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सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

1926 ...इत्र सी महक हूं दूर दूर तक महकने दो मुझे

चला गया दशहरा
बेशर्म है रावण
अगले वर्ष फिर आएगा
वर्ष दर वर्ष आ रहा है
और आता रहेगा
उत्सव की वजह से कहिये
या फिर मिलकर रावण पर
वार पर वार कर रहे..
फिर भी गिनी-चुनी रचनाएँ पढ़िए..


उदय हो रहा है दिनकर का
या अस्ताचल को है प्रस्थान
भेद रहा ना निशा-दिवस का
थमा हुआ सा सब चलायमान
रोक रहा कौन रथ रश्मियों का
नीरवता कैसी ये छाई
ठहरा-ठहरा सा ये जीवन


अभी कुछ कुछ हुआ है उजाला
पर सवेरा होना बाकी है।

अभी मिली हैं आँखें उनसे
पर दिल मिलना बाकी है।


अमेरिका के दक्षिणी कैलिफोर्निया के जंगलों में 
एक ऐसा कीड़ा पाया जाता है, जो अपने वजन का 
39,000 गुना ज्यादा वजन झेल सकता है। 
यानी कि आप यदि उसके ऊपर से कार चला दें, 
तब भी वह सुरक्षित रहेगा। 
पश्चिमी अमेरिका के इलाकों में 
मिलने वाला यह ब्लैक बीटल या फ्लोड्स डायबोलिकस 
बलूत (ओक) के पेड़ों के नीचे रहता है। 
पेड़ के तने की छाल में बनी खाली जगह में रहता है 
और आसपास उगने वाले कवक का भोजन करता है।



लिखकर दो शब्द हाल बयां करने दो मुझे
इत्र सी महक हूं दूर दूर तक महकने दो मुझे।

जिंदगी पल दो पल का सुहाना सा सफ़र है
इस सफर में मेहनत से अब मेरी मंजिले पाने दो मुझे।
...
आज बस
दें आदेश
सादर

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