शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अनुपमा त्रिपाठी जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में आपका स्वागत है।
करोना की दूसरी लहर कमज़ोर पड़ती नज़र आ रही है अर्थात ग्राफ पीक (शीर्ष) से नीचे की ओर आया है जो सीधा नीचे नहीं आएगा बल्कि फ़्लैट होकर आगे कुछ महीनों तक चलता रहेगा। अतः सावधानियों में समझौता न करें। कोविड-19 नियमों का पालन करें।
आइए पढ़ते सद्य प्रकाशित कुछ पसंदीदा रचनाएँ-
पीले पत्तों सी परिणति...कुसुम कोठारी
खेल खेलती विधना औचक
मानव बन कंदुक लुढ़के
गर्व टूटके बिखरा ऐसा
इक दूजे का मुंह तके।
मोम बनी है पिघली पीड़ा
ठंडी होकर ओस झरे।।
बारिश .....!!...अनुपमा त्रिपाठी
सुबह से शाम होती हुई जिंदगी को
लिख भी डालो लेकिन
जब तलक सूर्योदय न हो ह्रदय का
रात की सियाही को
उजाले से जोड़ोगे कैसे .....?
जग मेले में आकर मिलते
सँग-सँग खुशियां सोग बांटते,
इक दूजे का स्नेह पात्र बन
बढ़ते, पलते, और पनपते !
इक झटके में गुम हो जाते
मधुर याद बनकर रह जाते !
इतिहास में हम | कविता | डॉ शरद सिंह
क्यों नहीं खुल कर कोसते
उनको भी
जो हैं हत्यारे मानवता के
और बेचते हैं नकली इंग्जेक्शन
नकली दवाएं
नकली ऑक्सीजन
गिद्ध या हायेना से भी बदतर
नोंच-नोंच कर खाने वाले
जीवन की उम्मीदों को
नरभक्षी नहीं तो और क्या?
आँखों में आँखे डालकर !!!... सीमा 'सदा'
किसी उदास मन को
एक मुस्कान देकर,
दुआओं के कुछ बोल सौंप दो
जिंदादिली से, देखना तुम
गुज़र जाएगा ये वक़्त,
तमाम मुश्किलों की
आँखों मे आँखे डालकर !!!
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरुवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
हत्यारे मानवता के
जवाब देंहटाएंऔर बेचते हैं नकली इंग्जेक्शन
नकली दवाएं
नकली ऑक्सीजन
गिद्ध या हायेना से भी बदतर
नोंच-नोंच कर खाने वाले
जीवन की उम्मीदों को
नरभक्षी नहीं तो और क्या?
आभार
सुन्दर अंक..
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
शीर्षक पंक्ति अनुपमा जी की कविता से ली गई है, कृपया देख लें, समसामयिक सराहनीय रचनाओं के लिंक्स, आभार !
जवाब देंहटाएंग़लती सुधार ली गई है। ध्यानाकर्षण हेतु सादर आभार आपका।
हटाएंबढ़िया🌻👌
जवाब देंहटाएंअन्य उत्कृष्ट लिंक्स के साथ ,सादर धन्यवाद मेरी रचना को सम्मान देने के लिए !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक सुंदर शीर्षक,कविता भी इतनी ही अभिनव।््
जवाब देंहटाएंलोकहितार्थ सुंदर उद्बोधन देती भूमिका।
सभी रचनाकारों को बधाई सुंदर सृजन ।
मेरी रचना को हलचल का अंग बनाने के लिए भाई रविन्द्र जी का बहुत बहुत आभार।
सादर सस्नेह।
बहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को 'पाँच लिंकों का आनन्द'में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र सिंह यादव जी 🙏
जवाब देंहटाएंसारगर्भित अंक...
जवाब देंहटाएंरोचक एवम सार्थक अंक,बहुत शुभकामनाएं रवींद्र सिंह यादव जी ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स संजोए हैं रविन्द्र जी । कल सब नहीं पढ़ पाई थी ।
जवाब देंहटाएंआभार ।