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शनिवार, 3 अक्टूबर 2020
1905... मकड़जाल
4 टिप्पणियां:
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पीड़ाओं के मकड़जाल हैं
जवाब देंहटाएंमौत को भी इज्जत नहीं बख़्शी
शानदार सदाबहार प्रस्तुति
सादर नमन..
अति उत्तम भूमिका की पंक्तियाँ दी।
जवाब देंहटाएंइस जात पात के कोढ़ से गलते समाज का छद्म आधुनिकता का वैचारिकी मकड़जाल हमेंं किस गर्त में ले जा रहा ये गंभीर रुप से विचारणीय है।
ढूँढ ढूँढकर बेहतरीन रचनाएँ संजोती है दी आप ..आपके द्वारा पिरोये सूत्र सबसे अनूठे हैं।
सादर प्रणाम दी।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
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