आज देवी जी की तबियत तनिक साथ नहीं दे रही है
मौसम का बदलाव अपने साथ
अपने हिसाब से मानव शरीर को
अभ्यस्त करता है....
बिना किसी लाग-लपेट के चलिए सीधे प्रस्तुति की ओर...
अभिव्यक्ति में....
आज हर तरफ
इक हंगामा सा बरपा है
इक भीड़ है जो
बदहवास सी चली जा रही
कोई कुछ जानता नहीं और
कोई कुछ पूछता भी नहीं
प्रतिभा की दुनियां में...
विवाह संस्था पर एक सवालिया निशान
क्यों शादी होते ही दो लोग एक दूसरे पर औंधे मुंह गिर पड़ते हैं। पूरी तरह अपने वजूद समेत ढह जाते हैं। दूसरे के वजूद को निगल जाने को आतुर हो उठते हैं। क्यों स्त्रियां चाहे वो कितनी ही पढ़ी-लिखी या नौकरीपेशा हों एक पारंपरिक सांचे में ढलते हुए देखी जाने लगती हैं और वे स्वयं ढलने भी लगती हैं।
कशिश - मेरी कविताएं में....
तोड़ने को तिलस्म मौन का
देता आवाज़ स्वयं को
अपने नाम से,
गूंजती हंसी मौन की
देखता मुझे निरीहता से
बैठ जाता फ़िर पास मेरे मौन से।
अब छोड़ो भी में
”औरत के इंसान बनने की राह में पुरुष की सामंती सोच अब भी सबसे बड़ी दीवार है।”
विचारों की राजनीति और प्रगतिशील समाज के बीच में अजीब सी रस्साकशी चल रही है। पुरानी सोच अपनी स्थापित ज़मीन छोड़ने को तैयार नहीं और नई उर्वरा शक्तियां उसी ज़मीन को खोद-खोद कर और अधिक उर्वरा बनाने को आतुर हैं।
उलूक टाईम्स में
नहीं आया समझ में कहेगा
फिर से पता है भाई
पागलों का बैंक अलग
और खाता अलग
इसीलिये बनाया जाता है
बहुत अच्छा खूबसूरत
सा लिखने वाले भी होते हैं
एक नहीं कई कई होते है
सोचता क्यों नहीं है
विचारों का चबूतरा में...
क्यों रख रहा है मुसलमान हिन्दू नाम ?
आमिर खान द्वारा दिया गया ''देश छोड़ने '' वाला बयान देश में बढ़ रही असहिष्णुता के सन्दर्भ में नया भले ही हो पर आपको याद होगा शाहरुख़ खान का वो बयान जिसमे उन्होंने ये कहा था कि भारत में एक मुस्लिम के रूप में उन्हें अलग नज़र से देखा जाता है .इसीलिए उन्होंने अपने बच्चों के नाम भी हिन्दू रखे हैं .बहरहाल वो ये बताना भूल गए कि उनकी पत्नी एक हिन्दू है और शायद बच्चों के नाम उन्होंने ही रखें हो पर ये एक हकीकत है कि आज का भारतीय मुस्लमान अपने बच्चों के नाम या उपनाम हिन्दू रख रहा है .
आहुति में....
याद है तुम्हे वो चाँद की रात,
दूर तक थी चाँदनी...
अपने चाँद के साथ...
चांदनी की स्याह रौशनी में,
मैं बैठी थी थाम कर,
अपने हाथो में लेकर तुम्हारा हाथ...
याद है तुम्हे वो चांदनी रात...
आज यहीं तक...
मुझसे एक बड़ी गलती हो गई...
देवी जी तबियत को मद्देनजर
मैंनें आज की प्रस्तुति बनाने का फैसला किया...
जल्द बाजी में ये नज़र नही आया कि
जिस आई डी मे देवी जी प्रस्तुति बनाती है
वो खुली है.. सो सारी सूचनाएँ उन्हीं के नाम से चली गई
चरितार्थ हो गई कहावत..दो दिल एक जान वाली
सादर..
दिग्विजय..
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंयूँ ही आपदोनों का साथ हमेशा बना रहे
अच्छे लिंक्स का चयन उम्दा प्रस्तुति
स्वास्थ का ख्याल रखें । सुंदर प्रस्तुति । आभारी है 'उलूक' भी सूत्र 'नहीं आया समझ में कहेगा फिर से पता है.....' को जगह दी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और रोचक लिंक्स...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और रोचक लिंक्स...
जवाब देंहटाएंशुभ संधया...
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक चयन....
बढ़िया चर्चा है यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंआपका आभार अच्छे लिंक्स देने के लिए !
बधाई दिग्विजय जी को चर्चा में हिस्सेदारी के लिए , मंगलकामनाएं यशोदा जी की सेहत के लिए
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