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सोमवार, 12 अगस्त 2019

1487.....हम-क़दम का तिरासिवाँ अंक ....शर्त

स्नेहिल नमस्कार
-------
मौत की शर्त पर ही मिलती है ज़िंदगी
चलने की कोशिश में हिलती है ज़िंदगी

गुलों के रंग देखकर वहम होना है लाज़िमी 
काँटों की शर्त पर हरबार खिलती है ज़िंदगी

आसान नहीं जीना मरना भी कहाँ मुमकिन
बिना शर्त ही तो शर्तों में  पलती है ज़िंदगी

★★★★★

कालजयी रचनाएँ
स्मृतिशेष धर्मवीर भारती
1926-1997

मेरी दुखती हुई रगों पर ठंडा लोहा!

मेरी स्वप्न भरी पलकों पर

मेरे गीत भरे होठों पर

मेरी दर्द भरी आत्मा पर

स्वप्न नहीं अब
गीत नहीं अब
दर्द नहीं अब
एक पर्त ठंडे लोहे की
मैं जम कर लोहा बन जाऊँ–
हार मान लूँ–
यही शर्त ठंडे लोहे की।
--*--
आदरणीय वीरेन्द्र शिवहरे 'वीर'
जिंदा तो है मगर मरने की शर्त पर |

जिंदिगी तेरी अदा है या बेबसी मेरी,
होसला मिलता है मगर डरने की शर्त पर |
जिंदा तो है मगर मरने की शर्त पर…

पल दो पल से ज़्यादा कहीं भी रुकता नहीं,
वक्त अच्छा आता है गुजरने की शर्त पर |
★★★★★★
आदरणीय विद्या भूषण
साथी ! आपसी सरोकार तय करते हैं

हमारी तहज़ीब का मि‍जाज़,
कि‍ सीढ़ी-दर-सीढ़ी मि‍ली हैसि‍यत से
बड़ी है बूँद-बूँद संचि‍त संचेतना,
ताकि‍ ज्ञान, शक्ति और ऊर्जा,
धन और चातुरी
हिंसक गैंडे की खाल
या धूर्त लोमड़ी की चाल न बन जाएँ

चूँकि आदमी होने की एक ही शर्त है
कि‍ हम दूसरों के दुख में कि‍तने शरीक हैं ।


--*--
नियमित रचनाएँ...

आदरणीय सुबोध सिन्हा
बस एक शर्त अपनी तुम हार जाओ ना

शर्तें तो तुमने बचपन से ही अब तक है मुझसे सारी ही जीती ...
जिनमें कई शर्तें तो तुम सच में थे जीते और 
कुछ शर्तों को जानबूझ कर था तुमसे मैं हारा 
डगमगाते पैरों से जब तुम चलना सीख रहे थे तब
दौड़ने की शर्तें तुमसे मैं जानबूझ कर था हारता
केवल देखने की ख़ातिर चमक शर्त्त जीतने की  
मासूम चेहरे पर तुम्हारे
हर साल अपनी कक्षा में अव्वल आने की
तुम्हारी वो शर्तें सारी 
साल-दर-साल अपने बलबूते तुमने ही जीता पर ...

★★★★★★

आदरणीया अनीता सैनी
कुबूल नहीं मोहब्बत में शर्त

परखते हैं लोग पग-पग पर,
यही दस्तूर है ज़माने का आज, 
इसी दस्तूर को  पावन कह,
 प्रेम का मरहम, लगाया मन को मैंने |
क़ुबूल  नहीं मोहब्बत में शर्त,
शर्त  पर दिल लगाया नहीं जाता ,
मोहब्बत को महक  कह,
मायूसी को महका, गुमराह किया मन को मैंने |

आदरणीया अनुराधा चौहान ..
वो चल दी थी
जीवनसाथी का थाम के हाथ
करती रही मनमानियाँ पूरी
चाहतों को मारकर
ख्व़ाबों को रौंदकर
ऊपर से खिली-खिली
अंदर से मुरझाई-सी

★★★★★★

आदरणीया साधना वैद
शर्त से क्यूँ है परहेज़ तुम्हें
क्या यह मुझे बताओगे ?
सृष्टि का कौन का काम
बिना शर्त हो जाता है
क्या यह भी मुझे जता पाओगे ?

