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रविवार, 26 जनवरी 2020

1654....एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।


जय मां हाटेशवरी.....
प्राची से झाँक रही ऊषा,
कुंकुम-केशर का थाल लिये।
हैं सजी खड़ी विटपावलियाँ,
सुरभित सुमनों की माल लिये॥
गंगा-यमुना की लहरों में,
है स्वागत का संगीत नया।
गूँजा विहगों के कण्ठों में,
है स्वतन्त्रता का गीत नया॥
प्रहरी नगराज विहँसता है,
गौरव से उन्नत भाल किये।
फहराता दिव्य तिरंगा है,
आदर्श विजय-सन्देश लिये॥
गणतन्त्र-आगमन में सबने,
मिल कर स्वागत की ठानी है।
जड़-चेतन की क्या कहें स्वयं,
कर रही प्रकृति अगवानी है॥
पांच लिंकों के आनंद के सभी पाठकों व चर्चाकारों को.....
भारत के 71वें गणतंत्र दिवस की असंख्य शुभकामनाएं.....
कटीं बेड़ियाँ औ’ हथकड़ियाँ, हर्ष मनाओ, मंगल गाओ,
किंतु यहाँ पर लक्ष्य नहीं है, आगे पथ पर पाँव बढ़ाओ,
आज़ादी वह मूर्ति नहीं है जो बैठी रहती मंदिर में,
उसकी पूजा करनी है तो नक्षत्रों से होड़ लगाओ।
हल्का फूल नहीं आज़ादी, वह है भारी ज़िम्मेदारी,
उसे उठाने को कंधों के, भुजदंडों के, बल को तोलो।
एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।



अब पेश है.....आज के लिये मेरी पसंद.....
तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए 
सभी इसके फ़लक पर आज फहराए
क़सम खाई तले इसके ,भगा देंगे फिरंगी को ,
इरादों को दी मज़बूती फ़लक पर आज फहराए .
शाहिद ये गुलामी का ,शाहिद ये फ़राखी का ,
 हमसफ़र फिल हकीक़त में ,फ़लक पर आज फहराए


कर्म का बंधन
शाम के साढ़े छह बजने को हैं. सदगुरू कितनी सरलता से कर्म बंधन से मुक्त होना सिखा रहे हैं. उन्होंने कार्य सिद्धि के तीन उपाय बताये, पहला है प्रयत्न, दूसरा है जो प्राप्त करना है, वह मिला ही हुआ है, यह विश्वास. तीसरा है धैर्य. जैसे बीज हमें मिला है, उसे पोषित करना है. कार्य को सिद्ध करने के लिए, कार्य को सिद्ध
हुआ मानकर ही प्रयत्न करने से मन सन्तुष्ट रहता  है. यह रहस्य है. परमात्मा को पाना है तो यह मानना है कि वह मेरे पास है, और उसके बाद सत्संग, साधना आदि करना है. सुखी है मानकर जो बढ़ता जाता है, वह सुखी ही रहता है. साधन व साध्य में भेद नहीं मानना है. योगी है मानकर योग करने से योग सिद्ध होता है. मानसिक शांति ज्ञान से ही मिलती है. इसी माह गुरू पूर्णिमा है, गुरूजी के लिए एक कविता लिखेगी. प्रेम, ज्ञान सभी कुछ परमात्मा की देन है, जब कोई यह जान लेता है तो खुद के साथ-साथ समाज के लिए भी उपयोगी बन जाता है. उनके जीवन से एक महक फैलेगी तो वे भी सुखी रहेंगे औरों को भी उनसे सुख मिलेगा !


बाट ( बाट जोहती ग्रामीण स्त्रियाँ )
सपन सुन्दरी, पनघट गगरी
मैं गोरिया अकुलायी ।

चितवन कैसी, रात चितेरे
मन जोगी संग लागा।
भींगा-भींगा हृदय भी प्यासा
दिन अति लागे माया।


रहे चाहत तो ...
तुम जो होते हो तो लोग बदल जाते हैं
तुम जो न हो तो बढ़ जाता है गुनाह बहुत

चाँद खामोश है क्यूँकि है अमावस "नील"
सुबह   होने से पहले रात होती है स्याह बहुत


जल रहा है देश मेरा
बहुत मुद्दे हैं देश के सामने
उनसे लड़ने के बजाय
लोगों को लड़वाना बंद करो
ये रक्त पात बंद करो
बंद करो बंद करो


