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मंगलवार, 21 जनवरी 2020

1649...आई लव्ह यू माँ

सादर अभिवादन
घूमते-घूमते
आज फिर एक बन्द ब्लॉग पर नज़र गई
भावुक हो गई मैं
उस ब्लॉग का नाम है
आई लव्ह यू माँ
और तआज़्ज़ुब..
सारी रचनाएं माँ पर ही आधारित है
चुन लाई हूँ कुछ रचनाएं..

(1)
करते हुऐ
कहा -:
"माँ जी, आप
अपना खाना बना लेना,
मुझे और इन्हें आज एक
पार्टी में जाना है ...!!
"बूढ़ी माँ ने कहा -: "बेटी मुझे
गैस वाला
चुल्हा चलाना नहीं आता ...!!
"तो बेटे ने कहा -:
"माँ, पास वाले मंदिर में आज
भंडारा है ,
तुम वहाँ चली जाओ

(2)
बच्चों से कहा
जो बच्चा कल स्वर्ग से
मिट्टी लायेगा, मैं
उसे इनाम दूँगी..!
अगले दिन टीचर
क्लास में सब बच्चों से
पूछती है.
क्या कोई बच्चा मिट्टी लाया?
सारे बच्चे खामोश रहते हैं...
एक बच्चा उठकर
टीचर के पास जाता है
और कहता है,
लीजिये मैडम,
मैं लाया हूँ स्वर्ग से
मिट्टी..!

(3)
एक दिन एक आदमी ने उस लडके से पूछा कि,
बेटा, तुझे अपनी नई माँ और अपनी मरी हुई माँ मेँ
क्या फर्क लगा..?

तो वह लडका बोला : मेरी नई माँ सच्ची है और
मरी हुई माँ झूठी थी..!!

(4)
मुझे खिलाती रहती हो तुम  क्या खाती होगी.

हर मुसीबत से बच कर यहाँ तक  आया,
शायद  माँ दुआ में हाथ उठाती होगी.

अब बारी है विषय की
105 नम्बर का विषय
एक चित्र है
इसी को आधार मान 
कर रचना लिखनी है
अंतिम तिथिः 25 जनवरी 2020
रचनाएँ मेल द्वारा ही
सादर






12 टिप्‍पणियां:

  1. तो वह लडका बोला : मेरी नई माँ सच्ची है और
    मरी हुई माँ झूठी थी..!!
    बहुत ही सरल शब्दों में माँँ का महत्व समझाती रचनाएंँ, आँँखें नम हो आई इसे पढ़कर,
    प्रणाम दी
    इस सुंदर संकलन केलिए।

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाह..
    क्या बात है...
    तीली तो जला ली..
    अब इसे सूखे घांस पर फेक दो
    या फूक मार कर बुझा दो..
    बढ़िया..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
    हर पल माँ को नमन

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह!!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति । सभी रचनाएँ बहुत ही खूबसूरत ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सच में बेहद भावपूर्ण सुंदर रचनाएँ हैंं।
    सुंदर प्रस्तुति दी।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  8. मा को समर्पित इस ब्लॉग का, धरोहर में डाली गयी एक रचना के माध्यम से, मैंने भी खूब भ्रमंन किया आदरणीय दीदी। और इस पर इतनी भावपूर्ण रचनाएँ हैं, कि आँखें नम कर जाती हैं। खासकर आठ साल के बच्चे की ये मार्मिक कथा किसी पत्थर को भी रुलाने में सक्षम है। मा की महिमा को ना जानने का आरोप हमेशा एक पुत्र पर लगता रहा है, पर बेटी बहु बनकर जब सास के खिलाफ , उसमें शामिल हो जाती है तब एक नारी ही दूसरी नारी के दुर्भाग्य का कारण बन जाती है। बहुत मार्मिक अंक के लिए आपको साधुवाद। 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही शानदार हृदयस्पर्शी रचनाएंं ...
    लाजवाब प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  10. माँ पर आपने कितना अच्छा चिट्ठा ढूँढा है! बहुत अच्छा लगा!

    जवाब देंहटाएं

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