जय मां हाटेशवरी....
प्यासो रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िर
मारो ज़मीं पे पाँव कि पानी निकल पड़े
इक़बाल साजिद
सादर नमन.....
करोना नहीं होगा.....
अगर हम संभल के चलेंगे.....
हर वक्त भयभीत मत रहो......
मानसिक दुर्बलता से भी.....
करोना हो सकता है.....
कल्पना कीजिए कि जो मम्मी घर में अनाज के भंडार भरे होने के बावजूद खुद भूखी रहती थी, जिनकी छोटी-छोटी बच्चियां कई बार भूखी रहने पर भी वो चुप रहती थी...मैं घर में बड़ी हूं यदि मैं ने थोड़ा सा सहन कर लिया तो क्या हुआ, घर में शांति तो बनी रहेगी ऐसा सोचती थी...हर ज्यादती चुपचाप सहन करती थी...अपनी जुबान कभी नहीं खोलती थी... उन्हें जब लगा कि ये मेरी बेटी के पूरे भविष्य का सवाल है, तो बिना किसी भयानक अंजाम की चिंता किए, उन्होंने अपनी बेटी को मतलब मुझे एक नया जीवन दिया। सचमुच ऐसी हिम्मत एक माँ ही कर सकती है!!
सच्चे मन से की सेवा से अच्छा कोई कार्य नहीं
भूखे को भोजन देना वस्त्र दान करने से बहुत पुन्य मिलता है
गौ धन की सेवा करने से बड़ा कोई पुन्य कार्य नहीं है |
सच्चा भक्त है जो दिल से करे वे कार्य
जिन से परहित की भावना जुडी हो
इस युग के बाण
पहले से स्थूल नहीं वरन
अति सूक्ष्म हो गये हैं !
इतने कि दिखाई भी नहीं देते !
अब ये धनुष की
प्रत्यंचा पर
चढ़ा कर
नहीं चलाये जाते !
ये चलते हैं
जिह्वा की कमान से
और जब चलते हैं
रक्त की एक बूँद भी
दिखाई नहीं देती
है रंगीन दुनिया सभी को बताना
ये सिर फाँसियों पर बहुत आ रहे हैं
विरासत में हमने बहुत कुछ था
पाया
क्यों माटी में घुलता ज़हर खा रहे हैं
चोट खाई बहुत जमाने से,
कम से कम आँख मत चुराओ तुम।
इल्तिज़ा आख़िरी ये जानेमन,
अब तो उजड़ा चमन बसाओ तुम।
खुद की नज़रों से खुद ही गिर कर के,
आग नफ़रत की मत लगाओ तुम,
धन्यवाद।
बढ़िया अंक
जवाब देंहटाएंहमारे इस ब्लॉग के सदाबहार हीरो
भाई कुलदीप जी आभार..
सब के सब अब नियमित होने की कगार पर हैं
देखते रहिए आप सब हमारे सारे अंक सरपट दौड़ेंगे...
बस आप सब हमें मानसिक ताकत देते रहिए..
सादर..
बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स।
जवाब देंहटाएंकुलदीप भाई, मेरी रचना पांच लिंको का आनन्द में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। लेकिन अबकी बार इसकी सूचना मेरे ब्लॉग पर नही दी गई थी। मैं जब ब्लॉग पर ऐसे ही आई तो मेरे ब्लॉग की लिंक दिखी। वैसे देख कर खुशी हुई। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआज का अंक सखी श्वेता जी का था
हटाएंभाई कुलदीप जी मेरे निवेदन पर आए थे
शायद भूल गए होंगे
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक। बहुत अच्छी रचनाएँ। सादर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचनाओं की प्रस्तुति। मैं ने तो इनमें से कुछ रचनाएं पहले ही पढ चुका हूं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं से सजा अंक,बहुत आभार कुलदीप जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
सादर।