आज भारत में ही नहीं...
सारे विश्व में...दीवाली या दीपावली अर्थात "रोशनी का त्योहार"...
हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है...आज से कई वर्षों पहले...
धरती से पापियों तथा अासुरी वृत्तियों का सकल नाश करके...
चौदह वर्षों के घोर अँधेरे के बाद...सकल अयोध्या में...
श्री राम के आगमन से...अलौकिक प्रकाश फैला था...
सागर मंथन से धन-धान्य की देवी, माँ लक्ष्मी...
आज के ही दिन अवतरित हुई थी...
ये भी सत्य है कि आज के ही दिन...
भगवान विष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था....
जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण आज के दिन ही हुआ था....
बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व
गौतम बुद्ध के स्वागत में लाखों दीप जला कर दीपावली मनाई थी...
इसी दिन 1577 में अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था...
और 1619 में सिक्खों के छठवें गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को कारागार से रिहा भी किया गया था...
कार्तिक अमावस्या से पितरों की रात आरम्भ होती है...
कहीं वे मार्ग भटक न जाएं, इसलिए उनके लिए...
हर तरफ प्रकाश किया जाता है...
आर्य समाज की स्थापना के रूप में- इस दिन आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द ने...
भारतीय संस्कृति के महान जननायक बनकर दीपावली के दिन अजमेर के निकट अवसान लिया था...
इसी दिन उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक भी हुआ था...
विक्रम संवत का आरम्भ भी इसी दिन से माना जाता है...
यह नए वर्ष का प्रथम दिन भी है....
अतः हम कह सकते हैं कि...
दीपावली उत्सव ही केवल सर्वधर्म सम्भाव का प्रतीक है...
ये पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाा रहा है...
आज हमारे समाज में
आतंकवाद, भ्रष्टाचार, जाति-प्रथा, धार्मिक विवाद,
नारी शोषण, भय, हिंसा, प्रदूषण, अनैतिकता,
आदि विकराल रूप धारण कर रहे हैं...
अगर सही मायने में हम महसूस करें तो ये सब अंधकार ही तो है...
इन पर विजय पाने के बाद ही हम...
आदर्श राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं...
प्रकाश का पर्व दिवाली हर बार यही कहता है...
सभी प्रकार के अंधकार को दूर करने के लिये...
मानव मन में धर्म का दीप जलाना होगा।
आप सभी को पांच लिंकों का आनंद परिवार की ओर से...
महा पर्व दिवाली की असंख्य शुभकामनाएं...
अब चलते हैं...आज की प्रस्तुति की ओर...
देखिये आप के प्यारे-प्यारे लिंक...
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जी हाँ, महाभारत कालीन भारत का मानचित्र अमेरिका की कांग्रेस के पुस्तकालय में आज भी सुरक्षित है| ...
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संज्ञा देते लोग ,किसान की मौत पर
अपनी मौत से भयानक मौत बयानों के फंदे में उलझ कर मर रहे हैं किसान
सरकार कहती है चिन्ता न करें किसान |वह उसके साथ है | जितनी बड़ी हो सकेगी, उतनी बड़ी सहायता देगी सरकार | मगर कब ? यह सरकार को खुद पता नहीं | आदेशों की लाइने रोजाना छप रही हैं कागजों पर, आदेश दौड़ रहे हैं पूरी गति से राजधानी से होते हुए कलेक्टर, तहसीलदार से होते हुए पटवारी तक, फसल के नुकसान का आंकलन करवा रही है सरकार |पटवारी के जिम्मे है फसल आकलन का काम पटवारी है कि चतुर प्राणी है राजस्व तंत्र का |गाँव की राजस्व सत्ता उसके हाथ में, जमीन-जायदाद गाँव में उसकी चलती है। वह कब किसके बाप को भूमि के पट्टे में दूसरे का बाप बना दे, और असली बाप का बेटा हाथ मलता रह जाए
दीप जलाते श्रवण ने प्रतिमा को कहा देखा प्रतिमा तुमने अपने अहं को छोड़कर माँ के अहं की रक्षा करके पूरे घर के वातावरण को सुखमय कर दिया।इसी अहं के कारण ही तो घर -घर में झगड़े हो रहे हैं जो परिवार को तोड़ने की कगार पर पहुंचा देते हैं ।"
"आप ठीक कह रहे हैं, पर इसका सारा श्रेय तो आपको ही जाता है।"
घर की मुंडेर पर दीप रखते हुए प्रतिमा बोली।
" ईश्वर से प्रार्थना है कि हमेशा इसी तरह खुशी के दीप जलते रहें" .....
