तसल्ली भरे
आज मौसम बड़ा..बेईमान है बड़ा
हकीकत की शुक्रगुजार हूँ
उसके बीज बोने में
उसे सींचने में
आठवें रंग से उसे अद्भुत बनाने में
मैं सिर्फ माहिर नहीं थी
माहिर हूँ भी ...
दिल खोलकर मैंने
सबको अपने हिस्से का सपना दिया
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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आपकी पसंद के लिंक में मैं भी हूँ, यह मेरा सौभाग्य है
जवाब देंहटाएंआप हमेशा से मेरी पसन्द में रहीं हैं । बहुत कुछ सीखा है आपसे । सोच रही थी कि 14 साल का साथ है आपका । कुछ कहने की ज़रूरत नहीं होती , बस समझते हैं एक दूसरे को । शुक्रिया ।
हटाएंअपने शब्दों में आपने सबके मन को कह दिया
जवाब देंहटाएंजितना पढ़ पाई मन । बाकी बहुत कुछ अनपढा भी राह जाता है । आभार रश्मि जी ।
हटाएंसकारात्मकता का संदेश देती ,सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शुभा ।
हटाएंजियो हर पल
जवाब देंहटाएंऔर निर्वहन
करते हुए
अपनी जिम्मेदारियों का
सोचो कि
तुम ज़िंदा हो ...
ये शब्द मात्र नहीं ... जीवंत उदाहरण है ...
आपके इस श्रमसाध्य सहयोग का सादर वंदन
अनंत अनंत शुभकामनाएं
आप सभी के लिये
!!स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें !!
मेरी पंक्तियों पर सार्थक प्रतिक्रिया मिली ।आभार ।
हटाएंसमसामयिक तथा रोचक रचनाओं से सजा अंक प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत आभार संगीता दीदी,सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जिज्ञासा , इस अंक को भी स्नेह देने के लिए ।
हटाएंघर पर रहिए और लिखिए पढ़िए 🙏
जवाब देंहटाएंघर पर रहिए ...
हटाएंसार्थक संदेश
मन उचाट है कहाँ हो पा रहा लिखना पढ़ना । फिर भी कोशिश जारी है ।
शुक्रिया
आदरणीया मैम, आज की प्रस्तुति शुभता, आशा और सत्विकता का संचार करती है। प्रार्थनाओं और प्रेरक रचनाओं से बहिर चर्चा ने आज मन को सुख और शांति , दोनों ही दी ।
जवाब देंहटाएं"ईश्वर पर आस्था रखना" एक बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति है जो निस्वार्थ मन से सब की कल्याण कामना करती है। "ऊंचाई" एक बहुत ही सुंदर संदेश देती हुई प्रेरक रचना है। "गोविंद अब तो आ जाओ" बहुत ही भावपूर्ण आव्हान है जो आज मेरी प्रिय रचना रही । " हकीकत की शुक्रगुजार हूँ " न केवल स्वप्न देखना सिखाती है , उन्हें सच करने का हौसला भी देती है । हृदय से आभार इस आनंदकर और शुभ प्रस्तुति के लिए व आप सबों को प्रणाम ।
आदरणीया मैम, आपकी भूमिका भी बहुत ही सुंदर और प्रेरक है। इस स्थिति में बहुत सुंदर संदेश, सदा याद रखूँगी इन पँक्तियों को।
हटाएंप्रिय अनंता ,
हटाएंसभी लिंक्स पढ़ कर तुमने बहुत भावपूर्ण प्रतिक्रिया दी है । आश्वस्त होती हूँ जब ऐसी टिप्पणी मिलती है ।
सस्नेह ।
प्रिय अनंता ,
हटाएंमेरी लिखी भूमिका पदण्ड करने के लिए आभार ।
यदि पूरी कविता पढ़नी है तो उसके नीचे लिखे नाम पर क्लिक करें ।
पसन्द / पदण्ड
हटाएंआदरणीया मैम,ज़रूर आऊंगी। आती हूँ आज ही कुछ समय में।
हटाएंआदरणीया मैम, अभी-अभी आपकी रचना ओढ़ कर आ रही हूँ। मन को झकझोर दिया आपने। हृदय से अत्यंत आभार इस सशक्त रचना के लिए जो प्रेरणा भी देती है और समाज की बुराइयों पर वार भी करती है।
हटाएंबहुत आभार आपका मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंशुक्रिया प्रीति
हटाएंप्रभु से विनती और मनोबल बढाती एक-से-बढ़कर एक रचनाएँ ,ऐसे समय में इसी की जरूरत थी। बेहतरीन प्रस्तुति दी,
जवाब देंहटाएं"घर पर रहें, सुरक्षित रहें "सिर्फ इसी एक मंत्र से हम खुद को बचा ही नहीं सकते वरन मानवता की भी बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं,सादर नमन दी
प्रिय कामिनी ,
हटाएंआज वाकई मनोबल को बढ़ाना ही बेहद ज़रूरी है , हर पल कुछ न कुछ ऐसा घटित हो रहा है कि मन विक्षुब्ध हो उठता है ।
घर पर रहें , सुरक्षित रहें , और सच यही है कि खुद को बचाये रखें तो बहुत उपकार होगा ।
शुक्रिया
बहुत अच्छे लिंक्स। समीर जीबौर रश्मि प्रभा जी को पढ़ना हमेशा आनंद देता है।
जवाब देंहटाएंआभार अरुण जी ,
हटाएंसमीर जी और रश्मि जी तो स्तंभ हैं हमारी ब्लॉगिंग के । आपको लिंक्स पसंद आये ,अच्छा लगा ।
आज बस इतना ही ....
