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आ० संजय कौशिक 'विज्ञात जी की नवगीत..
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जवाब देंहटाएंजो ढूँढ़ते हो अदब,तहज़ीब अगर
तो अवध की गलियों में आ जाना
और चाहते हो गर मुस्कुराना तो
दिल -ए-लखनऊ से दिल लगाना।..
प्रस्तुत के साथ भूमिका और शीर्षक सराहनीय है। परंतु दुर्भाग्य से लखनऊ अब ऐसा नहीं रहा है। सियासी साजिशों की जननी है अपने, प्रदेश की राजधानी ।
अपराधी भी यहां बमबम कर रहे हैं। यहाँ के एक तेजतर्रार युवा एसएसपी साहब कलानिधि नैथानी जोकि कभी मिर्ज़ापुर के कुशल पुलिस अधीक्षक रहे हैं अपराध नियंत्रण को लेकर पसीना बहाते रहें।
अपनी मिर्ज़ापुर की माटी पर राजनीत का ककहरा सीखने वाले राजनाथ सिंह यहाँ के सांसद हैं और पिछली मोदी सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री के बाद अबकि वे रक्षा मंत्री भी हैं, इसलिए हम मिर्ज़ापुर वाले तनिक सीना चौड़ा किए रहते हैं , भले ही माननीय राजनाथ सिंह ने मिर्ज़ापुर को पुनः मीरजापुर( लक्ष्मी की नगरी) बनाने केलिए कुछ नहीं किया हो ,जब वे मुख्यमंत्री थे तब भी मिर्ज़ापुर तरस रहा था..!
फिर भी यह सच है कि जब लखनऊ मुस्कुराता है तो पूरे प्रदेश में अमन चैन का वातावरण होता है। काश ! उसका अतीत वर्तमान में परिवर्तित हो जाए...।
मेरे जैसे गैर साहित्यकारों की रचना यूँ कहे कि अनुभूति को अपनी प्रस्तुति में स्थान देने केलिए आपका हृदय से आभार, धन्यवाद और नमन। मुझे भी नववर्ष पर आज इस प्रतिष्ठित मंच पर आने का अवसर मिला।
सभी को प्रणाम।
व्वाहहहह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन आगाज़
कुंवर नारयण जी की रचना से
सादर...
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
लाजवाब अंक।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भूमिका लाज़वाब प्रस्तुति पम्मी दी।
जवाब देंहटाएंसादर।
सुंदर भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति सुंदर लिंक चयन। सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीया मैम। सभी रचनाएँ उम्दा 👌 सभी को ढेरों शुभकामनाएँ। मेरी पंक्तियों को स्थान देकर मेरा उत्साह बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार। सभी को सादर प्रणाम 🙏
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