निवेदन।


फ़ॉलोअर

शनिवार, 26 मई 2018

1044... शोर



श्रेष्ठता की इच्छा कई बार कला को युद्ध में बदल देती है @अजंता देव

Ek kavita roz sir par aag by Kailash Gautam

रौशनी का वादा करते रहो
तारीफों के कसीदे पढ़े जाते रहेंगे,
लोग भूल जायेंगे अपनी तकलीफ
तब कोई नहीं देखेगा तुम्हारी तरफ
जब सचमुच चिराग जलाओगे। @दीपक भारतदीप

सजाए सितारों की बाज़ी
तड़ित तरंगे सी दौड़ती
ढ़लती सर्दी की शाम
सीखता समझता पयाम
साँसें खिंचता युवा कयाम
कल बागवान होगा गृहाराम

सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

हित नहीं सधा जीत नहीं मिला
गीत नहीं सधा मीत नहीं मिला
सोर से उखड़ने का है मच गया
शोर

नहीं! पागल नहीं हुई हो तुम। बस, परेशान हो।
एक अरसे से सो नहीं सकी हो। कुछ बेचैन हो।
जाने क्या मचलता रहता है तुम्हारे भीतर।
तुम ने अपनी एक दुनिया रच ली है और उसी को सच मानती हो।
शहर की मसरूफियत और आपाधापी की वह दुनिया तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ती।
उससे दूर होने को हम यहां आए, लेकिन तुम
उस दुनिया को यहां भी अपने साथ ही ले आई।


क्रांति ,कविता या शोर

भारत में इस समय हिन्दू धर्म में लाखों सन्यासी, मथाधीस, महामंडलेश्वर,
शंकराचार्य, बापू आदि लगातार आचरण सुधार का प्रवचन दे रहे हैं,
लेकिन भक्तों पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है. इसलिए कि
प्रवचन करने वाले का आचरण उनके उपदेशों के विपरीत है.
अब भला कोई व्यक्ति किसी सन्यासी अथवा शंकराचार्य को
भौतिक वस्तुओं के सभी प्रकार के सुख का भोगना देख रहा हो और
पाई-पाई का हिसाब रख रहा हो. दर्जनों-सैकड़ों आलिशान मठ,
आलिशान गाड़ियाँ लिए घूम रहा हो तो भला
उसके द्वारा भूंके गए उपदेश कैसे असर करेंगे

शोर

खून पसीने को बरबाद होते देखता रहा
बिटिया का दाखिला,मोनू का खिलौना,
एक इज़्ज़त और सुकून की ज़िंदगी
जैसे सब कुछ
सब कुछ कुचल दिया था
उस बेरहम बारिश ने अपने पैरों के तले
वो ज़ोर ज़ोर से चीखकर रोता रहा

शोर

भीड़ विपदा होती है
जो गिर पड़ती है मनुष्यता पर
जिसे रोका जा सकता है सिर्फ मनुष्य हो कर

भीड़ बड़ी कारगर है
मंदिरों-मस्जिदों-गिरजों-गुरुद्वारों में
कच्चा माल है भीड़
भीड़ कच्चा माल है उन्माद के लिए
भीड़ ईधन है सियासत का
भीड़ में फंसी अकेली लड़की याद है

शोर

शोर वेदना की पीड़ा
शोर हृदय का स्पंदन
शोर मदिर नर्तन छुंन छुंन
शोर सुरभि का है वंदन ।


><

हम कर क्या सकते हैं... फिर मिलेंगे

आज की पोस्ट नहीं समझ में आये
मचने वाली है झन्नाटेदार शोर

हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम बीसवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
:: ज्येष्ठ की तपिश (तपन) ::
उदाहरणः
आज भूनने लगी अधर है ,
रेगिस्तानी प्यास।

रोम रोम में लगता जैसे ,
सुलगे कई अलाव ।
मन को , टूक टूक करते,
ठंडक के सुखद छलाव ।

पंख कटा धीरज का पंछी ,
लगता बहुत उदास।

रचना की कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं
यह रचना गीतकार जानकीप्रसाद 'विवश' की लिखी हुई है

उपरोक्त विषय पर आप सबको अपने ढंग से
पूरी कविता लिखने की आज़ादी है

आप अपनी रचना आज
 शनिवार 26 मई 2018 
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं।
 चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक
28 मई 2018  को प्रकाशित की जाएगी ।
रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें




6 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभातम् दीः)
    सदा की भाँति आपकी विशेष प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी।
    सादर आभार इतनी लाज़वाब रचनाएँ पढ़वाने के लिए दी।

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय दीदी
    सादर नमन
    शोर..
    हरदम की तरह अनूठी प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. विभा दीदी की प्रस्तुति सदा मन भावन होती है जैसे गर्मी मे मीठे आम या फिर कोयल की कुहूक और विभिन्न रसीले फल जो कुदरत ने हमे गर्मी के साथ बख्शे हैं और सावन की सुग बुगाहट भी उठती है इसी भीषण मौसम के सानिध्य मे।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति शोर सन्नाटे का शोर मन की अकुलाहट का ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...