"क्या कर रही हैं अम्मू?" कल शाम में बुचिया का फोन आया प्रणाम-आशीष के बाद- उसका पहला सवाल स्वाभाविक था..
"कुछ खास नहीं... बस पेट-पूजा की तैयारी.. तुम बताओं?"
"कल का क्या प्रोग्राम है? कल सौ साल पूरे हो रहे हैं और कहीं किसी कोने में कुछ सुगबुगाहट नहीं है..., स्त्रियों के साथ ऐसा क्यों किया जाता है?" बुचिया बेहद क्षुब्ध थी...
"मैं तो शहर से बाहर हूँ... फिर भी देखती हूँ क्या कर सकती हूँ!" फिर सोच में डूबी ये मुआ ढ़ाई आखर पर चर्चा करनी होगी... किसी शब्द को लो उसमें आधा वर्ण है... जो खुद आधा समेटे हुए है वह कैसे पूरा होगा...
कहते हैं प्यार एकतरफा भी होता है
तो क्या प्यार हवा में उफनता है
बिना आँच बिना ईंधन पानी बिना अवलम्बन
साहिर का नाम लिखने के लिए इमरोज का पीठ हाजिर था
प्रीतम को खोने के लिए साहिर मौजूद रहा
फिर इमरोज किस आधार पर आज भी जिंदा रखे हुए हैं
ज्ञानपीठ प्राप्त मशहूर व संवेदनशील लेखिका अमृता प्रीतम की जन्मशताब्दी के अवसर पर ब्लॉगर परिवार की ओर से सादर नमन...
वह_कौन_थी ?
जानना चाहते हो - वह कौन थी ?!
वह थी सावन की पहली बारिश, बारिश के बाद की निखरी धूप, बागीचे में डाला गया झूला, उसकी पींगे, और हवा में इठलाती लटें ...।खिलखिलाती हुई जब वह आईने के आगे खड़ी होती थी, तो घण्टों खुद को निहारती, लटों से खेलती बन जाती थी एक सपना । सब्ज़ी काटते हुए, सुनती थी अपनी चूड़ियों की खनक, छौंक लगाती अपनी हथेलियों की अदाएं देखती, मसालों के संग एक चुटकी नमक की तरह खुद को डाल देती थी । ताकि मायके में उसका स्वाद बना रहे ...
ढोलक की थाप पर, शहनाइयों की धुन में जब उसके पाँव महावर से रचे गए, तब वह जादुई नमक साथ ले गई थी, ताकि ससुराल में भी उसका स्वाद उभरे । लेकिन, ...
यह जो राम नाम के सत्य की रटन हो रही है न, यह उसी के लिए । सारे नमक उसके ज़ख्मों में भर गए और कहानी खत्म हो गई है । नाम जानकर क्या करोगे, किसी भी नाम से तर्पण अर्पण कर दो - चलेगा ।© Rashmi Prabha
ज्योति स्पर्श : अमृता एक कविता में कहती हैं- ' मैं लौटूँगी...'। अमृता प्रीतम के शब्द जो पढ़ने वाले के पहलू में तसल्ली से बैठ कर अपना अनुभव साझा करते हैं। अमृता सिर्फ इमरोज,अपने बच्चों और अपने दोस्तों की यादों में ही नहीं जिन्दा हैं बल्कि लाखों लड़कियों की इस हसरत में जिन्दा हैं कि उन्हें कोई इमरोज़ की तरह चाहे। अमृता को पढ़ते हुए चाँदी सी उम्र भी बगावती होना चाहती है।
अपने शब्दों की सरलता से अध्यात्म की तारीकी गुफाओं में पाठक के लिए जुगनू उड़ा देती हैं अमृता।
अमृता प्रीतम
पुण्यतिथि
प्यार अगर इंसान की शक्ल लेता तो उसका चेहरा अमृता प्रीतम जैसा होता
जैसा अमृता प्रीतम ने अपने लिए चुना, वैसा ही प्यार और
आजादी के मेल से बना चटख रंग वे हर स्त्री के जीवन में चाहती थीं.
