आज हमारी बारी
तो चलिए
अंतिम पड़ाव पर खड़े हैं हम..
माँ ..... अनीता जी
माँ दुआओं का ही दूजा नाम है
उसके दामन में सहज विश्राम है
सर्द थीं कितनी हवाएं रोक न पायीं कभी
नित लगीं घर काम में मुँह अंधेरे उठ गयीं
स्त्री नदी होती है ...... रश्मि शर्मा
उस स्पर्श में कुछ ऐसा था कि लगा ढहती दीवार को सहारा देकर
गिरने से बचाने की कोशिश है।लड़की देखना चाहती थी कि उसके
चेहरे पर क्या लिखा है, मगर आँख उठाने की हिम्मत नहीं हुई।
कुछ देर बाद मुड़कर देखा, पीछे तहाये गए रंग-बिरंगे कपड़ों का
जैसे बाज़ार लगा हो।
तेरे पास ग़ाफ़िल वो शाना कहाँ है ...चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
वे लोग उनसे आबाद ख़ाना कहाँ है
न पूछ आज बीता ज़माना कहाँ है
जो पाया उसे खोना आसान है पर
जो खोया उसे फिर से पाना कहाँ है
...
अभी खतम नहीं न हुआ है
विषय बाकी है
106 वें अंक के लिए
अभी न होगा मेरा अन्त
ये पंक्ति निराला जी की है
इन पंक्ति के भाव को पकड़ कर
रचना लिखिए
अंतिम तिथिः 01 फरवरी 2020
संपर्क फार्म चालू हो गया है
शाम तीन बजे तक
फिर मिलेंगे अगले मंगल को
सादर
जी बिल्कुल दी,
जवाब देंहटाएंअंत ही आरम्भ है, महाकाली के इन शब्दों में जो आध्यात्मिक भाव निहित है निराला जी उसे समझते थें और हमें भी इसे समझना होगा ।
बहुत सुंदर और श्रेष्ठ रचनाओं का चयन आपने आजके अंक में किया है।
हाँ , अब जरा सरस्वती पूजन हो जाए फिर इस माह का अंत और नये माह का आरम्भ है ?
सभी को सादर प्रणाम।
बहुत बढिया अंक।सभी रचनाएँ सुंदर सरस और सराहनीय। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी प्रस्तुति, आभार
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण
बहुत सराहनीय प्रस्तुति है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक है दी।
जवाब देंहटाएंहमक़दम का विषय भी अलग है।
सुंंदर प्रस्तुति।
सादरः
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंपठनीय रचनाओं की खबर देता अंक, मुझे भी शामिल करने हेतु शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट कृतियों से सजा पटल सभी रचनाकारों को बंसत पंचमी की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंकों से सजी शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।