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रविवार, 16 मई 2021

3030 ..ये समझ कर चलिए कि पिछले वर्षों में जो कमाया है वही इन दो वर्षों में खा चुके और आगे के वर्षों में भी वही खाना ही है

आभासी प्रस्तुति..वाकई आप अपने घर पर बैठे-बैठे
कार में बैठ कर गाने सुन सकते है और बाहर
सड़क का शोर भी सुन सकते है
चलिए कुछ गाने सुने कार में  बैठ कर

सादर नमस्कार
कोरोना को पहचान चुके हैं सब
वह आया है और फौज -फाटे के साथ आया है
परिवार के अपना ही लोगों को बुला भी रहा है
आने दीजिए..हमारा भारत खातिरदारी में उस्ताद है
चलिए आगे की बातें करें इसी से मिलती जुलती....



सारे चिकित्सीय उपकरणों से नियत समय पर जाँच कर-कर के उनके मापों को एक पुरानी डायरी में नोट करना ,
नियत समय पर भाप लेना , काढ़ा पीना और सारी दवाईयाँ लेना। भाप लेने के लिए वेपोराइज़र में -
1) Karvolplus - वेपोराइज़र का पानी बदलने पर हर बार एक कैप्सूल डाल कर भाप लेने के लिए कहा गया था।
गरारे के लिए गर्म पानी में कभी हल्दी- नमक डालकर तो कभी
1) Betadine - कुछ बूँदें मिला कर प्रतिदिन कम से कम दो बार गरारे करने की राय दी गई थी।
इन सब के साथ ही सबसे महत्वपूर्ण सलाह यह थी कि जब भी पीना है , तो गुनगुना पानी ही पीना है।
कोई ठण्डा पेय पदार्थ या खाद्य पदार्थ तो सोचना भी गुनाह है। और हाँ .. रात में हल्दी डाला हुआ सुसुम-सुसुम ( गुनगुना )
दूध फूँक-फूँक कर पीना भी दिनचर्या में शामिल हो गया है। साथ ही प्रतिदिन सुबह में ओंकारा , कपालभाति ,
अनुलोम-विलोम , भस्त्रिका , उज्जायी , भ्रामरी जैसे साँस और फेफड़े से सम्बंधित योगाभ्यास की राय पर जहाँ तक अमल करने की बात है ,
तो वह तो पहले से ही दिनचर्या में शामिल है।


राघव नाम की महिमा,गाओ सुबहो शाम,
हरि कृपा तुझे मिलेगी,कष्ट हरेंगे राम।।

प्रभुनाम ताबीज है ,ह्रदय बांधलो गाँठ,
पतझड़ बसन्त वही हैं,याद रहे ये पाठ।।

मुंह की सफाई (oral hygiene) का ख़याल रखें ! दिन में कम से कम दो बार गुनगुने नमक के पानी से और एक बार बेटाडीन से गरारे करें |

दिन में दो से तीन बार भाप लें ,कुछ देर धूप में अवश्य बैठें |

कोरोना संक्रमण काल में लोग घबराहट के कारण मनोस्थिति से नियंत्रण खो रहे हैं। ऐसे समय में धैर्य के साथ महामारी का मुकाबला करना बहुत जरूरी है।

कोरोना की आधी जंग तो मन से जीती जा सकती है। डाक्टर सभी मरीजों को बेहतर उपचार देने का प्रयास करते हैं, लेकिन जो लोग मन से भय निकालकर धैर्य और सकारात्मक भाव से रहते हैं, वे कोरोना से लड़ाई में जीतकर पूरे समाज के लिए उदाहरण बनते हैं।


मैं कोरोना नहीं हूँ
कि टीके से चला जाऊँ,
मुझे दूर करना है,
तो दिल से कहो
कि चले जाओ.


हाँ, बीत जाते हैं जो, साथ होते नहीं,
पर वो पल, बीत पाते हैं कहाँ!
सजर ही आते हैं, कहीं, मन की धरा पर,
पलों के, विशाल यूकेलिप्टस!
लपेटे, सूखे से छाले,
फटे पुराने!


सृष्टि के प्रारंभ से ही
ब्रह्मांड के कणों में
घुली हुई
नश्वर-अनश्वर
कणों की संरचना के
अनसुलझे
गूढ़ रहस्यों की
पहेलियों की
अनदेखी कर
ज्ञान-विज्ञान,
तर्कों के हवाले से
मनुष्य सीख गया
....
सनम्र निवेदन
ये समझ कर चलिए कि
पिछले वर्षों में जो कमाया है
वही इन दो वर्षों में खा चुके
और आगे के वर्षों में भी वही खाना ही है
भले ही माड़ पिएं फूंक-फूंक कर
सारी दवाएँ किचन में ही है
आज-कल में मिला अनुभव यही कहता है
सादर


7 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अंक..
    आज तक जितने भी वायरस पैदा हुए हैं
    उसे भारत ने ही हराया है, मलेरिया, प्लेग,टीबी,पोलियो,डेंगू, चिकनगुनिया,सार्स और अब कोरोना की बारी है..
    ये बात तो है, कोरोना अमीरों-गरीबों मिटा फर्क मिटा कर भारत में एकता का आगाज कर रहा है..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छा चयन. मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सकारात्मक लेखन,हमारी रचना को शामिल करने के लिए ह्रदय से धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. आज लिंक पर नहीं जा पाई हूँ ...... कल जाउंगी ..... शुक्रिया ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर संकलन ... इसमें स्थान पाकर प्रसन्नता हुई ... बहुत बहुत आभार व शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं

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