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मंगलवार, 24 नवंबर 2015

129.......घर तेरा हो या मेरा छूट जाना है एक दिन

घर तेरा हो 
या मेरा 
छूट जाना है एक दिन 
हम गुम हो जायेंगे 
या तुम 
गुम हो ही जाना है !
-रश्मि दीदी

सादर अभिवादन....

चलिए चलते हैं सीधे रचनाओं की ओर...

















किताबों की दुनियां में
दिल में एक तन्हाई घर करने लगी 
बस गयी जब घर-गृहस्थी जिस्म की 

रूह की महफ़िल तभी सज पाती है 
जब उजड़ जाती है बस्ती जिस्म की 



सुधिनामा में
जनम दिया पालन किया, की खुशियाँ कुर्बान
बोझ वही माता पिता, कैसी यह संतान !

झुकी कमर धुँधली नज़र, है जीवन की शाम
जीवन के संघर्ष में, मिला कहाँ विश्राम !


अनकही बातें में
क्या हुआ जो 
कुछ मिला तो 
कुछ नहीं मिला, 
क्या हुआ जो 
कुछ खो गया तो 
कुछ छिन गया... 


उल्लूक टाईम्स में
कौन कहता है 
कुत्ता सोचना 
और कुत्ता हो जाने में 
कुछ अजीब होता है 
हर कुत्ते का 
अपना नसीब होता है
भौंकना सीखना 
चाहता हूँ इसलिये 
कुत्तों के बीच रहता हूँ 



ऑसन ऑफ ब्लिस में
कहीं मिले ज़िंदगी कहीं ज़िंदगी तले मौत जीतना है 
मिली किसी को हजार खुशियाँ कहीं मिली आज वेदना है 

नही मिली ज़िंदगी मुकम्मल यहाँ इसे ढूँढ़ते सभी जन 
मिले हमे ज़िंदगी जहाँ में कभी यही आज कामना है खिले 


अहसासों के सागर में....  
जीवन के विविध पड़ावों का धुंधलका मस्तिष्क में छाया हुआ है | 
कभी मेरे भीतर बसी दुनिया के बचपन में पंहुच जाती हूँ, 
कभी ‘टीनएज’ में, कभी २५ पार तो कभी ३५ के बाद की दुनिया 
भी दिखाई देने लगती है | हर बार कोई एक पड़ाव हावी होने लगता है.. 


कविता मंच में
थी  जो  गुलामी  की  अब  टूट  चुकी  हैं  वो  जंजीरें 
चंद  के  हाथों  से  लिखी  जाती  हैं  सरे  देश  की  तकदीरें 
और  पूरा  भारत  अब  इन्हिकी  मुठी  में  सिकुड़  रहा  है 
और  इसी  तरह  अपना  भारत  आगे  बढ़  रहा  है II


ये रही आज के अंक की अंतिम कड़ी..

भारतीय साहित्य एवं संस्कृति में
सात नदियों के मन्त्र का जप आप स्नान करते समय कर सकते हैं, 
इससे मनुष्य को पुण्य प्राप्ति के साथ-साथ मानसिक शांति का भी अनुव होगा।
गंगे    च    यमुने    चैव    गोदावरि     सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरू।।

आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलेंगे....











8 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर मंगलवारीय हलचल । आभार यशोदा जी 'उलूक' को भी स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीया यशोदा जी! अच्छे-अच्छे लिंक एक ही स्थान पर पढ़ने को मिले, मेरे लिंक को भी स्थान देने के लिए! धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर लिंक्स ! सारी रचनाएं लाजवाब ! मेरी प्रस्तुति को भी सम्मिलित करने के लिये आपका हृदय से आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा लिंक्स से सजाया है आपने इसे |

    जवाब देंहटाएं
  5. शुभ संधया...
    सुंदर लिंक संयोजन...
    देर से आ सका...
    आना तो था ही...
    आभार दीदी आप का...

    जवाब देंहटाएं
  6. उम्दा लिंक्स से सजाया है .....सुन्दर

    जवाब देंहटाएं

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