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सोमवारीय विशेषांक में आप सभी का
हार्दिक अभिनंदन
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मेंहदी
पुरातन काल से आधुनिक होने के क्रम में भले ही मेंहदी लगाने का ढंग बदल गया,मेंहदी हरी
पत्तियों में उपेक्षित हो गयी और
कैमिकल युक्त पाउच में
आने लगी।
अत्यधिक बदलाव होने पर भी
नहीं बदला है तो मेंहदी का गुण उसकी महत्ता।
मेंहदी हथेलियों पर रचकर खुशबूदार
रंग छोड़ना कभी नहीं भूलती।
तीज त्योहार पर
मेंहदी का श्रृंगार शुभ माना जाता है।
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हमारे प्रिय रचनाकारों का स्नेह है
बहुत सुंदर और विविधतापूर्ण रचनायें
लिखी है सबने।
आपकी रचनात्मकता को प्रणाम।
आइये अब आज के अंक का
आस्वादन करते हैं।
★★★
सर्वप्रथम कालजयी रचनाएँ व लोकगीत
लोकगीत... अज्ञात
अम्बे की मेंहदी रचनी। गौरा की मेंहदी रचनी।
किन तेरे बाग लगाए और कौन सींचन जाए।।
म्हारै बाबा बाग लगाए, दादी सींचन जाए।।
किसने पिसाए पात री, किसयाँ के रच गए हाथ री।
म्हारै ताऊ पिसाए पात री, ताई के रच गए हाथ री।।
★★★★★★
मेंहदी..... अज्ञात
मेंहदी बोवन मैं गई जी कोई छोटे देवर के साथ
मै बोये बिगे डेडसौ देवर न बिगै चार
मेंहदी रंगे भरा जी राज
मेहंदी सिचन मैं गई जी कोई छोटे देवर के साथ
मैं सिन्चे बिगे डेडसौ देवर न सिंचे चार
मेंहदी रंगे भरा जी राज
★★★★★★
आदरणीय संजय वर्मा "दृष्टि"
निखर जाती है
बेटी के हाथों की सुंदरता
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।
मेहंदी, रोसा और बेटी
लगती जैसे बहने हों आपस में
महकती, निखरती जाए
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।
★★★★★★
मेहंदी लगाया करो...विष्णु सक्सेना
दूधिया हाथ में, चाँदनी रात में,
बैठ कर यूँ न मेंहदी रचाया करो।
और सुखाने के करके बहाने से तुम
इस तरह चाँद को मत जलाया करो।
★★★★★
आदरणीया रीना मौर्या
मेहंदी प्रतीक है प्रेम का
प्रेम की सौगात है .....
चढ़ गया मेरी हथेलियों पर भी
पिया तेरा प्यार है .....
मेहंदी का रंग , रंग नहीं
तेरे प्यार का अहसास है .....
★★★★★★
आदरणीय कुलदीप जी
मेंहदी
क्योंकि उसने ही,
इनके जीवन में
प्रेम के रंग भरे थे......
मेंहदी चाहती है,
सब में प्यार बढ़े,
केवल प्रेम हो,
★★★★★★
अब ब्लॉग संपर्क फॉर्म के द्वारा प्राप्त
नियमित रचनाएँ..
★★★★★★
आदरणीया साधाना वैद
मेंहदी तेरे रूप अनेक ....
पहले मेंहदी इसी तरह ताज़े ताज़े पत्तों को पीस कर ही लगाई जाती थी ! हमें याद है सावन के महीने में तीजों से पहले घर में सभी लड़कियाँ और विवाहित महिलायें अनिवार्य रूप से मेंहदी लगाती थीं ! बड़ी सी डलिया में मेंहदी के पत्ते तोड़ कर जमा किये जाते थे और अम्माँ दुलारी काकी को ख़ास ताकीद करती थीं, “दुलारी, खूब महीन पीसियो मेंहदी !
◆◆◆◆◆
आदरणीय सुबोध सिन्हा
मेरे मन की मेंहदी ....
माना मेरे मन की मेंहदी के रोम-रोम ...
