सादर अभिवादन।
आज देश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। देश के लाड़ले सपूत को हमारा शत-शत नमन।
चित्र साभार :गूगल
इस अवसर पर नेताजी को समर्पित मेरी एक पुरानी रचना-
नेताजी सुभाष चंद्र बोस
(23 जनवरी जन्मदिन पर स्मरण )
जीवट की नई कसौटी स्थापित कर,
रहस्यमयी यात्रा पर चल दिया,
ज़ल्दी में था भारत माता का लाल,
बिलखता दिल हमारा भावों से भर दिया।
"तुम मुझे ख़ून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा"
उभारे बलिदानी रंग प्रभाष ने।
देखकर हमारी अँग्रेज़ों का दमन सहने की परिपाटी,
महकने/उगलने लगी क्रांति-क्रांति देश की माटी।
देश की पहली आज़ाद हिन्द सरकार बनी,
ताइपे विमान दुर्घटना हर भारतवासी का दुःख-दर्द बनी.... .(?)
नेताजी की मृत्यु का रहस्य,
गोपनीय फ़ाइलें खुल रही हैं,
बता दे राज़ सारे क्या कोई फ़ाइल अकेली है... ?
दुनिया विश्वास न कर सकी,
सुभाष के परलोक जाने का,
सरकारें करती रहीं जासूसी,
भय था जिन्हें सुभाष के प्रकट हो जाने का,
सर्वकालिक व्यक्तित्व दमकता ध्रुव-सत्य है,
कौन बनेगा अब सुभाष,
पूछता खड़ा सामने कटु-सत्य है।
हमारे दिलों पर राज़ करते हैं सुभाष,
समय की प्रेरणा बनकर,
भाव-विह्वल है हमारा दिल,
तुम्हें याद करके आँखों का दरिया,
बह चला है आँसू बनकर।
स्वतंत्र होकर जीने का अर्थ,
सिखा गए सुभाष,
आज़ादी को कलेजे से लगाना,
सिखा गये सुभाष,
स्वतंत्रता का मर्म वह क्या जाने,
जो स्वतंत्र वातावरण में खेला है,
जिसने पराधीनता का दर्द झेला है!
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
अखबार, मीडिया, सभी ताली बजा रहे ,
किन्नर के रोजगार को, बचना सिखाइये
!
नज़रें उठायीं तख़्त पे दिलदार, तो खुद को,
सरकार के डंडों को भी,सहना सिखाइये !
धूप
दिनभर इतराती
चबा चबा कर
खाने लगी है
गुड़ की लैय्या
औऱ आटे के लड्डू
भारत की 130 करोड़ की आबादी में से 75 प्रतिशत से अधिक लोगों तक भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा और चिकित्सा जैसी मूलभूत चीजे भी उपयुक्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। जबकि सचाई यह है कि जितनी भी संपदा का निर्माण प्रतिवर्ष हो रहा है वह सब इस 75 प्रतिशत जनता की खून पसीने की मेहनत की उपज होती है।
आज महीनों बाद रद्दीवाला पुराने अख़बार लेने आया, उन्हें लग रहा था शायद वह बीमार है या कहीं चला गया है. उसने बताया डायबिटीज के कारण वजन बहुत घट गया है, पहले उसका शरीर बहुत भारी था. आज सुबह ही उन्होंने अपना वजन देखा था, बढ़ गया है. नैनी की तबियत ठीक नहीं है उसकी देवरानी काम पर आयी. कार धोने वाले की जगह उसके भाई ने कार धोयी, पता चला वह अपने पिता को लेकर गांव गया है, चाचा का देहांत हो गया है. धोबी ने भी कहा वह गांव में अपने चाचा से मिलकर आया है. उसे लगा उनसे कहीं ज्यादा अच्छी तरह ये लोग रिश्ते निभाना जानते हैं.
और चलते-चलते उलूक टाइम्स की रोचक ख़बर-
चूने
की
रेखाओं
से
बाहर
निकल कर
खड़े
बेवकूफों
को
शामिल
कर लेना
ठीक नहीं
दौड़ते
रहें
साहित्य
जिंदा रहेगा
बकवास
कभी
साहित्य
नहीं बनेगा
इस सप्ताह का विषय
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
रंगून में नेता जी का वह ऐतिहासिक भाषण -" 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा ।"
जवाब देंहटाएंऔर साथ ही जापान में रहकर दक्षिणी-पूर्वी एशिया से एकत्रित करीब चालीस हजार भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना, जो वर्ष 1943 से 1945 तक आजाद हिन्द फौज अंग्रेजों से युद्ध करती रही।
ये दो कार्य इतिहास के पन्नों में सुभाष बाबू को सदैव अमर रखेगा, भले ही उनकी मृत्यु के गुत्थी सुलझे न सुलझे।
सुंदर और समसामयिक प्रस्तुति, सभी को प्रणाम।
जय हिन्द।
सुभाष चंद्र बोस की जयंती है, देश के लाड़ले सपूत को हमारा शत-शत नमन।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंएक सव्यसाची फिर आया,
48 वर्ष सुभाष बनकर जिया,
जीवट की नई कसौटी स्थापित कर,
रहस्यमयी यात्रा पर चल दिया,
ज़ल्दी में था भारत माता का लाल,
बिलखता दिल हमारा भावों से भर दिया।
शत शत नमन
सादर.
नमन सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर। आभार रवींद्र जी उलूक के पन्ने को भी आज की लाजवाब प्रस्तुति में स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंवाह!!रविन्द्र जी ,खूबसूरत प्रस्तुति ।नेताजी सुभाषचंद्र बोस को सादर नमन🙏🏼
जवाब देंहटाएंदेश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें शत शत नमन और आप सभी को शुभकामनाएं ! पठनीय रचनाओं के सूत्रों की खबर देती आज की हलचल में मुझे शामिल करने हेतु आभार !
जवाब देंहटाएंसुभाष बाबू आज होते तो मिसफ़िट होते. वो तो हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख में कोई अंतर ही नहीं करते थे.
जवाब देंहटाएंअमर सेनानी नेता सुभाष जी को नमन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी भूमिका के साथ शानदार सूत्र संयोजन
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार
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