आप सभी का
स्नेहिल अभिवादन
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रांगेय राघव
17जनवरी 1923 - 12 सितंबर1962
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हिंदी,अंग्रेजी,ब्रज और संस्कृत के ज्ञाता
"तिरूमल्लै नंबाकम वीर राघव आचार्य।"
कहानी, उपन्यास, आत्मकथा, रिपोर्ताज जैसी विधाओं के ज्ञाता, हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाले, हिंदी के शेक्सपीयर कहे जाने वाले लेखक रांगेय राघव मूल रुप से तमिल भाषी थे।
जिन्हें निम्नलिखित
हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार, डालमिया पुरस्कार,
उत्तर प्रदेश शासन पुरस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी
पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उनका यह विपुल साहित्य उनकी अभूतपूर्व लेखन
क्षमता को दर्शाता है। जिसके संदर्भ में कहा जाता रहा है कि ‘जितने समय में कोई पुस्तक
पढ़ेगा उतने में वे लिख सकते थे। वस्तुतः उन्हें कृति की रूपरेखा बनाने में समय लगता था,
लिखने में नहीं।‘ रांगेय राघव सामान्य जन के ऐसे
रचनाकार हैं जो प्रगतिवाद का लेबल चिपकाकर
सामान्य जन का दूर बैठे चित्रण नहीं करते,
बल्कि उनमें बसकर करते हैं। समाज और इतिहास की यात्रा में वे स्वयं सामान्य जन बन जाते हैं। रांगेय राघव ने वादों के चौखटे से बाहर रहकर सही
मायने में प्रगितशील रवैया अपनाते हुए अपनी
रचनाधर्मिता से समाज संपृक्ति का बोध कराया। समाज के अंतरंग भावों से अपने रिश्तों की पहचान
करवाई। उन्होंने केवल इतिहास को, जीवन को, मनुष्य की
पीड़ा को और मनुष्य की उस चेतना को, जो अंधकार से जूझने की शक्ति रखती है, उसे ही
सत्य माना।
उनकी लिखी एक कविता-
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ओ ज्योतिर्मयि ! क्यों फेंका है,
मुझको इस संसार में ।
जलते रहने को कहते हैं,
इस गीली मँझधार में ।
मैं चिर जीवन का प्रतीक हूँ
निरीह पग पर काल झुके हैं,
क्योंकि जी रहा हूँ मैं
अब तक प्यार-भरों के प्यार में...
★★★★★
आइये आज क रचनाएँ पढ़ते
मिट कर चैन मिले न जाने किरणों संग यदि उड़ जाये, उसी एक से एक हुआ तब नजर नहीं किसी को आये ! किन्तु उसे दूर जाना है लक्ष्य कई मन में पाले हैं, पाहन, जंगल, विजन, शहर भी उसके रस्ते में आने हैं !
नदी और समंदर
सफ़ेदपोशी नींव पूँजीवाद की रखने लगी,
आँखों में झोंकते सुन्दर भविष्य की धूल,
अर्जुन-वृक्ष-सा होगा परिवेश स्वप्न समाज को दिखाने लगे |
★★★★★★
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हमक़दम का विषय
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कल आ रही हैं विभा दी एक विशेष
अंक लेकर कल का अंक पढ़ना न भूले।
सारे रंग दीखते हैं प्रस्तुतीकरण में
जवाब देंहटाएंसंग्रहनीय संकलन
मै तो भूल ही चुका था आचार्य रांगेय जी को
जवाब देंहटाएंआभार, काफी कहानियां पढ़ी नीहारिका,कादम्बिनी और नवनीत में..
उत्तम प्रस्तुति..
सादर..
बहुत सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंसामयिक प्रस्तुतिकरण के साथ सुंदर लिंकों का चयन।
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
धन्यवाद
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल की शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भूमिका के साथ शानदार रचनाएँ प्रिय श्वेता दी.
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिये तहे दिल से आभार.
सादर
शानदार प्रस्तुति उम्दा लिंक्स...
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
भुमिका बहुत सुंदर! रांगेय राघव जी पर शानदार शोध युक्त प्रस्तुति ,उनके बारे में बहुत कुछ जानने को मिला एक कालजयी साहित्यकार को नमन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
सभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंआदरणीय रांगेय राघव जी के बारे में पढकर अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंओ ज्योतिर्मयि ! क्यों फेंका है,
मुझको इस संसार में ।
जलते रहने को कहते हैं,
इस गीली मँझधार में ।
मैं चिर जीवन का प्रतीक हूँ
निरीह पग पर काल झुके हैं,
क्योंकि जी रहा हूँ मैं
अब तक प्यार-भरों के प्यार में...
उनकी पंक्तियाँ वस्तुतः मन को भा गई । पटल को तथा विशेषकर आदरणीया श्वेता जी को शुभकामनाएं ।