★★★★★★★★

आशा सक्सेना
एक दिन दो मित्र
खड़े चौराहे पर
बातें करते करते
न जाने क्यों जोश में आ
बहस पर उतारू हुए
शर्त तक लगा बैठे
दोनो और से शब्द वाण चले 

★★★★★★★

आदरणीया अभिलाषा चौहान


जिंदगी को दांव पर लगाते हैं लोग।
फकत मुट्ठी भर खुशियों की होती तलाश
खुशियों के लिए ही तरसते हैं लोग।


★★★★★★★

शकुन्तला राज
पिता, पति,या पैसा
इसमें से किसी एक को चुनो
हाय ये कैसी शर्त रख दी आपने?
एक बार भी आपने सोचा नहीं
क्या होगा यह शर्त सुनकर
ज़रा सी भी न आई लज़्ज़ा आपको
हाय ये कैसी शर्त रख दी आपने?

★★★★★★
आदरणीया सुजाता प्रिया
रक्षा की शर्त

लो मैं रख सी लाज तुम्हारी।
आई न इज्जत पर आँच तुम्हारी। 
इसके बदले एक शर्त है मेरी।
राखी पर यह अर्ज है मेरी।


जैसे करते थे तुम मेरी रक्षा।
सब नारियों को देना सुरक्षा।
दुःशासन तुम कभी न बनना।
लाज किसी की कभी न हरना।

★★★★★

आप सभी रचनाकारों की रचनात्मकता को 
सादर नमन और सादर धन्यवाद 
करते हुये आपसे ऐसे ही सहयोग की 
अपेक्षा करते है।
हमक़दम का यह अंक आपको कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया 
सदैव उत्साह बढ़ा जाती है।

हमक़दम का अगला विषय
जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूलें।

#श्वेता सिन्हा




15 टिप्‍पणियां:

  1. सस्नेहाशीष छूटकी
    उम्दा लिंक्स चयन के लिए साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. एक बेहद खूबसूरत अंंक
    एक गीत याद आया..
    समय मिले तो सुनिएगा..
    https://youtu.be/tqcJKEs5wtg
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात !बेहतरीन रचनाओं का संगम।बहुत ही सुंदर सटीक संकलन।सभी रचनाएँ बेहतर । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।सप्रेमाशीष।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर संकलन प्रस्तुत किया है आपने👌👌👌👌👌👌सभी रचनायें बहुत ही उम्दा हैं
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए शुक्रिया🌹🌹🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
  5. "गुलों के रंग देखकर वहम होना है लाज़िमी
    काँटों की शर्त पर हरबार खिलती है ज़िंदगी" ... आज की छः पंक्तियों की भूमिका सारी रचनाओं पर भारी है ...जिनकी भी लिखी हुई है, सारगर्भित है , सारी "शर्तें" आज की रचना वाली अलग-अलग इंद्रधनुषी रंगों में सजी है, निःसंकोच कहूँ तो कुछ कालजयी रचनाओं के संग साझा होने से संक्षिप्त में "अच्छा" लग रहा है ...

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह !बेहतरीन प्रस्तुति प्रिय श्वेता दी 👌👌
    मुझे स्थान देने के लिये तहे दिल से आभार आप का
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह!!!श्वेता ,बेहतरीन अंक !!सभी शर्ते बहुत ही खूबसूरत !सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर सूत्रों का संकलन ! मेरी रचना को स्थान देने के लि लिये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी ! सप्रेम वदे ! सभी सूत्र बेहद सुन्दर ! !

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर रचानाए |मेरी रचनाएं शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन रचनाओं से सजी बेहतरीन प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  11. 'वक़्त अच्छा आता है, गुजरने की शर्त पर' किन्तु, सुंदर रचनाओं से सजा यह संकलन कभी नहीं गुजरेगा। बधाई और आभार सुंदर लिंकों का।

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर

    जवाब देंहटाएं
  13. हर शर्त पर खरा उतरता उम्दा लिंंकोंं का संकलन... शानदार प्रस्तुतिकरण...
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाइयाँँ ।

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी

    जवाब देंहटाएं

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