साल 2020 की पहली शुक्रवारीय
प्रस्तुति में
आपसभी का
स्नेहिल अभिवादन।
उठो जाग जाओ क्योंकि कल की अंधेरी रात बीत चुकी...क्योंकि आज का दिन एक नयी सुबह है और इस नयी सुबह का हरपल खूबसूरत और बेशकीमती है इसे अपने कर्मों से नया अर्थ देकर जीवन का अर्थ बदलना सिर्फ़ हमारे हाथ में है।
जब भी किसी मोड़ पर असफलता से भेंट हो जाये या लगे समय बहुत बुरा है सभी रास्ते बंद हैं तो निराश होने की बजाय
यह सोचना चाहिए कि अब कुछ और अच्छा होने वाला है।
सभी के हृदय सकारात्मक ऊर्जा से लबालब रहे
यही कामना करती हूँ।
★★★☆★★★
आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
शुभकामनाएँ देश के सभी
वीर सैनिकों को
जिनके कारण हम
फहरा पाते हैं
तिरँगा,
सिपाहियों को
जिनके कारण हम
रहते हैं सुरक्षित
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रिक्त अंतरघट की
गहराइयों में हाथ डाल
निस्पंद उँगलियों से
सुख के भूले बिसरे
दो चार पलों को
टटोल कर ढूँढ निकालना
मुझे अच्छा लगता है !
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क्या कभी हो पायेगा ऐसा संभव ?
ठूंठ की जड़ में जाग्रत हो चेतना।
प्राण का संचार हो शाखाओं में ऐसा ..
लौट आए बेरंग डालियों में हरीतिमा।
कोई पंछी रुपहला राह भूले पथिक सा,
संध्या समय में आन बैठे विस्मित-सा।
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अविरल गंगा बह रही, ले देवी का रूप।
मत इसको गंदा करो, माँ के है अनुरूप।।
माँ के है अनुरूप, करो सब इसका आदर।
कूड़ा इसमें डाल, करो मत गंदा सादर।
कह राधेगोपाल, मनुज सब पूजे पल-पल।
देवी का है रूप, बह रही गंगा अविरल।।
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तरफ देखा।सचमुच पहली महिला अपनी सीट पर बैठी अवश्य थीं परन्तु उनका घुटना बगल वाली आधी सीट तक फैला हुआ था।बेचारा बच्चा आधी सीट में पीछे की ओर दुवका बैठा था, और महिला आगे की ओर लटकी बैठी थी।तेज रफ्तार के कारण बस में झटका होता तो उसकी स्थिति फिसलने जैसी हो जाती। उन महिला की स्थिति पर मुझे बड़ी दया आई।मन किया पहली महिला से कह दूँ कि आप अपनी सीट पर बैठी अवश्य हैं पर आपने अपना घुटना दूसरे की सीट तक फैला दिया है।किन्तु कुछ उन महिला की उम्र का लिहाज और कुछ उनकी समझारी पर विचार करती हुई चुप रही।जिस महिला की सोंच खुद इतनी विकृत है कि मैं अपनी सीट का इस्तेमाल जैसे करूँ।जो खुद किसी की तकलीफ नहीं समझ पातीं,जो किसी की अनुनय विनय नहीं सुनतीं वह क्यो मेरी बातें सुनेंगी।
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जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब अर्ज-ए-ख़ुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जाएँगे
हम अहल-ए-सफ़ा, मरदूद-ए-हरम
मसनद पे बिठाए जाएँगे
सब ताज उछाले जाएँगे
सब तख़्त गिराए जाएँगे
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आज का अंक कैसा लगा?
ख
आप सभी की प्रतिक्रियायें ऊर्जा से
भर जाती हैं।
हमक़दम का विषय है
कल का अंक पढ़ना न भूलें
विभा दी लेकर आ रही हैं
एक विशेष अंक।
-बहुत सुंदर प्रस्तुति।बहुत सुंदर रचनाएँ।मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद।सभी रचनाकारों सहित नववर्ष की अनंत शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंहर सफर में एसा ही अक्सर देखा जाता है
कि पहली महिला अपनी सीट पर बैठी अवश्य थीं परन्तु उनका घुटना बगल वाली आधी सीट तक फैला हुआ था।बेचारा बच्चा आधी सीट में पीछे की ओर दुवका बैठा था, और महिला आगे की ओर लटकी बैठी थी
बहुत सुन्दर अंक..
सादर...
ज्ञानवर्द्धक प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
उम्दा प्रस्तुतिकरण के साथ बेहतरीन रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँँ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति हमेशा की तरह।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बहुत बढ़िया है। बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंश्वेता दी, आपको नववर्ष की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ।
तहे-दिल से शुक्रिया, श्वेता सखी. सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएं२०२० नए आयाम लेकर आये. हमें सिखाए.
जैसे विभिन्न मतों को मंच देती है हलचल.
सदा ही स्वागत है.
शानदार प्रस्तुति उम्दा लिंक्स.....
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी ! विलम्ब से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ दरअसल कल घर में कुछ मेहमान आ गए थे ! इसलिए ज़रा भी समय नहीं मिल पाया ! नव वर्ष की आपको व सभी पाठकों को भी हार्दिक शुभकामनाएं !
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