उपलब्धियों से
प्रफ्फुलित हूँ मैं
कई सौ प्रतिशत
की वृद्धि
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फॉलोव्हर 53
और क्या...
बच्चे की जान लेगी
क्या यशोदा तू
121 दिन में....
चलिए चलते हैं आज की चुनिन्दा रचनाओं की कड़ियों का ओर...
आकांक्षा में आशा मौसी
तुम स्नेह भूले तो क्या
एक दीप जलाया मैंने
प्यार भारी सौगात का
झाड़ा पोंछा कलुष मन का
कोई भ्रम न पलने दिया
मान का मनुहार का
रश्मि प्रभा...मेरी भावनायें में
मेरे बच्चों,
मुझे जाना तो नहीं है अभी
जाना चाहती भी नहीं अभी
अभी तो कई मेहरबानियाँ
उपरवाले की शेष हैं
कई खिलखिलाती लहरें
मन के समंदर में प्रतीक्षित हैं
डॉ. ज्योत्सना शर्मा काव्ययुग में
निशा ने कहा
भोर द्वारे सजाए
निराशा नहीं
तारक आशा के हैं
चाँद आये न आए ।
मौन के दुर्दिन....वन्दना गुप्ता
चुप्पियों को घोंटकर पीने का वक्त है ये . मौन के दुर्दिन हैं ये जहाँ संवाद की हत्या हो गयी है ऐसे में जीत और हार बराबरी से विवश हैं सिर्फ शोक मनाने को ....
कालीपद "प्रसाद".... मेरे विचार मेरी अनुभूति में
मौन हूँ, इसीलिए नहीं
कि मेरे पास शब्द नहीं...
मौन हूँ, क्योंकि जीवन में मेरे
हर शब्द का अर्थ बदल गया है
रश्मि प्रभा...मेरी नज़र से में
मन की कई परतें होती हैं
चेहरे की शुष्कता में
नमी हाहाकार करती है
खुदाई करो, अवशेषों से पहचान होगी
कुछ कथा ये लिखेंगे
कुछ कथा वे लिखेंगे
कुछ अनकहे,अनपढ़े रह जायेंगे ....
नयी उड़ान में... उपासना दीदी
जीवन में
क्या पाया
या
खोया अधिक !
सोचती,
विश्लेषण करती।
आज अब अधिक नहीं...
इज़ाज़त दें...यशोदा को
शुभप्रभात...
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक चयन है दीदी आप का...
कल ही पढ़ सकूंगा...
कहीं जल्दि में हूं...
आभार आप का....
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमुझे तो आपका संबोधन बहुत प्यारा लगता है |मैं नियमित रूप से यह ब्लॉग देखती हूँ सुन्दर रचनाएं पढ़ने के लिए |मेरी रचना देखी बहुत बहुत धन्यवाद |
और ऐलैक्सा रैक छोड़ दिया आपने :)
जवाब देंहटाएंहलचल का 370,944, उलूक का छ: साल में 260,490 हुआ है ।
सुंदर प्रस्तुति ।
सुन्दर हलचल,
जवाब देंहटाएंआप सभी का स्वागत है मेरे इस ब्लॉग "हिन्दी कविता मंच" के नये पोस्ट "मिट्टी के दिये" पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/mitti-ke-diye.html#gpluscomments
सुन्दर हलचल .......आभार यशोदा
जवाब देंहटाएंबहुत हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार !