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सोमवार, 31 मई 2021

3045 ......... अँधेरा है फिर उजाला दूर नहीं ......

 --------चर्चा का प्रारम्भ एक मुक्तक से --------


आज कल आईने से ज्यादा चेहरा बदलता है 
सहूलियत से बात ही नहीं रिश्ता तक बदलता है 
सही समझा है तुमने इस मतलबी दुनिया को 

अपनी जिद में इंसान दूसरों के जज़्बात नहीं समझता है .  


(  संगीता स्वरुप .)


आइये चलते हैं आज के पाँच लिंक के  आनन्द  पर ....


यूँ तो आनन्द  आज कल कहीं भी न तो मिल रहा है और न ही महसूस होता है ...बस सब अपने कर्तव्य समझ  अपने काम को अंजाम दे रहे हैं ...इसी क्रिया में ही मैं भी ले कर आ गयी हूँ आप प्रबुद्ध पाठकों के लिए कुछ विशेष लिंक ....आज  की इस चर्चा में मैं एक विशेष साहित्यकार की रचना प्रस्तुत कर रही हूँ ...  आप लोगों में से बहुत से लोग परिचित होंगे और शायद कुछ न भी हों .. आज परिचय करा रही हूँ .....वरिष्ठ पत्रकार श्री गिरीश पंकज जी से जो  छत्तीसगढ़  से हैं और व्यंग्य विधा के पुरोधा  हैं ... इन्होने ब्लॉग पर शायद अपना प्रोफाइल अपडेट  नहीं किया है ..जहाँ तक मैंने  फेसबुक पर पढ़ा था कि इनकी १०० किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं ... आज आपके लिए एक व्यंग्य ग़ज़ल ...




रामलुभाया....

राजनीति मतलब उनका है चोखा धंधा
सुबह शाम 'धंधा' करते हैं रामलुभाया

जाने कितने ठग मरते फिर पैदा हो कर
इक दिन हिट नेता बनते हैं रामलुभाया

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ऐसे रामलुभाया के बारे में सोचते हुए  ज़रा आगे कदम बढायें और जाने इस दुनिया  की सच्चाई  कि ज़िन्दगी में कुछ  लोगों को क्या क्या सहना और समझना पड़ता है ... श्री देवेन्द्र पांडे  जी को ब्लॉग जगत में बेचैन आत्मा के नाम से जाना जाता है ..... आज कुछ ज्यादा ही बेचैन हो ले कर आये हैं एक लघु कथा ... 



लघु कथा से कुछ पंक्तियाँ भी यहाँ दे दूँ तो फिर आप क्या पढेंगे ? इसलिए आप लिंक पर क्लिक कीजिये और इनके ब्लॉग पर ही पढ़ें कि आखिर क्या हुआ इस दिन ..... 

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आज जब हर जगह निराशा का साम्राज्य है कहीं कोई उम्मीद नज़र नहीं आती  लेकिन  हमारे कवि श्री अरुण चन्द्र राय जी  मन में आशा का दीप जला रहे हैं ...


रात हुई है तो सवेरा दूर नहीं 


अंधेरा है फिर उजाला दूर नहीं 


थक कर रुक गए तो बात अलग 


चलते रहे तो समझो मंजिल दूर नहीं। 


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और जब मन में विश्वास हो तो उदास मौसम में भी कुछ हास्य का  पुट हो तो ग़मगीन माहौल भी थोडा हल्का लगता है .... यूँ सुश्री  सरस जी बहुत गंभीर लेखन ही अधिकतर करती हैं लेकिन व्यंग्य विधा में भी बहुत अच्छी पकड़  है . आज उनका लिखा एक व्यंग्य ....




गुनाह बेलज्जत



मिसेज शर्मा अपने मोटापे से बहुत परेशान थीं । अब तक बेचारी सारी तरकीबें आज़मा कर थक चुकी थीं। शायद ही कोई सलाहकोई सुझाव उन्होने छोड़ा हो। शायद ही कोई नुस्खा हो जो उन्होने न आज़माया हो।  किसी ने कहा मिसेज शर्मा आपने कुनकुने पानी में नीबू और शहद डालकर पिया है? बहुत फायदा करता है । मेरी तो पेट की चर्बी उसीसे कम हुई , 
पूरे 6 महीने से पी रही हूँ |

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 अंत में एक समसामयिक कहानी .... अपने दुःख ही सबको सबसे बड़े लगते हैं .... लेकिन कुछ लोग अपने दुःख से कुछ सीख कर मानवीय सेवा को तत्पर हो जाते हैं ..... सुश्री शरद सिंह  जी  की कहानी ... 




