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मंगलवार, 4 मई 2021

3018 ...आजकल मेरी ग़ज़ल रूठी हुई है जो बनी मरहम सदा सुखदा रही है

कोरोना ने मेरी दीदी डॉ वर्षा सिंह को मुझसे छीन लिया....
आज  03.05.2021 को सुबह 02:00 बजे  कोरोना ने  मेरी दीदी डॉ वर्षा सिंह को मुझसे छीन लिया....


आज की सुबह एक मनहूस खबर लाई
आदरणीय डॉ. वर्षा सिंह नही रहीं
उनके बारें में अधिक तो पता नहीं
पर आज उनकी ग़ज़ले पढ़िए..


अंकुरित संभावना मुरझा रही है
शोक से संतप्त होकर गा रही है

आजकल मेरी ग़ज़ल रूठी हुई है
जो बनी मरहम सदा सुखदा रही है


इस जहां के हज़ार कांटों में
इक महकता गुलाब है औरत

इसमें दुर्गा, इसी में मीरा भी
आधी दुनिया की आब है औरत

जोड़, बाकी, बटा, गुणा "वर्षा"
ज़िन्दगी का हिसाब है औरत


आज न तो लिखने का मन है
नही पढ़ने का
बस सहम कर रहने का मन है

किसी को भय है कि
ईश्वर सब देख रहा है…!!

किसी को विश्वास है कि
ईश्वर सब देख रहा है…!!! 

सादर



26 टिप्‍पणियां:

  1. नि:शब्द! न नम आंखों को कुछ दिख रहा है न कंठ से कोई शब्द फूटने को तैयार है... कितना धुंधला-सा लगता है जीवन का यह चित्रपट! वर्षा जी की स्मृति सदैव मन के एक विक्षुब्ध कोने में काल के इस क्रूर दंश से सिसकती रहेगी। वर्षा जी प्रणाम। हमारी यादों के अंतरिक्ष में आपकी ग़ज़ल सर्वदा अनंत को साधती रहेगी।😢😢😢🙏🙏🌹🌹🙏🙏
    आदरणीय शरदजी, काल के इस भयानक प्रहर में हम आपके साथ हैं। ईश्वर इस भीषण त्रास को सहने की हम सबको शक्ति दे और दिवंगत आत्मा को चिर शांति!!🌹🌹🌹🙏🙏🙏

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  2. ये समय विश्राम का है
    अपूरणीय क्षति..
    शक्ति दे माँ..
    आदरांजलि..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. डा० वर्षा सिंह का परिचय:

      M.Sc. in Botany, Doctorate in Electro Homeopathy मैं यानी डॉ. वर्षा सिंह बचपन से लेखन कार्य कर रही हूं। मैं वनस्पति शास्त्र में एम.एस.सी हूं, इलेक्ट्रो होम्योपैथी में डॉक्टर हूं तथा मध्यप्रदेश पूर्वक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमि. सागर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुकी हूं। मेरे छः ग़ज़ल संग्रह - वक्त पढ़ रहा है, सर्वहारा के लिए, हम जहां पर हैं, सच तो ये है, दिल बंजारा, ग़ज़ल जब बात करती है ; दो नवसाक्षरों हेतु पुस्तकें -पानी है अनमोल, कामकाजी महिलाओं के सुरक्षा अधिकार; एक आलोचना पुस्तक-हिन्दी ग़ज़ल: दशा और दिशा प्रकाशित हैं। मुझे मेरे सृजनात्मक लेखन हेतु केन्द्रीय हिन्दी परिषद, मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मण्डल द्वारा ‘विशिष्ट हिन्दी सेवी सम्मान,हिन्दी परिषद् (बीना शाखा) मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मण्डल द्वारा ‘हिन्दी शिरोमणि’ सम्मान,राजभाषा परिषद् भारतीय स्टेट बैंक, सागर शाखा द्वारा ‘उत्कृष्ट साहित्य सृजनकर्ता सम्मान’,हिंदी साहित्य सम्मेलन शाखा सागर द्वारा ‘सुधारानी जैन महिला साहित्यकार सम्मान’, बुन्देली लोक कला संस्था, झांसी, उत्तरप्रदेश द्वारा ‘गुरदी देवी सम्मान’ , शक्ति सम्मान आदि अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। मैं मानती हूं कि महिलाएं शक्ति का पर्याय हैं। उन्हें अपनी शक्ति को पहचान कर आत्मनिर्भर बनना चाहिए, ताकि देश और समाज के विकास में वे अपना पूर्ण योगदान दे सकें।

