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रविवार, 5 जनवरी 2020

1633...एक पन्ना खुल गया कोरा


हिमांचल के रुहेड़ी शहर मे बर्फबारी हो रही है
देखने के लायक , महसूस करने के लायक 
मौसम होगा...विजली नहीं होगी , मोबाईल भी नहीं होगा
बस, बर्फ के गोले बना-बना कर एक दूसरे पर फेकते जाइए
भाई कुलदीप के बदले हम हैं आज..


इस धरती पर
कुछ नया
कुछ और नया होना चाहिए

चाहिए
अल्हड़पन सी दीवानगी
जीवन का
मनोहारी संगीत
अपनेपन का गीत


इस तरह से बस ही अपनाया हुआ
जैसे सूरज रात को पराया  हुआ

घास की हरियाली नहीं जाती  यूहीं
ओस दर ब दर भी गर  छाया  हुआ


उस प्राकृतिक कटोरेनुमा ताल के बगल में दीवारों से घिरे एक बागीचे का निर्माण मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह (1719-1748) के शासन काल में करवाया गया था। आज इसकी ज्यादातर चारदीवारी गिर चुकी है। इसके अलावा इसकी पहचान उस जगह के रूप में भी की जाती है जब 1735 में यहां मराठों की सैनिक छावनी हुआ करती थी और इसी जगह 1738 में उन्होंने मुगल सेनाओं का सामना कर उनको शिकस्त दी थी। एक और पहचान भी है पर उसे ना जानना ही बेहतर है

हो तुम अनोखे शिल्पी
एक से एक मूर्तियाँ बनाते
प्राण प्रतिष्ठा उनमें करते
लगता है ऐसा जैसे हो  जीवंत
अभी हलचल में आएंगी
मन में उनके है क्या
मुखरित हो बयान करेंगी  

नये दिन के साथ
एक पन्ना खुल गया कोरा
हमारे प्यार का

सुबह,
इस पर कहीं अपना नाम तो लिख दो!

अब बस
मंगल को फिर मिलते हैं
सादर



11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर सूत्र जोड़े हैं दी।
    बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स|मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  3. सस्नेहशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
    सुंदर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर प्रस्तुति के साथ अच्छी लिंकों की संकलन।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मिलित करने का आभार

    जवाब देंहटाएं

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