‘‘हैलो, मैं सिया बोल रही हूं.... नहीं-नहीं राकेश जी, आप अपने आपको अकेला न समझें हम सभी आपके साथ हैं। खाने के पैकेट्स तो आपको मिल रहे हैं न? नहीं-नहीं, संकोच मत करिए हम सभी आपके मित्र भी हैं, भाई भी, बहन भी। हम सब आपका परिवार हैं। जो भी ज़रूरत हो निःसंकोच बताइए...।’’
‘‘दूधवाला नहीं आया! ओके मैं व्यवस्था करती हूं दूध का पैकेट भिजवाने की। आप चिंता न करें! मैं फिर कह रही हूं... आप अपने आप को अकेला महसूस न करें...हम हैं न आपके साथ।’’

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आज बस इतना ही ..... .. आपकी प्रतिक्रियाओं  की प्रतीक्षा रहेगी ..... अभी भी घर पर रहिये  ....सुरक्षित रहिये .... 

नमस्कार 

संगीता स्वरुप 

33 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी जिद में
    इंसान दूसरों के जज़्बात
    नहीं समझता है .

    आदरणीय गिरीश भैय्या से वे कई बार मिले है..
    बहुत ही मिलनसार व्यक्ति हैं वे...
    इस बेहतरीन अंक के लिए आभार..
    सादर नमन..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया यशोदा । गिरीश जी के बारे में जान कर अच्छा लगा।

      हटाएं
  2. बहुत सुंदर संयोजन और सार्थक एवं सामयिक भी। आभार।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. विश्वमोहन जी ,
      प्रस्तुति पसंद करने के लिए आभार ।

      हटाएं
  3. बहुत सुंदर। आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. गिरीश जी ,
      आपका यहाँ उपस्थिति दर्ज कराना ही उपलब्धि के समान है । आभार न कहें ।
      शुक्रिया ।

      हटाएं
  4. शुभ-प्रभात.....
    आप की प्रस्तुति एक विशेष आनंद देती है......
    सादर नमन......

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!खूबसूरत प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका आभारी हूँ

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. देवेंद्र जी ,
      आप ऐसी ही रचनाएँ लिखते रहें , और हम यहाँ शामिल करते रहें ।
      शुक्रिया

      हटाएं
  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीया मैम, आपकी यह सुंदर व सकारात्मकता से भरी हुई प्रस्तुति के लिए हृदय से अत्यंत आभार । हर एक रचना सम -सामयिक विषयों पर आधारित, प्रेरणादायक और आनंदकर है । आदरणीय गिरीश सर को जान कर बहुत अच्छा लगा और उनकी रचना ने भ्रष्ट नेताओं का कच्चा- चिट्ठा खोल कर रख दिया और बहुत हँसाया । आदरणीय अरुण सर की कविता बहुत प्रेरणादायक और सुंदर लगी । आदरणीया सरस मैम की व्यंग्यात्मक रचना पढ़ कर मन आनंदित हुआ। आदरणीया शरद मैम की कहानी इतनी सुंदर और प्रेरणादायक है कि शब्द कम पड़ जाते हैं और आँखें नम हो जाती हैं । आदरणीय देवेन्द्र सर की लघु-कथा आज की बहुत ही दुखद समस्या को हमारे सामने रखती है । हृदय से आभार इस जानदार और प्रेरणादायक प्रस्तुति के लिए व आप सबों को प्रणाम ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय अनंता ,
      बहुत दिनों से दिखाई नहीं दिन थीं , थोड़ी चिंता हो रही थी ।सब ठीक है न ?
      तुम्हारी प्रतिक्रिया से मन आल्हादित हुआ । एक एक रचना पर तुम्हारी विशेष प्रतिक्रिया पा कर संतुष्टि हुई ।
      इतनी विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से शुक्रिया ।

      हटाएं
  9. सुंदर और पठनीय रचनाओं से सज्जित उत्कृष्ट प्रस्तुति,आपका बहुत आभार एवम नमन आदरणीय संगीता दीदी

    जवाब देंहटाएं
  10. साकारात्मक से भरपूर शानदार प्रस्तुति आदरणीया संगीता दी, आप सभी को सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  11. वेहतरीन रचनाओं का समागम, बस जब फुर्सत मिलती है आ जाता हूँ अपनेपन से पोर्टल पर, हमेशा आना संभव नहीं हो पता क्षमाप्राथी हूँ

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बलबीर सिंह जी
      आपको प्रस्तुति पसंद आई इसके लिए शुक्रिया ।
      ये आपका अपना मंच है जब भी आएँ स्वागत है ।

      हटाएं
  12. बहुत ही मोहक भूमिका के संग आनंदित प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भारती जी ,
      आपको प्रस्तुति मनमोहक लगी , तहेदिल से शुक्रिया ।

      हटाएं
  13. आज कल आईने से ज्यादा चेहरा बदलता है
    सहूलियत से बात ही नहीं रिश्ता तक बदलता है
    सही समझा है तुमने इस मतलबी दुनिया को
    अपनी जिद में इंसान दूसरों के जज़्बात नहीं समझता है .

