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शनिवार, 15 मई 2021

3029... स्वार्थ

 

 हाज़िर हूँ...! उपस्थिति दर्ज हो...

यदि आपको सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, साँस लेने में तकलीफ, जोड़ों में दर्द, अत्यधिक थकावट, बदन दर्द, सिर दर्द, मांसपेशियों में अकड़न इत्यादि लक्षण आते हैं, तो.. निम्नलिखित_बातों का पालन शुरु कर दें..

1- खुद को आइसोलेट कर लें।

2- तरल पदार्थ जैसे सूप, जूस, काढ़ा, चाय, काफी, गुनगुना पानी, गर्म दूध आदि कम से कम 4 लीटर/दिन लेने का प्रयास करें।

3- पूर्ण रूप से आराम करें और अच्छी नींद लें।

4- अपने आप को फिल्म, शार्ट फिल्म, किताब, गाना, कहानी, कविता, क्रिकेट आदि के माध्यम से व्यस्त रखें।

5- स्नान भी गुनगुने पानी से ही करें। 

6- सुबह-शाम भाप लें और पानी गुनगुना करके नमक मिलाकर गरारा करें। 

7- ठंडे वस्तुओं से परहेज़ करें।

8- पल्स आक्सीमीटर से आक्सीजन नापते रहें 94 के नीचे आने पर तुरंत डॉक्टर/हॉस्पिटल से संपर्क करें। पेट के बल लेटें।

9- आक्सीमीटर न मिल पाने के स्थिति में अपने सांस को 14-18 सेकेंड के लिए रोक कर खुद को चेक करें। 

10- नकारात्मक बातों और घटनाओ से दूर रहें।

डॉक्टर के परामर्श पर ही निम्नलिखित दवाओं को शुरु कर दें।

1- पैरासिटामाल 650mg सुबह-दोपहर-रात

2- एज़िथ्रोमाइसिन 500mg रोज़ दिन में एक बार

3- डॉक्सी 100 mg सुबह-शाम 

4- आइवरमेक्टीन 12 mg तीन दिन तक रोज़ एक गोली फिर सप्ताह में एक बार

5- विटामिन सी (Limcee/ Vitcee) 500 mg सुबह शाम चूसना है। 

6- विटामिन D3 60K सप्ताह में एक बार

7- मोन्टेमैक-एल या मोन्टेयर एलसी एक सुबह एक शाम 

8- एवियान एल सी एक सुबह एक शाम 

इतना करिए और RTPCR करवाइए.. जब तक 3-4 दिन में रिपोर्ट आएगी हो सकता आपकी तीन चौथाई बीमारी समाप्त हो चुकी होगी।

स्वार्थ

अपनी खुशबू लुटाकर

भाग्य पर इठलाता हूं

मगर कुछ पल में कुडे़ 

में चला जाता हूं

अथवा पैरों से रौदा जाता है

ये अपमान सह कर 

रक्त के आंसू रोता हूं

स्वार्थ

हमारा प्रत्येक संबंध स्वार्थ की 

नींव पर ही तैयार हो रहा है।

स्वार्थ की इस इमारत के निर्माण में 

हमारा भी महत्वपूर्ण योगदान है। 

स्वार्थ की डोर से हम इस कदर जकड़े...

स्वार्थ

मुरझाए फूलों पर भौंरे भी कहाँ मँडराते है?

सुख की बहाव में हर एक का साथ मिलता है,

अपने दुख में डूबते ही, अपनों का पता चलता है।

अपने जज़्बात कहीं साझा करना भी व्यर्थ है,

स्वार्थ

थोड़ा नादान हूँ
विद्यार्थी हूँ मैं...
कभी क्रोधी, कभी लोभी
कभी व्यसनी, कभी भोगी
थोड़ा आसक्त हूँ
क्षमानार्थी हूँ मैं

 सच कुछ भी हो
पर मन माने तब ना।
वह तो विचार ढूँढे रखता है
अपने आप को बहला कर रखने के लिये।
अपने मुताबिक शब्दों की खुराक से
मन का पेट तो भर जाता है
पर वक़्त की कसौटी पर

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शायद पुन: भेंट होगी...
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10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    ऐलोपैथिक दवाओं की लिस्ट लाभदायक है
    होम्योपैथी और आयुर्वेदिक की भी लिस्ट दीजिएगा
    सदाबहार प्रस्तुति..
    सादर नमन.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति। कृपया एक बार अविनाश तिवारी जी के अविकाव्य ब्लॉग पर नजर डाले। एक से एक बेहतरीन कविताएं मिलेंगी।
    👇
    http://avikavya.blogspot.com/?m=1

    जवाब देंहटाएं
  3. सभ पोस्ट बहुत ही शानदार हैं। आपने एक बहुत ही जानकारीपूर्ण लेख साझा किया है, इससे लोगों को बहुत मदद मिलेगी, मुझे उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप भविष्य में इसी तरह के पोस्ट लिखते रहेगें। इस उपयोगी पोस्ट के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और इसे जारी रखें। आप मेरे ब्लॉग से किसी भी प्रकार के उपवास, उत्सव, कथा, महापुरुषों, राजनेताओं, अभिनेताओं, क्रिकेटरों की जयंती, पुण्यतिथि और जन्मदिन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवस आदि की जानकारी हिंदी में प्राप्त कर सकते हैं। World red cross day

    जवाब देंहटाएं
  4. "शायद पुन: भेंट होगी...
    शायद क्यूँ विभा जी ?
    जरूर भेंट होगी ! सभी जन स्वस्थ व प्रसन्न रहें

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत उम्दा प्रस्तुति विभा जी। जानकारियां भी काफी हैं जो आज की आवश्यकता हैं।

    जवाब देंहटाएं
  6. सभी लिंक्स पढ़ आये । और समझ गए कि हर इंसान थोड़ा बहुत स्वार्थी होता ही होता है ।।
    आभार ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका बहुत - बहुत आभार मेरी रचना पर प्रतिक्रिया देने एवं उत्साहवर्धन करने के लिए।

      हटाएं
  7. Badhiya prastuti. Shukriya meri kavita shaamil karne ke liye

    जवाब देंहटाएं
  8. सभी रचनाएं अपने आप में बेजोड़ है।

    जवाब देंहटाएं

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