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गुरुवार, 2 जनवरी 2020
1630...कुछ ऊबड़-खाबड़ लिखा जाता है सामाजिक विषमताओं के घने अंधेरों पर...
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9 टिप्पणियां:
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नववर्ष शुभ हो,
जवाब देंहटाएंमंगल करे सभी का..
बेहतरीन प्रस्तुति...
सादर..
वाहः
जवाब देंहटाएंहीरे चुनकर लाये हैं
साधुवाद
नमस्ते रवीन्द्र जी ! आभार आपका रचना को मंच से साझा करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंSuprabhat Sundar Sangathan Anand hi Anand Hai Nav varsh ki shubhkamnaen
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏
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