पोर-पोर ...रेशा-रेशा ... हर ओर-छोर
मिटा दूँ तुम्हारी .... च्...च् ..धत् ...
शब्द "मिटा दूँ" जँच नहीं रहा ... है ना !?
अरे हाँ ...याद आई ...समर्पण ...
ना .. ना ...आत्मसमर्पण कर दूँ
तुम्हारी मन की हथेलियों के लिए
◆◆◆◆◆◆◆
आदरणीया आशा सक्सेना
मेंहदी ....
सोलह सिंगारों में प्रमुख
मेंहदी के रूप अनूप
हाथों की शोभा होती दुगुनी
जब पूर्ण कुशलता से रचाई जाती
कलात्मक हरी हरी मेंहदी
सावन में मेंहदी से करतीं
महिलायें अपना श्रृंगार
★★★★★★
कहानी -आदरणीय अनुराधा चौहान
देश के प्रति फर्ज पुकार रहा था देवनारायण चला गया। सीमा पर भारी गोलीबारी चालू थी। देवनारायण को मिशन पर भेज दिया।दो दिन तक गोलीबारी होती रही पाकिस्तान के कई जवान मारे गए थे।भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए थे कुछ घायल।शहीद जवानों में एक नाम
देवनारायण का था।
अभी-अभी तो दुल्हन बनाकर लाई थी सपना को उसके
हाथों की "मेहंदी"का रंग भी न उतरा था।
मेहंदी में लिखे देव के नाम को देखकर सपना चीख-चीख कर रो रही थी,सारी खुशियाँ,सारे सपने एक झटके में बिखर गए थे।
★★★★★★
आदरणीय अनुराधा चौहान
मेहंदी के रंग ....
नारी का असीम स्नेह है मेहंदी,
प्रीतम का अगाध प्यार है मेहंदी।
बिना मेहंदी कोई रौनक नहीं,
त्यौहारों की शान है मेहंदी।
उत्सवों की परंपरा है मेहंदी,
युवतियों की जान है मेहंदी।
मेहंदी मिटकर भी चहेती है,
नारी के जीवन का रंग है मेहंदी।
★★★★★★★
आदरणीय अभिलाषा चौहान
दम तोड़ती मेंहदी ....
कितने सपने और अरमानों से,
हाथों में रचाके मेंहदी ।
बेटी बनती है दुल्हन,
छोड़ बाबुल का घर,
तब पाती है साजन।
जलती है दहेज की आग,
जल जाती हैं मेंहदी।
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आदरणीया सुजाता प्रिया जी
मेंहदी का रंग
थोड़ी देर उसे सुखाकर,
पपड़ियों को छुड़ाकर,
देखा जब मैं हथेली ।
शंका भरी नजरों से,
भरी आँख कजरों से,
मैने पपड़ियों को देखा।
मुँह खोल मैने पूछा,
★★★★★
आज यह हमक़दम आपको कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम का अगला विषय जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूलें।
#श्वेता सिन्हा
शुभ प्रभात सखी..
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनाएँ...
हर्षित हूँ इस बार कुलदीप भाई भी शामिल हैं
शुभकामनाएं..
सादर..
शुभ प्रभात प्रिय श्वेता जी
जवाब देंहटाएंमेंहदी के निखरते रंगों का सुन्दर चित्रण सभी
रचनाओं में, बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार,सादर
मेंहदी के क़ुदरती रंगों से रंगी हुई सारी रचनाओं के बीच मेरी अदना सी रचना को पांच लिंकों का आनंद के आज के अनमोल अंक में साझा करने के लिए धन्यवाद... हार्दिक आभार आपका ...
जवाब देंहटाएंकामना करता हूँ कि इसी तरह मेरी साधारण-सी रचना पर आपकी पारखी नज़र बनी रहे ....
वाह!!श्वेता ,बेहतरीन प्रस्तुति !सभी रचनाएँ एक से बढकर एक । सभी रचनाकारों को बधाई ।
जवाब देंहटाएंश्वेता जी,
जवाब देंहटाएंबेहद गजब के लिंक्स है आज की इस हलचल में.