उस कील का धन्यवाद 
पर कील हमेशा अपनी जगह
जमी रही पूरी मजबूती से
हमारी हंसी ख़ुशी की
की तारीखों को थामे
इसलिए कील के हौसले
पर उस कील का धन्यवाद


राष्ट्रीय बालिका दिवस : 40 दिनों से अनशन पे है एक बेटी और पुरूषवादी समाज कर रहा उपहास
हमारा समाज आज भी पुरुषवादी है। स्त्री का सम्मान तब तक है जब तक वह जीने के लिए समझौता वादी रहती है। उचित मुद्दे पर भी मुंह नहीं खोलती। समर्पण कर देती है। अथवा विद्रोह करने वाली स्त्रियों का समाज चरित्र हनन भी कर देता है। यह दुखद है। बेटी के बाप होने पर शर्मिंदगी होने लगती है..।

चलते-चलते एक गीत


आज बस इतना ही....
धन्यवाद।















14 टिप्‍पणियां:

  1. आज हम सबका प्यारा पर्व गणतंत्र दिवस है। राजपथ से लेकर पुलिस लाइन परेड ग्राउंड और विभिन्न स्कूलों सहित अन्य स्थानों पर तिरंगा फहराया जाएगा । छोटे स्कूली बच्चों का उत्साह तो देखते ही बनता है और जवानों का शौर्य प्रदर्शन देख हमारा मस्तक गर्व से ऊँचा उठ जाता है। इस पर्व की आपसभी को ढेर सारी शुभकामनाएँ।
    हाँ, अपने गणतंत्र के सम्मान में हमें कोई न कोई संकल्प अवश्य लेना चाहिए । जैसे, सत्ता की ललक में परिणाम का मूल्यांकन किये बिना ही कोई भी जुमला उछाल युवाओं को गुमराह न किया जाए। जातीय और मजहबी राजनीति को हवा दे , उन्हें प्रदर्शनकारी एवं आंदोलनकारी न बनाया जाए।
    जब भी कभी छात्र और युवा इस राजनीति के शिकार होते हैं तो, वे अपना बहुमूल्य समय ही नहीं, राष्ट्र की सम्पत्ति और अपने भविष्य दोनों को नष्ट कर देते हैं।
    आज इस राष्ट्रीय पर्व पर मैं तो बस इतना ही कहना चाहता हूँ - "ईश्वर अल्ला तेरे नाम सबको सन्मति दे भगवान" ।
    सर्वप्रथम हमारा राष्ट्र फिर जाति ,मजहब , समाज और परिवार कुछ भी..।
    सुंदर समसामयिक प्रस्तुति के लिए आभार एवं सभी को प्रणाम।
    जय हिन्द।

    जवाब देंहटाएं
  2. अशेष शुभकामनाएँ...
    भारतीय गणतंत्र अमर रहे...
    हार्दिक शुभकामनाएं..
    सादर नमन..

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात ।सुंदर और सराहनीय प्रस्तुति। सभी रचनाएँ खूबसूरत।सभी ने बेहद खूबसूरत तरीके से तिरंगे को लहराया है।सभी रचनाकारों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।जय हिंद।

    जवाब देंहटाएं
  4. जय हिन्द
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
    उम्दा प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति, गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. राष्ट्र बलिदानों का कर्ज़दार है
    करबद्ध नत हिय श्रद्धाहार है
    प्रथम नमन है वीर सपूतों को
    जो मातृभूमि के खरे श्रृंगार हैं।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    सभी को राष्ट्रीय त्योहार की हार्दिक शुभेच्छायें।

    जवाब देंहटाएं
  7. शानदार प्रस्तुति 👌👌👌 जय हिन्द 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  8. गणतंत्र दिवस पर सभी को हार्दिक शुभकामनाए।
    बहुत शानदार अंक।

    जवाब देंहटाएं
  9. शुभकामनाएं 71वें गणतंत्र दिवस पर। सुन्दर अंक।

    जवाब देंहटाएं
  10. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँँ
    बहुत सुंदर अंक।
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन प्रस्तुति ,आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  12. सुंदर अंक। गणतंत्र दिवस की सभी को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  13. सुंदर अंक प्रिय कुलदीप जी। गणतंत्र, जनतंत्र की जय हो। सभी रचनाकारों और पाठकों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई 🙏🙏जय हिंद, वंदे मातरम्🙏🙏🌹👩‍🔬

    जवाब देंहटाएं
  14. सुन्दर प्रस्तुति, देरी के लिए क्षमा प्रार्थी हूं, मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद 👍

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