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गुरुवार, 12 नवंबर 2015

117...खील खिलाना है दीवाली का अनिवार्य अंग

दीप पर्व की शुभकामनाएँ
रात्रि के छठे प्रहर में
पूजा का महूर्त था
पूजा निर्विघ्न सम्पन्न हुई

कहते हैं न..
लालच बुरी बला होती है
सो कम्प्यूटर चालू किया
देखा  संजय भाई
पटाखे चलाने में व्यस्त हैं
रात के 3.45 हुए हैं अभी
फटाफट प्रस्तुति हाजिर है....



खोये हम जाने कब से रहे भटक तन्हा तन्हा हम
दिल की लगी को
दिल लगा कर
तुमसे
अब समझे हम 


इस बार दीपक वे जगें ,फैले उजाला प्यार का , 
अंत हो इस मुल्क में मज़हबी तकरार का ! 

हो मिठाई से भी मीठा , मुंह से निकले बोल जो , 
ये ही मौका है मोहब्बत के खुले इक़रार का !  


दिल कहां सीने में जैसे दुश्मने-जां हो गया 
आईने में देख कर सच को पशेमां हो गया 
हार कर भी तो सबक़ सीखा नहीं कमज़र्फ़ ने 
ठोकरों की मार से मुंहज़ोर नादां हो गया 


राम 
मन मन्दिर विराजें, 
मन के आँगन से 
रावण निर्वासित हो जाये... 
दीपों के 
झिलमिल प्रताप से 
दृष्ट-अदृष्ट हर कोना 
सुवासित हो पाये... !! 


रूठी ख़ुशियों को फिर आज़ मनाते हैं 
झिलमिल उम्मीदों के दीप जलाते हैं 

जिनके घर से दूर अभी उजियारा है
उनके चौखट पर इक दीप जलाते हैं 


खील खिलाना अलग है
खिलखिलाना अलग है
खील खिलाना है दीवाली का अनिवार्य अंग
मुस्कुराना मानवता का मज़हब है


आज्ञा दें यशोदा को
सोने जा रही हूँ














5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    अथक प्रिश्रम...
    आभार आप का....

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात यशोदा दीदी
    देरी के लिए माफ़ी चाहता हूँ आपका बहुत बहुत आभार प्रस्तुति के लिए :))

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर लिंक्स। अच्छी हलचल। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. आस्तीन के सांप
    शर्म आती है की देश का प्रतिनिधि किसी दूसरे देश में जाकर अपने देश की गरीबी का और भ्रष्टाचार का तरह दुनिया के सामने बखान करे क्या इस देश ने पिछले 60 सालों में कुछ नहीं पाया क्या इस देश में इतनी गरीबी और भ्रष्टाचार था की दुनिया के सामने हम अपने आप को बेबस और लाचार परस्तुत करें
    नहीं हम लाचार ना थे ना ही होंगे.....
    बस मुद्दे की बात यह हे मोदीजी पहले आप अपने लोगों को ठीक करने और भारत के विकास बारे में सोचिये .....यह जो भारत की अखंडता के साथ खिलवाड़ करने वाले तत्व हे जो नफरत और ज़हर उगलते बयानों से भारत को तोड़ने का काम कर रहे ऐसे सपोलो पर लगाम लगाईये...वरना यही सपोले कल आस्तीन के सांप बन कर ड्सेंगे........जिसकी एक झलक दिल्ली और बिहार में दिख चुकी है ...

    जवाब देंहटाएं
  5. यशोदा ji,अच्छी हलचल,मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं

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