    आजकल के हालात पर लाजवाब पंक्तियां हैं प्रिय दीदी। ये संशय भरे माहौल में जी रहे लोगों का सटीक चरित्र है।
    तीन गद्य रचनाओं के साथ दो सार्थक काव्य रचनाओं से मन आह्लादित हुआ । पंकज जी से पहली बार शब्द नगरी पर परिचय हुआ था। उस समय उस पटल पर वे प्रभावशाली रचनाकार थे। उनके रामलुभाया का गिरगिटिया चरित्र पढ़ होठों पर मुस्कान बिखर गई। देवेंद्र जी की मार्मिक रचना बहुत भावपूर्ण लगी , जो हृदय को स्पर्श कर गई। अरूण जी की रचना सकारात्मकता से भरी है। शरद जी की पोस्ट में आज 'अपनत्व मण्डली " के रुपमें मानवता की अनुगुंज हो रही है।नहीं तो, वर्षाजी के जाने के बाद ,उनकी काब्य रचनाएँ आँखें नम किए दे रही है। सरस जी की नायिका की खूब रही। मोटापे ने क्या क्या ना करवाया 😀😂😂 सभी रचनाकारों को
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। आपको आभार इतने सुन्दर प्रस्तुतिकरण के लिए। रचना के प्रति उत्सुकता बढ़ाती आपकी समीक्षा संयोजन में चार चांद लगाती हैं। पुनः आभार और प्रणाम 🙏🙏💐🌷🌷❤️🌷

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय रेणु ,
      मुक्तक पर गहन दृष्टि डालने के लिए आभार ।
      कोशिश की है कि गद्य रचनाओं को भी मंच पर समुचित स्थान दे पाऊँ । एक दो रचनाएँ और मेरी दृष्टि में थीं जिनको इस पटल पर लाना चाहती थी लेकिन ये पाँच लिंक हाथ बाँध देते हैं । खैर कभी फिर सही ।
      तुम हर रचना को पढ़ कर हर एक के बारे में व्याख्यात्मक टिप्पणी देती हो तो सच ही मन तृप्त हो जाता है । अपना किया छोटा सा प्रयास सार्थक लगने लगता है ।
      शरद जी के लिए तुमने सही कहा ..... इस कहानी ने भी आँखें नम कीं लेकिन एक सार्थक पहल के लिए । धीरे धीरे खुद को संभाल लेंगी । बहुत कठिन परिस्थिति से गुज़र रही हैं ।
      समीक्षा संयोजन पर भी तुम्हारी नज़र गयी इसके लिए तहेदिल से शुक्रिया ।
      सस्नेह

      हटाएं
  14. एक बात और लिखती हूं जो बहुत खटक रही है। कल के अंक में आलसी का चिट्ठा नाम से ब्लॉग लिख रहे ,माननीय गिरिजेश राव जी के अवसान की खबर पर पांच लिंको के पाठकों की असंवेदनशीलता पर बहुत अफसोस हुआ जब किसी ने मंच पर उनके सम्मान में दो शब्द तक नहीं लिखें 😔

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय रेणु ,
      तुमने अपने मन की बात से अवगत कराया इसके लिए आभार । पाँच लिंक का आनंद पर उनकी स्मृति में उनके लिए लिखे लेख को शामिल किया गया था । बहुत बार होता है कि किसी के बारे में अज्ञानता ही असंवेदनशीलता का कारण बन जाती है । गिरिजेश राव जी वैसे भी अपने आप में ही रहने वाले व्यक्ति थे । अभी कुछ नए ब्लॉगर ही इस मंच पर पाठक के रूप में आते हैं । शायद वो उनको इतने अच्छे से न जानते हों ।।
      लेकिन फिर भी तुम्हारी बात से सहमत हूँ ।
      उनके बारे में फेसबुक में इतनी सारी शानदार पोस्ट पढ़ीं थीं कि यहाँ इस कमी पर ध्यान नहीं गया ।
      सस्नेह

      हटाएं
    2. सखी रेणु जी
      कल पाँच लिंको का आनन्द में उनकी एक रचना है
      देखिएगा
      पाठकों ने प्रतिक्रया नहीं दी
      ये तो पाठक ही जानें
      सादर

      हटाएं
  15. प्रणाम दीदी, मैं प्रतिक्रिया देकर आई थी पर वहां मॉडरेशन है। सो पता नहीं कब। प्रकाशित करेंगे वे लोग। और मैं वहां की नहीं अपने मंच के बारे मे कह रही थी। आप लोगों ने तो अपना काम सही कर दिया था उन्हें श्रद्धांजलि देकर और उनका श्रद्धांजलि लेख प्रकाशित कर। खैर, पाठकों की वो जाने।

    जवाब देंहटाएं

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