जवाब देंहटाएंअभी तो सपने हकीकत सब
गड्ड - मड्ड हुए पड़े हैं ....
एक ही गुजारिश ...
घर में रहिये सुरक्षित रहिये ...
सादर प्रणाम
आभार दिग्विजय जी ।।
हटाएंसुबह आए थे..
जवाब देंहटाएंसब शेयर किए हैं
बस प्रतिक्रिया छूट गई
नमन
ये प्रतिक्रिया न छोड़ा कीजिये । सबसे पहली टिप्पणी पढ़ने की आदत हो गयी है । नहीं आती तो चिंता हो जाती है ।
हटाएंशुभकामनाएँ
यशोदा जी आपके लिए बहुत सा प्यार और शुभकामनाएँ 🙏
हटाएंआशा, हौसला, आस्था , सकारात्मकता, सृजनात्मकता के सहारे ये मुश्किल दिन भी गुजर जाएंगे...बस प्रभु निराशा से बचाए रखे...सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया ...! सभी लिंक बहुत अच्छे 👌
जवाब देंहटाएंशुक्रिया उषा जी ।🙏🙏🙏🙏
हटाएंआ. डा. वर्षा जी के निधन की खबर पाकर स्तब्ध हूँ। कई बार उनकी प्रतिकियाओं ने मुझे प्रेरित किया है। उनकी असामयिक मृत्यु ब्लॉग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
जवाब देंहटाएंईश्वर से उनकी दिवंगत आत्मा हेतु शांति की प्रार्थना करता हूँ।
हम सब स्तब्ध हैं । हमारा तो 12 -13 वर्षों का साथ था । 🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंप्रिय दीदी, ब्लॉग जगत का चमकता सितारा यूँ अस्त हो जाएगा सोचा न था। वर्षा जी का आकस्मिक निधन स्तब्ध और व्याकुल कर गया। अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं। दोपहर में whaats up पर प्रिय श्वेता के बिलखते शब्द पढ़कर सन्नाटे में आ गयी। मेरे रौंगटे खड़े हो गए! श्वेता इतनी व्यथित थी कि उसके लिए सांत्वना के पर्याप्त शब्द ना मिल सके। अभी ना जाने उसका क्या हाल होगा कह नहीं सकती। शरद जी के लिए बहुत वेदना हो रही है। माँ के बाद माँ जैसी ममतामयी बहन को खोना कितना दर्दनाक रहा होगा, अनुमान लगाते भी आँसू बहने लगते हैं। ईश्वर करे शरद जी सकुशल हों। उनके लिए भी चिंता होने लगी है। वर्षा जी की पुण्य स्मृति को नमन लिखते हुए कलेजा फटा जा रहा है। अलविदा वर्षा जी🙏🙏 आप बहुत याद आयेगी। अश्रुपुरित नमन🙏🙏😪😴😥 😪😪
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति के लिये पहले ही मन बना चुकी थी। सभी रचनाकारों की रचनाएँ हृदयस्पर्शी हैं। रश्मि जी की रचना पढ़कर अच्छा लगा। मैंने पहली बार रश्मि जी को शब्दनगरी मंच पर पढ़ा था। तब उन्हें ज्यादा नहीं जानती थी। बाद में पता चला ब्लॉग जगत का स्तंभ हैं रश्मि जी। उनका लेखन चिंतन निशब्द करता है। पुरुषोत्तम जी भी शब्दनगरी से साथ हैं। उनका लेखन अपनी मिसाल आप है। उभरती हुई ब्लॉगर प्रीति जी भी अच्छा लिख रही हैं। सqदा जी तो सदैव से बेहतरीन हैं। समीर जी का हल्का फुल्का व्यंग बढिया रहा। भूमिका ने निशब्द कर दिया! हमारी जिम्मेवारी ही हमारा पुनीत कर्तव्य है। श्रम साध्य अंक के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🙏🙏
प्रिय रेणु ,
हटाएंतुमने तो अपने मनोभाव लिख दिए हैं , मेरे पास तो शब्द ही चुक गए हैं । बस अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि । शरद जी को ईश्वर धैर्य और शक्ति दे ।
इस प्रस्तुति पर विस्तृत टिप्पणी मिली । आभार ।।
बेहद उत्कृष्ट रचनाओं के साथ शानदार प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसच में आजकल पढ़ने लिखने का मन नहीं कर रहा...अभी रेणु जी की प्रतिक्रिया में वर्षा जी के बारे में पढ़ा ,यकीन नहीं हो पा रहा..स्तब्ध हूँ...सारी आशाएं अब टूटती सी नजर आ रही हैं
लगता है कोरोना अब आस-पास है...।
शरद जी और उनके समस्त परिवार का क्या हाल होगा....।
सुधा जी ,
हटाएंसबका हाल यही है , कुछ पढ़ने लिखने का मन नहीं है । कल से मन विचलित हो रहा । यूँ तो ये सिलसिला लगातार ही चल रहा है ।
सब स्वयम को सुरक्षित रखें ।
शुक्रिया ।