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मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020

1908, ..यही ज़िन्दगी की सब से बड़ी पहेली है

सादर अभिवादन।

आत्मकेंद्रित समाज किस ओर बढ़ता है?

आत्ममुग्धता के बाद बिखराव की ओर...

 

 आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

 गाँधी और शास्त्री जी की याद में ... ब्रजेन्द्रनाथ 


गाँधी की आँधी चली,

उड़ गया इंगलिस्तान।

शास्त्री जी के ब्रह्मास्त्र से,

उखड़ा पाकिस्तान।


बरसेगा वह बदली बनकर .... अनीता 

बाँटो जो भी पास तुम्हारे 
कोई हँसी दबी जो भीतर, 
शैशव की वह तुतलाहट भी 
खिल कर राह भरो !

याद बन चले ..... पुरुषोत्तम  सिन्हा 

उस धार में, अथक सी प्रवाह थी,
सपन में पली, इक ज्वलंत सी चाह थी,
जीवंत से चाह, संग प्रवाह बन बहे,
कुछ रहे रुके, याद बन चले!

ज़िन्दगी की सब से बड़ी पहेली है.! ....फ़िज़ा 




ज़िन्दगी अब कोविड के हाथों चलती है 
इसके लपेट में कौन आएगा कौन नहीं है 
यही ज़िन्दगी की सब से बड़ी पहेली है 
अब तो हर खबर जो सुनने में आये है 

तख्त पलट  ..... अर्चना तिवारी 


आज मौसम बदला-बदला दिख रहा है 
और आठवाँ आश्चर्य भी दिखा। 
आज मध्यावकाश में गेंद तड़ी नहीं खेली जा रही है! 
जगन गुमसुम-सा दिख रहा है। छगन की जेब भी 
पोपट-सी दिख रही है। अब हर मौसम में अंबियाँ 
और जामुन तो फलने से रहे।  
....
आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे आगामी गुरूवार।

 
रवीन्द्र सिंह यादव

11 टिप्‍पणियां:

  1. आज का अंक शानदार है |उम्दा लिंक्स |

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन सूत्रों के साथ मंच पर मेरी लघुकथा का सूत्र जोड़ने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. पठनीय रचनाओं के लिंक्स से सुसज्जित सुंदर प्रस्तुतिकरण, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. बाँटो जो भी पास तुम्हारे
    कोई हँसी दबी जो भीतर,
    शैशव की वह तुतलाहट भी
    खिल कर राह भरो !

    बेहतरीन लाइन आभार
    Bal Vikas and Shiksha shastra in Hindi

    जवाब देंहटाएं
  5. सराहनीय पठनीय सुंदर अंक।
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मेरी रचना को यहाँ शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
    सादर प्रणाम

    जवाब देंहटाएं

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