजक तत्वों को चेतावनी देते हुए सदभावनाओं का प्रसार करती है | जिज्ञासा जी की रचना नारी मन की अनकही अनुभूतियों को सहेजती संवेदनशील रचना है | तो अभिलाषा जी की रचना निराशा में आशावादी होने का प्रेरक सन्देश देती है | | और एक लेख में हार्ट अटैक के खतरों से अवगत कराते हुए उपयोगी जानकारी दी गई है। वहीं जितेंद्र जी ने अपने अनौपचारिक और प्रभावी लेख में सच्चे मानव धर्म की सुन्दर परिभाषा दी है ।सही में वही इंसान सच्चा धार्मिक हैं जिसके पास बड़ों की निस्वार्थ सेवा और छोटो के प्रति अनन्य स्नेह के संस्कार के साथ दया , करुणा और दूसरों के प्रति परोपकार की भावना है | क्योकिं आत्मा सो परमात्मा|| ईश्वर अपनी संतानों के भीतर बसता है | उनके प्रति सद्व्यवहार ही सच्चा सत्कर्म और उत्तम पूजा और ईश्वर भक्ति है |
जवाब देंहटाएंकोरोना विजेता के रूप में माननीय सुबोध सिन्हा जी और प्रियजिज्ञासा जी का हार्दिक अभिनंदन है। प्रिय शुभा जी भी जल्द ही सपरिवार पूर्ण स्वस्थ हों अपने अनुभव शेयर करें ऐसी दुआ है। और जो भी लोग इस नामुराद बीमारी से जूझ रहे हैं वे सभी शीघ्र स्वास्थ हो इससेबाहरआएं, यही कामना करती हूं। आप के उत्तम स्वास्थ्य की दुआ करती हू। इस अंक के लिए अभार आपका।🙏🙏🌷🌷💐💐
प्रिय रेणु
हटाएंतुम जिस निष्ठा से हर लिंक पढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया देती हो वह प्रशंसनीय है । इसीलिए जब तक तुम्हारी प्रतिक्रिया नहीं आती तब तक अपनी की गई चर्चा अधूरी ही लगती है । आलोक जी के विषय में जानना सुखकर लगा । उनकी रचनाएँ सच ही मन को आनंदित करती हैं ।सोच रही हूँ कि यदि ब्लॉगिंग पहले जैसी रफ्तार से करती रहती तो बहुत से अनमोल लेखकों से परिचय बहुत पहले हो जाता ।
इस नामुराद बीमारी से जूझने के अनुभव तुम भी साझा करो ।
सस्नेह
बहुत सुन्दर सराहनीय संकलन है यह | सभी रचनाएँ उत्कृष्ट तथा उच्च स्तर की हैं | जिन्हें सुन्दर प्रस्तुतीकरण ने और अधिक सरस व आकर्षक बना दिया है |
जवाब देंहटाएंआदरणीय आलोक जी ,
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना पाना स्वयं में एक उपलब्धि है ।
आपकी काव्य रचनाएँ कुछ पढ़ आयी हूँ । अभी गद्य पर नहीं जा पायी ।
इतने वर्षों में बहुत कुछ छूट गया पढ़ने से , कोशिश करूँगी जितना हो सके समेट लूँ।
आभार ।
बहुत ही शानदार लिंक्स ... एवम बेजोड़ प्रस्तुतिकरण ... सादर वन्दन 🙏🙏
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सीमा
हटाएं