विशेषकर अनुराधा जी की कहानी.
आज की ये रचनाएँ पढ़ कर 'नूर जहां'जी का एक बेहतरीन नगमा याद आ गया जो हमने रेडियो पर खूब सुना है कि
"हमारी साँसों में आज तक वो
हिना की खुशबू महक रही है
लबों पे नगमें मचल रहे हैं
नज़र से मस्ती झलक रही है...."
लाजवाब अंक।
जवाब देंहटाएंवाह।मेंहदी जैसी ही रची भीनी -भीनी सुगंधित लिए सुंदर रचनाएँ।बेहतरीन और मनभावन अंक।बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधन्यबाद।
बहुत सुंदर मेंहदी से रचा मन को लुभाता हम-कदम।
जवाब देंहटाएंगोरी सजले तूं शृंगार
रचाले हाथों में मेंहदी ।
सभी मोहक सृजन कर्ताओं को अशेष शुभकामनाएं।
वाह आज तो मेहंदी की सुगंध से खुशनुमा अप्रतिम रंग चढ़ा है हलचल पर
जवाब देंहटाएंरचनाकारों को खूब बधाई
नाग पंचमी की शुभकामनाएँ
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जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता . मेहंदी के शाश्वत शुभता भरे रंग और गंध से सराबोर भावपूर्ण अंक अत्यंत मनमोहक है जिसमें गद्य और पद्य दोनों भावपूर्ण हैं | आदरणीय साधना जी और अनुराधा की दोनों की पद्य रचनाएँ अपनी जगह बेमिसाल हैं | भावनाओं से भरे साधना जी के संस्मरण ने उझे भी अपने बचपन की याद दिलादी जब अबोध से बचपन में हमारी दादी परिवार की सभी पांच बहनों की हथेलियों पर घर की पिसी मेहदी लगाकर हाथपर कपडा बांध देती थी थी जिससे बिस्तर और पहने हुए कपडे ख़राब ना हों | बहन अनुराधा जी की रचना ने बहन को भावुक कर दिया और शहीद की माँ और पत्नी की पीड़ा भीतर से गुजर गयी और अनायास वीर रस के कवि आदरणीय हरिओम पंवार जी की ये पंक्तियाँ स्मरण हो आयीं
उन आँखों की दो बूंदों से सतो सागर हारे हैं
जब मेहंदी लगे हाथों ने मंगल सूत्र उतारे हैं
गीली मेहंदी रोई होगी छुप के घर के कोने में
ताजा काजल छुटा होगा चुपके चुपके रोने में !!!!!
लीक से हटकर कुलदीप जी और सुबोध जी की रचना ने भी प्रभावित किया | आज के सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें और दुआ सभी के जीवन में मेंहंदी शुभता से भरी अखंड सौभाग्य की प्रतीक बनी रहे और अपनी मादक गंध और चिर चिरंतन प्रीत के गहरे रंग से जीवनमें मधुरता भरती रहे | तुम्हे बधाई पुराने कवियों की रचनाओं को पढवाने के लिए और सुंदर अंक सजाने के लिए | हार्दिक स्नेह्के साथ--
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वाहः
हटाएंसराहनीय
छूटकी-छूटकी-छूटकी
जवाब देंहटाएंगज़ब
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंवाह !! जितनी तारीफ करूँ कम ही होगी... सिर्फ इतना ही कहूंगी.. अप्रतिम संकलन ।
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर, मेंहदी अपनी छाप छोड़ गई
जवाब देंहटाएंमेंहदी के रंग और खुशबू से महकता आज का विशेषांक बहुत ही लाजवाब है ...सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी आज के इस अनुपम संकलन में मेरे सृजन को भी सम्मिलित करने के लिए ! आज दिन भर बहुत व्यस्तता रही ! विलम्ब से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ! लेकिन सुन्दर रचनाएं पढ़ने से स्वयं को रोक नहीं पा रही हूँ ! सादर सस्नेह वन्दे !
जवाब देंहटाएं