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सोमवार, 10 मई 2021

3024 ..ऐ दिल,तू चल संग मेरे .अकेलापन महसूस हो रहा है

सादर अभिवादन
आज अपरिहार्य कारणों से दीदी नहीं है
शायद कल आए
चलिए देर आज की रचनाएँ देखें

मुझे एक ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए?
है तो लेकिन वो सिर्फ परिवारी जन के लिए है. 
क्या पेशेंट आपके परिवार के हैं?
मैंने जोर से सर हिलाकर कहा 'हाँ, एकदम' 
जबकि सर हिलाना फोन पर नहीं दिखा होगा.
कौन हैं?
मैंने कहा वो मेरे पिता जैसे हैं?
मैडम 'जैसे' का कोई रिश्ता नहीं होता.
फोन कट


निरर्थक हैं ऐसे सारे प्रश्न तब तक
जब तक
हम में सामूहिक हौसला नहीं जागता
उत्तरों को
आईसीयू से
जीवित बचा लाने का,
निरर्थक हैं सारे प्रश्न।


युद्ध भूमि में डटी हुई
सुख सुविधा से कटी हुई
सेना हूँ मैं तेरी माँ !
रचना हूँ मैं तेरी माँ !

संघर्षों से दपी हुई
कुंदन जैसी तपी हुई
मूरत हूँ मैं तेरी माँ !
रचना हूँ मैं तेरी माँ !


मैं आज - कल  
प्रेम में हूँ  ...
प्रेम चाहता है एकांत
मैं भी एकांत में हूँ
कर रही हूँ
बेसब्री से इंतज़ार
कब आओ तुम मेरे द्वार


ऐ दिल,तू चल संग मेरे
मेरे ख्यालों के हसीन
दुनिया में...
जहाँ हूँ मैं और तुम हो
उस हसीन दुनिया मे

जाड़ों की नरम धूप सी
ओढ़कर तेरी यादों को
अलसाये तन बदन और
करवटों में शाम हो जाये
सादर

 

15 टिप्‍पणियां:

  1. आज का ये स्थान मेरा नही है
    अतिक्रमण हेतु क्षमा
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. यशोदा ,
      क्षमा सहित ,
      कैसा वक़्त है न कि न दिन याद रहा न अपनी ज़िम्मेदारी ।
      सभी पाठकों से क्षमा याचना 🙏🙏🙏🙏

      हटाएं
    2. कई बार ऐसा हुआ है, किसी परिस्थिति में बुद्धि लाक हो जाती है..
      सादर नमन

      हटाएं
  2. पसंद आई
    ताबड़तोड़ प्रस्तुति..
    जल्दबाजी में भी सटीक रचनाएं
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी अच्छी रचनाएं...। सभी रचनाकारों को खूब बधाई। सभी साथी अपना ध्यान रखियेगा और अपने परिवार का भी।

    जवाब देंहटाएं
  4. बाहर सुंदर लिंक्स का चयन । कम समय में भी सुंदर लिंक्स समेटे । आई सी यू में जूझते प्रश्न ने झकझोर दिया । 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. जय माँ जानकी ! प्रस्तुति है!आज सुबह जब पाँच लिंकों के आनंद को खोला तो कोई प्रस्तुति न देख कर मन चिंतित हो गया। फिर अभी आई, दिन भर सोच रही थी कि क्या कारण हो सकता है फिर अभी आई । अभी हर एक लिंक पर जाऊँगी । आप सबों को प्रणाम ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आप जैसी अवस्था मेरी भी हुई थी..
      पर मैं भिड़ गई.. और आधे घण्टे में
      प्रकाश देने लगी..
      आभार.

      हटाएं
  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  7. हार्दिक धन्यवाद यशोदा अग्रवाल जी 🙏

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह ! बहुत ही सुन्दर सार्थक लिंक्स से सुसज्जित आज का संकलन ! मेरी रचना को इसमें स्थान दिया ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार सखी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  9. मार्मिक और भावपूर्ण रचनाओ से सजा अंक आदरणीय दीदी। कई बार जल्दबाजी में भी। लाजवाब पकवान बन जाता है। बेहतरीन अंक के लिए शुभ कामनाएं और बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर प्रस्तुतियां आदरणीय दीदी,सादर नमन आपको,और सादर शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत अच्छे लिंक्स। अभी पढ़े। आदरणीया यशोदा दी से सीखा तत्परता और समर्पण। यही है आज के अंक की सबसे बड़ी विशेषता। सादर।

    जवाब देंहटाएं

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