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शनिवार, 14 नवंबर 2015

बाल दिवस



सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष



काश हम कभी बड़े नहीं हुए होते 
अपनों से गिले शिकवे नहीं हुए होते




आओ चाचा नेहरु आओ,
           सारे जहाँ को तुम बतलाओ ,
   खेल-खिलोने साथ छीन कर,
    क्यों सब हमे रुलाते है ,
भारी बस्तों और किताबो ,
में हमे उलझाते है ,




बचपन कितना सरल और भोला होता है..झूठ सच नहीं जानता || 
जिसने जैसा बताया मानता है  | 
विस्मित होता है किन्तु विश्वास करता है  
क्यूंकि उसके लिए दुनिया की हर चीज
 नयी और विस्मय से भरी होती है |




सुबह हुई नहीं कि दिमाग़ मे
शरारत का मीटर भागना शुरू!
शरारत मे मैं अपने
मोहल्ले का था गुरु!

कॉलेज तक मुझे भी चंडाल चौकड़ी का लिडिर कह देते थे शिक्षक 




आज जरूरत है कि बालश्रम और बाल उत्पीड़न की स्थिति से राष्ट्र को उबारा जाये। ये बच्चे भले ही आज वोट बैंक नहीं हैं पर आने वाले कल के नेतृत्वकर्ता हैं। उन अभिभावकों को जो कि तात्कालिक लालच में आकर अपने बच्चों को बालश्रम में झोंक देते हैं, भी इस सम्बन्ध में समझदारी का निर्वाह करना पड़ेगा कि बच्चों को शिक्षा रूपी उनके मूलाधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिये।




पर वो माँग रहा रेडलाइट पे सिक्का
जिसके लिए होगा लाखों का खर्चा।
जिसके खातिर भर दिये अखबारों के पन्ने
बाँट रहा वो बेख़बर चौराहों पे पर्चा॥




इस  बाल-दिवस पर  मंचो से।
 लफ़्फाजी    होगी   बार - बार। 
जयकारों  से  घिर ,  नेतागण, 
भाषण     उगलेंगे    लगातार।। 



शायद कुछ के जवाब ही मिल जायेंगे  ? 
हम बाल दिवस को बच्चो के दिन के रूप में मानते है , 
तो क्या आज हमने बच्चों को बच्चा रहने दिया है ?

कल भी किसी के पास जबाब नहीं था 
कल भी किसी के पास कोई जबाब नहीं होगा


फिर मिलेंगे
तब तक के लिए 

आखरी सलाम


विभा रानी श्रीवास्तव


7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात...
    बाल दिवस पर सुंदर व सामाइक प्रस्तुति...
    आंटी आप का आभार...

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात
    पता नहीं क्यूँ
    हर रोज की तरह
    नींद ही नहीं खुली
    बाल दिवस पर
    हक तो बच्चों का ही होता है
    और ज़ुल्म -अन्याय भी बच्चों
    पर ही होता है
    शानदार प्रासंगिक प्रस्तुति
    साधुवाद...

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर बाल दिवस चर्चा । नेहरू जी का नाम नहीं लेना है बस ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर हलचल .......बधाई |

    http://hindikavitamanch.blogspot.in/
    http://kahaniyadilse.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  5. आम आदमी का पैगाम ...

    पिछले कई सालों से धर्म सत्ता और राजनेतिक सत्ता मिल कर जनता का शोषण करती रही है .
    पता नही इंसान का कितना खून धर्म के नाम पर बहाया गया है .
    आज भी मंदिर मस्जिद के नाम पर इंसान को नफरत की घूटी पिलाई जा रही है .
    क्या मंदिर मस्जिद और धर्म के नाम पर लड़ने से रोजी रोटी का मसला हल हो जायेगा ?
    आज हमे आम आदमी को हिन्दू मुस्लिम के नाम पर बांटा जा रहा है और आपस में भाईचारे के बजाये नफरत के बीज बोये जा रहे है
    दुष्ट नेताओं को इस से क्या , उनको तो वोट बैंक की राजनेति करनी है .
    और कुछ लोग जो धर्म का चोला ओढ़े ..धर्म और अंधविश्वास की सीड़ी का उपयोग करके जनता को असली मुद्दे से भटकाने का काम कर रहे है ........
    जिसका फ़ायदा भृष्ट राज-नेता उठा रहे है. उनका मकसद भी यही है की जनता धर्म का चोला ओढ़े इन पाखंडियों के चक्कर में सोई रहे और यह भृष्ट नेता आम आदमी के वोट को लूट खसूट कर सत्ता पर काबिज रहे....
    हद तो तब हो जाती है जब हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तम्ब कहलाने वाला मीडिया इन पाखंडी और धर्म के ठेकेदारों को जनता के समुख परस्तुत कर के जनता को धर्म के नाम पर नफरत की अफीम पिलाने का काम कर रहा है ..............यह सब क्या हो रहा है ?
    क्या यह सब आम आदमी को सुलाने का सोचा समझा षड्यंत्र नहीं है
    क्या आम आदमी को सुलाने के षड्यंत्र में सभी धर्मों के कुछ पाखंडी और मीडिया बखूबी
    शामिल नही है.?....आखिर कबतक हम एक दुसरे का खून सिर्फ धर्म के नाम पर बहाते रहेंगे
    आओ हम सब मिल कर विचार करें की यह कोनसी साजिश हो रही है
    हमे अपने दुश्मन और दोस्तों की पहचान हर हालत में करनी होगी
    दोस्तों आज हमारा हिन्दुस्तान बड़े ही नाजुक और खतरनाक दौर से गुजर रहा है .
    आओ अपने घरों से बाहर निकलें और अपनी जिम्मेदारी को पूरा करें ......
    और यह तभी होगा जब हम इनका जवाब सिर्फ #मोहब्बत_के_दंगों से देंगे ...तो आईये और जिम्मेदार नागरिक बनकर इस मुहीम में शामिल हो जाईये ............

    .यह एक आम आदमी की आवाज़ है .........MJ RAAJ

    जवाब देंहटाएं
  6. बाल दिवस पर आपकी प्रस्तुती से हमे भी आपने स्कूल के दिन याद आ गये ।Seetamni. blogspot. in

    जवाब देंहटाएं

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