कहकर श्रवण ने प्रतिमा को गले लगा लिया। दोनों की आंखें खुशी से चमक उठी।
अब भी बची है
गंध व्यतीत की
शब्द-शब्द बोले हैं
रंग-रस घोले हैं
पृष्ठ-पृष्ठ जिंदा है
पृष्ठ अतीत की
फड़फड़ा उठे पन्ने
झांकने लगे चित्र
यादों के गलियारों से
पलकें हुईं भींगी
मत खोलो
पृष्ठ अतीत की
अपना स्वत्व भूल स्वयं जलती है
पर जग जगमग करती है
उसी भाव को अपनाओ
स्नेह के दीपक जलाओ
मेल मिलाप भाईचारा
हैं इस पर्व की विशेषता
मन से इनको अपनाओ
आज के पांच लिंक पूरे हुए...
विशेष पर्वों पर हलचल तैयार करना...
थोड़ा कठिन होता है...
विशेष पर्वों पर...
प्रस्तुति भी विशेष होनी चाहिये...
मैंने भी हलचल को विशेष बनाने का...
प्रयास तो किया है...
अब अंत में...
हमे विश्वास है
तुम्हारे वचन पर
होती है जब-जब
धर्म की हानी
आते हो तुम
मानव बनकर
इस विश्वास से ही
मनाते हैं हम दिवाली...
धन्यवाद...
दो रचनाओँ की कड़ियाँ मेरी ओर से भी
दीप पर्व की शुभकामानाओं के साथ...
आशा मौसी की प्यारी सी रचना..
हो मुदित दीपक जलाओ
प्यार से उपहार लाओ
प्यार बांटो प्यार पाओ
इस क्षण भंगुर जीवन में
यही पल मधुर लगते हैं
इन्हें जियो जितना चाहो
मेरी नजर से में..रश्मि दीदी
कहा था तुमने
तुम अब तक हो
धरातल प्रेम का
और वहीं के होकर
चाहते हो रहना
मैंने कहा था प्रिय
तुम मुझ से ही हो
और
प्यार हो गया
......
भाई कुलदीप जी का अथक प्रयास
सराहनीय है
यशोदा..
शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
जवाब देंहटाएंआपने आग्रह किया था कि प्रस्तुति पर
एक नजर डाल लीजिएगा
सही-गलत को सुधार दीजिएगा
मैं लोभ संवरण नही न पाई
दो रचनाओं के सूत्र और जोड़ दिए
सादर
शुभप्रभात दीदी
हटाएंसाथ ही दिवाली की शुभकामनाएं...
आपने हलचल को और रोचक बना दिया...
2 की जगह पांच लिंक जोड़ देते तो हलचल और रोचक बनती... आभार....
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई |
शानदार जानकारी आज चर्चा में |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
बहुत सुंदर प्रस्तुति. आभार.
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएँ !
दीप पर्व पर दीपमय शुभकामनाऐं । सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदीपावली की सभी को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें!
तब होंगे दंगे
जवाब देंहटाएंजब जब हिन्दू मुस्लिम आपस में लड़ाया जायेगा
जब जब कोई अखलाक अंतिम नींद सुलाया जायेगा
*तब तब देखना होंगे “मोहब्बत के दंगे*
जब जब चलेगी हिन्द मैं नफरतों की आंधियां
दहशत में अफ़सोस इंसानियत को भुलाया जायेगा
*तब तब देखना होंगे “मोहब्बत के दंगे*
जब जब लगेंगे गोधरा और दादरी जैसे कलंक यहाँ
देशद्रोही और अपराधी अगर किसी बताया जायेगा
*तब तब देखना होंगे “मोहब्बत के दंगे*