      हटाएं
  3. कल से ही आ. डा. वर्षा जी के निधन की खबर पाकर स्तब्ध हूँ। कई बार उनकी प्रतिकियाओं ने मुझे प्रेरित किया है।

    उनके बारे में ज्यादा व्यक्तिगत जानकारी तो नहीं, पर रचनाओं और उनकी लेखन कलाओं के माध्यम से उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी है मुझ पर। उनकी सशक्त रचनाएँ ब्लॉग जगत में एक मील के पत्थर की तरह अंकित रहेंगी।
    उनकी असामयिक मृत्यु ब्लॉग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
    ईश्वर से उनकी दिवंगत आत्मा हेतु शांति की प्रार्थना करता हूँ।
    आदरणीया शरद जी व उनके समस्त बन्धुजनो को, ईश्वर, इस दुख की वेदना को सहन करने की शक्ति दें ।।।।
    श्रद्धांजलि। ।।।।।।

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  4. निशब्द!! अभी-अभी फेसबुक पर पोस्ट देखी वर्षा जी अब हमारे बीच नहीं..आँखों को विश्वास ही नहीं हो रहा 😢ओह बेहद दुखद, ईश्वर उन्हें चरणों में स्थान दें। भावपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏😢

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  5. श्रद्धांजलि के रूप में पेश है, उनकी ही लिखी कुछ पंक्तियों से प्रभावित, एक कविता, मेरी ओर से एक श्रद्धासुमन -
    https://purushottamjeevankalash.blogspot.com/2021/05/blog-post_4.html

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  6. बेहद दुःखद .. विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🏻🙏🏻

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  7. कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हूँ।इस खबर को सुनकर स्तब्ध हूँ।आ.वर्षा जी की रचनाएं पढ़कर उनसे लगाव सा हो गया था।यह हृदय विदारक सूचना है। पता नहीं यह कोरोना और कितने लोगों की जिंदगियां उजाडेगा।ईश्वर उनके परिवार को शक्ति प्रदान करें।सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीया वर्षा मैम को विनम्र श्रद्धांजलि । उनके ब्लॉग पर एक ही बार गई थी, किसी अन्य ब्लॉग पर उनकी प्रसतिक्रिया के माध्यम से।भगवान जी उन्हे अपने चरणों में स्थान दें और उनके परिवार के साथ रहें । हर ओर बुरे और दुखद समाचार से मन विचलित हो रहा है , बस माँ प्रकृति सबकी पुकार सुन कर , इस महामारी के श्राप से हमें मुक्त करें ।

    जवाब देंहटाएं
  9. मन में गहरा दर्द है, उनकी प्रतिक्रियाएं बेहतर करना सिखाती थीं। ये दौर बहुत क्रूर है और ये आघात पर आघात देता जा रहा है। ईश्वर से प्रार्थना है उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें। विनम्र श्रद्धांजलि

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही दुखद खबर। विनम्र श्रद्धांजलि।

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  11. अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  12. आज का ये अंक वर्षा जी के लिए श्रद्धाञ्जली स्वरूप होगा सोचा ना था।
    विश्वास नहीं कर पा रहे कि वर्षा जी नहीं रही। उनका खूबसूरत, तेजस्वी मुखड़ा आँखों से ओझल नहीं हो पा रहा। उनके ब्लॉग पर जाते ही सुंदर छवि चित्र बरबस सम्मोहन में मेंबांध लेता था। मैंने हाल ही में हुई उनकी माता जी के निधन के फलस्वरूप उनके ब्लॉग पर श्रद्धाञ्जली शब्द लिखे थे। अपनी अस्वस्थता में शायद वे उनका उत्तर ना दे पाईं और उत्तर अपने साथ लेकर चली गयी। ज्यादा परिचय ना होने पर भी भी स्नेह स्वरूप उनके शुभ कामना संदेश फेसबुक पर यदा कदा मिलते रहते थे। एक दो बार वहाँ अनौपचारिक संवाद भी हुआ जो मेरे लिए अविस्मरणीय है। आभासी संसार भी एक परिवार जैसा ही लगता है अब तो। यहाँ भी कोई अनहोनी परिवार जैसे ही दर्द देती है। वर्षा जी की रचनाएँ आँखें नम करती रहेंगी। उनका भावपूर्ण लेखन सदैव पाठकों को रिझाता रहेगा। शरद जी के लिए बहुत दर्द का अनुभव हो रहा है। माँ और बड़ी बहन को एक साथ खोना कितना हृदय विदारक रहा होगा ये सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। बुंदेलखंड ने अपनी इस मेधावी, विदुषी बेटी को खोकर ,संस्कारों और समाज के प्रति समर्पित एक विलक्षण व्यक्तित्व गँवा दिया है।
    नमन वर्षा जी।
    आप हमेशा याद आयेंगी। आपकी पुण्य स्मृतियों को विनम्र सादर नमन।
    शरद जी के साथ मेरी संवेदनाएं। साथ में उनके स्वास्थ्य के लिए दुआएं, वे सकुशल रहे और परिवार, माँ बहन की विरासत सहेजें, ईश्वर उन्हें नियति का ये प्रचंड प्रहार सहने की शक्ति दे। 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं
    2. शब्द-शब्द कम है,
      शब्द-शब्द गम है...