अमृता प्रीतम
अज्ज आखां वारिस शाह नूं
पंजाबी भाषा में लिखी गई यह बेहद प्रसिद्ध कविता है। इस कविता में भारत विभाजन के समय पंजाब में हुई भयानक घटनाओं का अत्यंत दुखद वर्णन है। इस कविता को भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में सराहना मिली थी।
एक मुलाकात
यह ऐसे प्रेमी जोड़े की दास्तान है, जो मिल नहीं पाते हैं
अमृता प्रीतम
अमृता प्रीतम
बात अनहोनी,
पानी को अंग लगाया
नदी दूध की हो गयी
कोई नदी करामाती
मैं दूध में नहाई
इस तलवण्डी में यह कैसी नदी
कैसा सपना?
अमृता प्रीतम
यह दोस्ती और रूहानी अहसास उनकी रचना एक थी सारा में जीवित है. उनकी हर रचना हर पाठ के साथ एक नयी आलोचना तैयार करती है. कहानियाँ और कविताएं भाषिक सरंचना से जाने कैसा ज़ादू पैदा करती है कि उन में डूबा हुआ पाठक इस दुनिया ज़हान के समस्त प्रसंगों के लिए अपरिचित बन बैठता है. पाठक को हर रचना पाठ के बाद भी कुँआरी जान पड़ती है. वहाँ खामोशी का बोलता हुआ दायरा है जो आपको अपने आगोश में लेने के लिए बेताब जान पड़ता है. अमृता अपनी रचनाओं में सदा जीवित बनी रहेंगी, यही कारण है कि पाठक उनकी कविताओँ में हर बार एक नयी अमृता को पा लेता है, ठीक इन पंक्तियों की तरह-
जब शब्द सम्पूर्ण हो तो समझना ज्योत्स्ना शीतल है
सुप्रभातम् दी:),
जवाब देंहटाएंकितना सुंदर संकलन तैयार की हैं...अभी बस एक नज़र भर डाले हैं आराम से पढ़ेगे..।
सादर आभार दी शुक्रिया दिल से।
आपके द्वारा प्रस्तुत हर अंक सबसे अलग होता है हमेशा।
कहते हैं प्यार एकतरफा भी होता है
जवाब देंहटाएंतो क्या प्यार हवा में उफनता है
बिना आँच बिना ईंधन पानी बिना अवलम्बन
साहिर का नाम लिखने के लिए इमरोज का पीठ हाजिर था
प्रीतम को खोने के लिए साहिर मौजूद रहा
फिर इमरोज किस आधार पर आज भी जिंदा रखे हुए हैं
इन महान लेखिका के संदर्भ में जब सलीम भाई ने मुझे बहुत कुछ बताया था। आज यहाँ भी सुंदर प्रस्तुति देख मन खुश हो गया।
शायद इसी को सच्चा प्रेम कहते हैं ...
सादर नमन..
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति..
आभार..
सादर..।
अति सुन्दर संकलन एवम प्रस्तुति।सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसुप्रभात दी जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
सादर
सुप्रभात दीदी !
जवाब देंहटाएंआज का संकलन यूं लगता है जैसे बहुत दिनों के बाद मनपसन्द उपन्यास आ गया हाथों में...,
बहुत बहुत आभार दी.. इतनी खूबसूरत प्रस्तुति के लिए 🙏
बहुत ही खूबसूरत संकलन !
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन संकलन, आभार दीदी
जवाब देंहटाएंलाजवाब अंक।
जवाब देंहटाएंअत्यंत सार्थक अंक। अमृता जी की अमिय-स्मृति को चिर नमन!!!
जवाब देंहटाएंआत्म मुग्ध करता बेसकीमती अंक।
जवाब देंहटाएंप्रभु उनकी आत्मा को सकून दे !
जवाब देंहटाएंपता नहीं कहना तो शायद ठीक नहीं होगा, क्योंकि मुझे पता है कि उनका उच्च श्रेणी का होना भी क्यों मुझे उनका प्रशंसक नहीं बना पाया !
बेबाक़ी से अपनी बात कहना हमेशा ठीक होता है.. पसंद नापसंद सबकी अपनी-अपनी होती है.. लेकिन तय किये दायरे/हद से बाहर निकलने पर बहुत कुछ बदल जाता है...
हटाएंबेहतरीन संकलन, आभार दीदी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर,संग्रहणीय संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी संग्रहणीय प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंलाजवाब संकलन
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
वाह
सादर नमन
nice post sir and you are sharing nice information
जवाब देंहटाएं"very nice inspiration quotes about beauty-motivation456
जवाब देंहटाएं"
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