निवेदन।


फ़ॉलोअर

सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

1912 ..आज-कल फेसबुक और ब्लॉग जगत पत्रकारिता पर उतर आया है

सादर नमस्कार
आज-कल फेसबुक और
ब्लॉग जगत पत्रकारिता पर उतर आया है 
जिसे देखो हाथरस और व्यभिचार पर
ज्ञान उड़ेल रहा है मानो वे ही प्रत्यक्षदर्शी हैं
चलिए छोड़िए.....जो वे लिक्खेंगे
वही परोसेंगे....

उनके चेहरे पे है इश्क की वो चमक
जैसे चेहरे पे लिक्खी कहानी मेरी।

रात भर राह देखी है "आकिब' तेरी 
अब भी सुनले तू आकर कहानी मेरी।।



चितवन रस में भीगे कांपे
दूरियाँ न रहीं अब राहों मे

आकाश सिमटते देखा है इसने
फुनगियों की नन्ही-सी बाहों में।



शब के आँसू आसमाँ के आँसू   
दिन के आँसू ये किसने भरे   
धुँधली नज़रें किसकी मेहरबानी   
कभी तो पूछते तुम अपनी ज़ुबानी!   



अभिलाषाओं का सुनहला पन
झिलमिला रहा विस्तृत गगन ।
देख रही हँस -हँस मीठी चितवन
पुलकित  मन, रंग भरा जीवन ।।


समय की रेलगाड़ी चलती रहती
है अपनी गति से, शून्य
स्टेशनों में ऊंघते
रहते हैं छूट
गए
लम्हात, ज़िन्दगी झांकती रहती
है धुंध भरे नदी - पहाड़, छूना
चाहती है वादियों के
निःश्वास, लेकिन
हर बार वो
रहती है
ख़ाली हाथ ।
....
आज बस
देवी जी का सिस्टम खराब है
शायद कल तक ठीक होगा
सादर








5 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...