      हटाएं
    3. मेरे होठों की बात छीन ली है आपने आदरणीय पुरुषोत्तम जी।

      हटाएं
  13. लौट आओ दोस्त
    हुई सूनी दिल की महफ़िलें,
    नज़्म है उदास
    थमे ग़ज़लों के सिलसिले,
    अंतस में घोर सन्नाटे हैं।
    सजल नैनों में ज्वार - भाटे हैं
    बिछड़े जो इस तरह गए
    ना जाने किस राह चले?
    कौन देगा शरद को
    स्नेह की थपकियाँ
    किसके गले लग बहन की।
    थम पाएंगी सिसकियां
    किस बस्ती जा किया बसेरा
    हुए क्यों इतने फासले!!

    जवाब देंहटाएं
  14. अश्रुपूरित श्रद्धांजलि आ.वर्षा जी!वैसे ये बड़ी हिचक के साथ लिख रही हूँ यकीन ही नहीं हो रहा जैसे मन को अभी भी इंतजार है कि कहीं से कोई कहे कि ये खबर झूठी थी...या फिर वही हँसते मुस्कराते खूबसूरत चेहरे के साथ मन्त्रमुग्ध करती गजल लेकर वर्षा जी रीडिंग लिस्ट में दिखाई दें...काश...
    हमारे ब्लॉग परिवार केसभी सदस्यों के शोकाकुल भावों को रेणु जी ने बहुत ही हृदयस्पर्शी शब्द दिये हैं
    लौट आओ दोस्त
    हुई सूनी दिल की महफ़िलें,
    नज़्म है उदास
    थमे ग़ज़लों के सिलसिले,
    अंतस में घोर सन्नाटे हैं।
    सजल नैनों में ज्वार - भाटे हैं
    बिछड़े जो इस तरह गए
    ना जाने किस राह चले?
    कौन देगा शरद को
    स्नेह की थपकियाँ
    किसके गले लग बहन की।
    थम पाएंगी सिसकियां
    किस बस्ती जा किया बसेरा
    हुए क्यों इतने फासले!!
    ....

    जवाब देंहटाएं
  15. क्या लिखें हम कोई शब्द न सूझ रहा।

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  16. विश्राम करिए घर पर
    जो मीठा-सीठा खाइए...
    बच्चों के साथ कौड़ी-गोटा खेलिए..
    यही कह रही है वर्षा जी
    जो मैंनें सहा वो मत सहिए आप..
    सादर नमन..

    जवाब देंहटाएं
  17. ईश्वर दिवंगत वर्षा दीदी को अपने चरणों में स्थान दें, उन्हें चिरशांति प्रदान करें।
    शरद दीदी को हिम्मत बख्शें। हमारे वश में बस प्रार्थनाएँ करना ही रह गया है।

    जवाब देंहटाएं
  18. प्रिय वर्षा जी को भावभीनी श्रद्धांजलि एवं शत शत नमन ।

    जवाब देंहटाएं
  19. इस पोस्ट के लिए आपका आभार। वर्षा जी से बिना मिले, उनसे बिना किसी औपचारिक संबंध के भी उनके चले जाने से जो मुझ पर गुज़री है और जो गुज़र रही है, वह मैं ही जानता हूं। केवल एक खबर इंसान को किस कदर तोड़ सकती है, यह मैंने अब जाना।

    जवाब देंहटाएं

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