हाज़िर हूँ...! उपस्थिति दर्ज हो...
विनोद कुमार
काढ़ा
विनोद कुमार
हमारे पूर्वज कहते थे कि पीपल, बरगद, गूलर, नीम बेल के वृक्ष नही काटना चाहिए, इससे वंश का नाश होता हैं। यह कथन आज ऑक्सीजन की कमी से जूझते लोगो को देखकर सिद्ध हो रहा है।
जिन लोगों ने अभी तक इस
वासा (अडूसा, बाकस) का उपयोग किया उन्होंने पहले से काफी राहत महसूस किया। चूंकि हम इसे मंगवा कर पीड़ित लोगों के घर तक निःशुल्क पहुंचा रहे हैं तो इसके लिए उन लोगों ने हमें फोन करके धन्यवाद दिया। पर असली धन्यवाद के पात्र तो यह औषधि है, जो लोगों की कफ, खांसी और फेफड़ों की समस्या को दूर कर रहा है। खुशी हो रही कि बिहार के बाहर वाले कई लोगों ने इसकी माँग की। कल तक उनलोगों का भी पार्सल भेज दिया जाएगा। जिन्हें निःशुल्क चाहिए 9334821929 पर संपर्क करें।
हर इंसान
अकेला ही तो होता है,
अपने सुख-दुख का एहसास,
सिर्फ उसे ही तो होता है।
सुनते है सब,सहता तो वो ही है।
अपने हक़ में खुदा से कहता तो वो ही है।
हर एक की पीड़ा,
हर एक ही जानता है।
अपने अंदर ही बसे है ईश्वर,
ये बात हर कोई नहीं मानता हैं।
आज कुछ कमजोर हूँ, पर लाचार नहीं।
बेशक मुझे जल्दी है सपनों की, पर किसी गुनाह का मैं तलबगार नहीं।
रफ़्ता रफ़्ता ही सही , कभी तो आएगा वो खुशी का मन्ज़र।
अपनी ख्वाहिशों को समेटे, बस चलता जा रहा हूँ।
मैं
अकेला हूँ और अकेला चला जा रहा हूँ।।
जीना किसी ने सिखाया तो नहीं
फिर भी खुद से खुश कैसे रहते हो?
ना गए कल की फिक्र करते देखा
ना आने वाले का अफसोस है
बताओ आज में मशगूल कैसे रहते हो?
रोज रोज मेरा साथ देने के नाम पर तुम ,
कुछ देर मुझसे मिलने भी चली आती हो ;
फिर तुम ही बताओ क्यों तुम बार-बार ,
मुझे ऐसी दोहरी दुविधा में डाल जाती हो ;
यूँ रोज कल आने का बोल कर तुम मुझे ;
क्यों रोज यूँ
अकेला छोड़ जाती हो !
ये समझने के लिए चाहे जितने लोग भी आपके साथ क्यों न चल लें,
कुछ सफ़र आपको अकेले ही तय करने होते हैं।
सच कहूं तो अकेलापन उतना ही खूबसूरत है,
जितना किसी के साथ होना।
उतना ही पाक जितना मंदिर में जल रहा
अकेला दिया।
उतना ही सुकून देने वाला जितना माँ का आँचल।
>>>>>>><<<<<<<
शायद पुन: भेंट होगी...
>>>>>>><<<<<<<
सादर नमन
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह
सदाबहार प्रस्तुति..
हर इंसान अकेला ही तो होता है,
अपने सुख-दुख का एहसास,
सिर्फ उसे ही तो होता है।
सुनते है सब,सहता तो वो ही है।
अपने हक़ में खुदा से कहता तो वो ही है।
सादर..
आपके आज्ञानुसार आयुर्वेद की दवा भी है
हटाएंआभार दीदी
हटाएंहम मात्र अनुरोध कर सकते हैं
आज्ञा तो भूलकर भी नहीं दे सकते
सादर नमन
लाजवाब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर। हर इंसान अकेला ही तो होता है।
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम, महत्वपूर्ण जानकारी के साथ बहुत ही सुंदर अकुर भावपूर्ण प्रस्तुति। आपकी इन विशेष प्रस्तुतियों से हर शब्द सजीव और चैतन्य लगने लग जाता है । हर शब्द के विविध फ्लू उभर कर सामने आने लग जाते हैं । अकेलापन वरदान भी हो सकता है और अभिशाप भी । भय, शोक या मित्रहीनता से होने वाली एकाकी अभिशाप है और भगवान बुद्ध जैसा एकांत वरदान । आयुर्वेदिक औषधियों की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है , यदि धीरे-धीरे हम आयुर्वेद को अपना सकें तो बहुत ही अच्छा हो । मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ है कि जब मैं बीमार पड़ी या कोई छोटी सी खुजली , नोचनी या घाव होने पर नानी की आयुर्वेदिक दवाइयाँ राम-बाण का काम करतीं हैं ।
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए व आप सबों को प्रणाम ।
अकुर/और
हटाएंफ्लू/ पहलू
सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंअडूसा का प्रयोग खाँसी और श्वास रोगों में अनुभूत है। अब शहर में अडूसा आसानी से नहीं मिलता पर अडूसा सीरप मिल जाता है हम खाँसी में वही लेते हैं।
जवाब देंहटाएंमानवता के हित में दीदीजी का प्रयास वंदनीय है।
आज के दौर में अकेलेपन पर आधारित अंक की सभी रचनाएँ मन को छू गईं।
एक संदेश भेजा था किसी ने -
"दूरियाँ तो पहले ही बढ़ गईं थीं जमाने में,
कोरोना ने आकर इल्जाम अपने सर ले लिया"
बहुत सा स्नेह विभा दी, सादर।
बहुत अच्छी लाभकारी स्वास्थ्य जानकारी के साथ सार्थक हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया अंक है आदरणीय दीदी |आयुर्वेद पर आज बहुत ध्यान देने की जरूरत है | आज की सभी रचनाएँ निशब्द करने वाली थी | अकेला होना इंसान का स्वभाव नहीं मज़बूरी हो सकती है | कोरोना ने अकेले होने की पीड़ा देकर समाज और परिवार का महत्व बताया है | सराहनीय अंक के लिए आभार और शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएं