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ग़ज़ल के धागे में केन्द्रीय बजट से आम जनों के उम्मीद को पीरोने की कोशिश ..के साथ आज की बातें पुरानी ग़ज़ल के साथ यही तक..
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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जवाब देंहटाएंकाव्य का उत्थान और शुद्ध हिन्दी लेखन।
कुसुम दी का यह लेख अच्छा लगा।
प्रस्तुति और उसकी भूमिका सदैव की तरह प्रशंसनीय रहती है आपकी ।
सादर प्रणाम।
शानदार प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसादर...
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंलाजवाब अंक।
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल
सादर
वाह! बहुत सुंदर संकलन!!!
जवाब देंहटाएंसभी रचनायें बहुत सुन्दर हैं मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभारी हूं!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति पम्मी दी।
जवाब देंहटाएंसभी सूत्र लाज़वाब है।
भूमिका भी बहुत अच्छी है।
आपकी भूमिका सदा सरस और आत्मसुख देने वाली होती है पम्मी जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति ।
सुंदर लिंक चयन।
सभी रचनाएं बहुत सुंदर।
मेरे लेख को जगह देने के लिए बहुत बहुत आभार आपका।।
सभी रचनाकारों को बधाई।
शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंLoved itt
जवाब देंहटाएंignou projects